कम कीमत वाले शेयरों में काफी उछाल आई है, जिसकी मुख्य वजह सटोरियों की दिलचस्पी या महामारी के दौरान नए निवेशकों का सक्रियता से ट्रेडिंग करना है। एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स 23 मार्च, 2020 के निचले स्तर से 135 फीसदी चढ़ा है। साथ ही मार्च 2020 में 20 रुपये या उससे नीचे ट्रेड कर रहे 833 शेयरों में से 666 शेयरों ने इंडेक्स के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। एक साल के नजरिये से इन शेयरों में से 657 का प्रदर्शन साल 2021 में सेंसेक्स के मुकाबले बेहतर रहा है। वास्तव में इनमें से कुछ शेयरों ने दो साल भी कम अवधि में 50 गुने से लेकर 80 गुने तक की बढ़ोतरीदर्ज की है। मार्च 2020 के दौरान 10 रुपये या उससे कम पर 508 शेयरों की ट्रेडिंग हो रही थी, जिनमें से 438 ने सेंसेक्स के मुकाबले उमदा प्रदर्शन किया है। साथ ही 401 शेयरोंं का प्रदर्शन पिछले साल भी इंडेक्स के मुकाबले बेहतर रहा है। इन शेयरों में तब तेजी आई जब कोविड-19 के कारण अर्थव्यवस्था ने कई तरह के अवरोध का सामना किया। इन चीजों ने विश्लेषकों को विस्मित किया है।विशेषज्ञों ने कहा, खुदरा निवेशकों के बीच एक तरह की प्रवृत्ति होती है कि जो शेयर ऊंची कीमत पर ट्रेड कर रहा है उसमें शायद बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी और कम कीमत पर ट्रेड कर रहा शेयर सस्ता होता है। सस्ते शेयरों की बात करें तो ऐसे शेयर निवेशकोंं को आकर्षित करते है और उनमें सटोरिया गतिविधियों के कारण बढ़त देखने को मिलती है। तेज बढ़ोतरी ट्रेडरों व सटोरिया को तत्काल कमाई के लिए बड़ी पोजीशन लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ऐसे शेयर चवन्नी शेयर के तौर पर जाने जाते हैं। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, पिछले दो साल में नए निवेशक इक्विटी बाजार में काफी तादाद में आए हैं। उनमें से ज्यादातर स्मॉलकैप शेयरों या कम कीमत वाले शेयरों में निवेश कर रहे हैं। यहां तक कि पुराने निवेशक भी इसके प्रति आकर्षित हो रहे हैं और कम कीमत वाले शेयरों में पोजीशन बना रहे हैं।चोकालिंगम ने कहा, छोटी कीमत वाले शेयरों में बढ़ोतरी मार्च 2020 के बाद से व्यापक बाजारों में आई स्वाभाविक बढ़ोतरी का परिणाम है। मार्च 2020 से बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 249 फीसदी चढ़ा है जबकि पिछले साल इसमें 63 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। मिडकैप इंडेक्स में मार्च 2020 के बाद से 169 फीसदी का इजाफा हुआ है जबकि पिछले साल उसमें 39 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। विश्लेषकों के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर निवेशक नई पीढ़ी के हैं, जो लॉकडाउन के कारण आई बेचैनी के कारण अन्य परिसंपत्ति वर्ग में रिटर्न के अभाव में शेयर बाजार की ओर मुड़ गए। हालांकि विश्लेषकों ने इस पर आशंका जताई है कि आखिर यह लाभ कितने समय तक टिका रहेगा जब मौद्रिक सहजता के जरिए बाजार को मिलने वाला सहारा इस साल के आखिर तक खत्म हो जाएगा या फिर अगर सूचकांकों में गिरावट आती है।कुछ विशेषज्ञों का आरोप है कि आसानी से धोखा खाने वाले निवेशक फर्जी ऑपरेटरों से सलाह के आधार पर निवेश कर रहे हैं और इससे पहले वे कंपनी के फंडामेंटल का अध्ययन भी नहीं कर रहे हैं। ऐसे फर्जी ऑपरेटर चैट ग्रुप खुद को विश्लेषक और मशहूर ट्रेडर बताते हैं। स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, व्हाट्सऐप ग्रुप व टेलिग्राम चैनल पर ऐसे ज्यादातर ऑपरेटर के अपने ग्राहक आधार होते हैं। विशेषज्ञ ऐसे शेयरों में बड़ी या छोटी पोजीशन लेने के खिलाफ सतर्क करते हैं। उनका कहना है कि जब बाजार गिरेगा तब लोग या तो अपनी रकम गंवा देंगे या फिर उन्हें इस उम्मीद में अगली तेजी का इंतजार करना होगा कि उनकी निवेश लागत की रिकवरी हो जाएगी। चोकालिंगम ने कहा, हमेशा तेजी नहीं बनी रहेगी और मुझे लगता है कि साल के आखिर तक गिरावट आएगी। शायद ही व्यापक बाजार ने इंडेक्स के मुकाबले दो साल से ज्यादा समय तक बेहतर प्रदर्शन किया है। इन शेयरोंं में नकदी सीमित होती है। ऐसे शेयरों में निवेश रूसी रोलेट खेलने जैसा है। इसमें भारी निवेश से बचना बेहतर होगा।बालिगा ने कहा, इनमें से कुछ चवन्नी शेयर तेजी के अगले दौर तक शायद ही देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा, तेजी के दो दौर के बीच कई शेयर डीलिस्ट हो जाते हैं। निवेशकों को चुस्त रहने की दरकार है। सबसे अच्छी सलाह यह होगी कि ऐसे शेयरों में नहीं फंसना चाहिए। लेकिन उस समय कोई मतलब नहीं बनता जब उसमें काफी तेज उछाल दर्ज हो रही हो। ऐसे में व्यावहारिक सलाह यह होगी कि जब आपको नीचे की चाल दिखे तो मुनाफावसूली कर लेना चाहिए।अन्य बाजार विशेषज्ञ ने हालांकि कहा कि ऐसे शेयरों से बाहर निकलने का यह सही समय है। जब भी बाजार टूटेगा या चाल उलटी होगी तब इनमें से कई शेयर निचले सर्किट को छू लेंगे और तब वहां कोई खरीदार नहीं होगा और निवेशकों के लिए निकासी का कोई मौका नहीं होगा। उन्होंने कहा, निकासी के लिए उच्चस्तर का इंतजार करना शायद अच्छा नहीं होगा। जब शानदार बढ़त के बाद बाजार उच्चस्तर के करीब हो तो हमारी सलाह यह है कि सटोरिया कारोबार का मौका हाथ से जाने देना चाहिए, बजाय इसके कि वास्तविक तौर पर नुकसान उठाकर हाथ मलते रहा जाए।
