दीवाली इस बार कोरोनावायरस की वजह से बेशक बीते सालों जैसी नहीं रही मगर तोहफों का लेनदेन तो होना ही था। तोहफे तो आपके पास भी आए होंगे और आपने जान-पहचान वालों को तोहफे दिए भी होंगे। यह परंपरा बहुत पुरानी है। मगर जब तोहफे कुछ ज्यादा ही कीमती होते हैं तो सरकार हरकत में आ जाती है। कई बार सरकार तोहफों की कीमत को पाने वाले की आय में गिन लेती है और उस पर कर भी वसूलती है। तोहफे अगर किसी ऐसे व्यक्ति से मिले हैं, जो आपका रिश्तेदार नहीं है तब कर का खटका और भी बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि हम तोहफों पर कर वसूलने के नियमों को समझ लें और उनके हिसाब से ही काम करें। तोहफों के इस हिसाब-किताब को आयकर अधिनियम की धारा 2(24) और धारा 56(2) के तहत देखा जाता है। धारा 2(24) उन तोहफों से संबंधित होती है, जिन्हें उस व्यक्ति की आय के तौर पर गिना जाता है। धारा 56(2) यह बताती है कि किस तोहफे पर कितना कर लगेगा या किस तोहफे पर कोई भी कर नहीं लगेगा। नकद: रिश्तेदारों के अलावा किसी दूसरे शख्स से अगर आपको 50,000 रुपये तक की रकम मिलती है तो आपको किसी भी तरह का कर नहीं देना पड़ेगा यानी 50,000 रुपये तक नकद का तोहफा मिलने पर आपको फिक्र नहीं करनी चाहिए। विक्टोरियम लीगलिस-एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के मैनेजिंग पार्टनर आदित्य चोपड़ा आगाह करते हैं, 'लेकिन अगर तोहफे में 50,000 रुपये से ज्यादा नकदी मिलती है तो पूरी रकम को पाने वाले की आय मानकर कर वसूला जाता है।' हां, अगर तोहफा रिश्तेदार से मिल रहा है तो आप चैन की नींद सो सकते हैं क्योंकि रिश्तेदार आपको कितना भी महंगा तोहफा दें, उस पर एक पैसे का कर भी नहीं वसूला जाता। फिर भी आपको कुछ सतर्कता तो बरतनी ही पड़ेगी। एनए शाह ऐंड एसोसिएट्स के पार्टनर गोपाल बोहरा समझाते हैं, 'इस बात का पूरा हिसाब-किताब रखें कि आपको वह तोहफा किस व्यक्ति से मिला है ताकि कर विभाग आपके पास पूछने आए तो आप तोहफा देने वाले की शिनाख्त कर सकें और साबित कर सकें कि वाकई आपको उससे तोहफा मिला था।' चल संपत्ति: इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जेवरात, शेयर जैसी चल संपत्ति के लिए नियम अलग होते हैं। आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा कहते हैं, 'चल संपत्ति को अगर बिना कीमत के दिया गया हो तो 50,000 रुपये से अधिक कीमत होने पर उस शख्स से कर वसूला ही जाएगा, जिसे तोहफा मिला है। उसका एकदम उपयुक्त बाजार मूल्य निकालकर उस पर कर वसूला जाएगा।' उपयुक्त बाजार मूल्य का मतलब वह कीमत है, जिस पर वह सामान खुले बाजार में बिकता। अगर कोई चल संपत्ति कीमत कम बताते हुए उपहार में दी जाती है तो बताई गई कीमत और उपयुक्त बाजार मूल्य के बीच का अंतर निकाला जाएगा। अंतर 50,000 रुपये से अधिक होगा तो अंतर की उस रकम पर 'अन्य स्रोत से आय' मद के तहत कर वसूला जाएगा। इसे ऐसे समझिए। मान लीजिए कि किसी व्यक्ति को अपने दोस्त से 1 लाख रुपये का गहना मिलता है, जिसकी कीमत 40,000 रुपये ली जाती है। उस सूरत में बाजार मूल्य और लिए गए मूल्य का अंतर 60,000 रुपये हुआ। बोहरा कहते हैं, 'चूंकि अंतर 50,000 रुपये से अधिक है, इसलिए समूचे अंतर यानी 60,000 रुपये पर कर वसूला जाएगा।' अचल संपत्ति: यदि किसी व्यक्ति को बिना कीमत दिए अचल संपत्ति मिल जाती है और उसका स्टांप शुल्क 50,000 रुपये से ज्यादा होता है तो समूचा स्टांप शुल्क बतौर कर वसूला जाएगा। अगर कीमत कम बताई जाती है तो कर का हिसाब दूसरे तरीके से होगा। सुराणा बताते हैं, 'यदि संपत्ति की स्टांप शुल्क वाली कीमत बताई गई कीमत से 10 फीसदी होती है और रकम के हिसाब से भी अंतर 50,000 रुपये से अधिक होता है तो जो भी अंतर होगा, उस पर 'अन्य स्रोतों से आय' मद के अंतर्गत कर वसूला जाएगा। ऐसे लोग भी हो सकते हैं, जिन्हें अपने रिश्तेदारों के अलावा दूसरे लोगों से कई तरह के तोहफे मिलते हैं मसलन नकद, चल संपत्ति, अचल संपत्ति आदि। उन्हें सभी तोहफों की कुल कीमत जोडऩी पड़ेगी। अगर उन्हें बिना कीमत के ही तोहफे मिले हैं या कम कीमत बताकर तोहफे मिले हैं और एक साल में मिले तोहफों की कुल कीमत 50,000 रुपये से ज्यादा होती है तो तोहफों की कुल रकम को आयकर रिटर्न में दिखाना चाहिए और उस पर कर भी चुकाना चाहिए। आयकरदाताओं को एक निजी बहीखाता बनाकर चलना चाहिए। यदि तोहफों की कुल रकम पर कर नहीं बनता है मगर वह रकम उनकी पूंजी में सीधे जुड़ जाती है तो बहीखाता ज्यादा जरूरी है। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के पार्टनर विवेक जालान कहते हैं, 'अगर कायदे के हिसाब से आपको इस रकम का खुलासा करना चाहिए तो एकदम ईमानदारी बरतें और आयकर रिटर्न में 'अन्य स्रोत से आय' मद के अंतर्गत उनकी कीमत को एकदम ठीक तरीके से लिखें।'
