इस्पात कंपनियों की बढ़ रही चमक | उज्ज्वल जौहरी / नई दिल्ली August 09, 2020 | | | | |
अपने मार्च-अप्रैल के निचले स्तरों से लगातार तेजी दर्ज करने वाले इस्पात कंपनियों के शेयर अब तेजी के उस स्तर पर भी पहुंच गए हैं जो इस साल फरवरी में देखा गया था। टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, और सेल में 57-84 प्रतिशत के बीच तेजी आई है जबकि जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) का शेयर 200 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी के साथ मजबूत प्रदर्शन वाला रहा है। इस तेजी को लॉकडाउन के बाद अप्रैल-मई की अवधि के दौरान कमजोरी के बाद सुधरती इस्पात प्राप्तियों से मदद मिली है। हालांकि आर्थिक गतिविधियों के धीरे धीरे शुरू होने से मदद मिली है, लेकिन बड़ी राहत चीन से इस्पात मांग और खपत में दर्ज की गई तेजी से मिली है, क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय इस्पात में तेजी को बढ़ावा मिला है।
क्रेडिट सुइस के आंकड़े से पता चलता है कि चीन में घरेलू एचआरसी (हॉट-रोल्ड कोइल) कीमतें 568 डॉलर प्रति टन पर हैं, जो जुलाई 2019 के बाद से सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर हैं। इससे घरेलू कीमतों को मदद मिली है और जुलाई में एचआरसी में लगभग 800 रुपये प्रति टन की वृद्घि के बाद इस्पात कीमतें अगस्त 2000 रुपये प्रति टन तक फिर से बढ़ गईं। फिर भी, घरेलू कीमत आयातित इस्पात की संपूर्ण लागत के मुकाबले सस्ती है। कोयला जैसे सस्ते कच्चे माल इस्पात निर्माताओं के लिए सकारात्मक है और इससे उनके मुनाफे में मदद मिल सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय कच्चा माल अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले काफी सस्ता है। यह सकारात्मक खबर भी है क्योंकि भारतीय कंपनियां मौजूदा समय में कम घरेलू मांग को ध्यान में रखते हुए निर्यात पर ज्यादा निर्भर रकर रही हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के अमित मुरारका कहते हैं, 'घरेलू इस्पात कीमत अब कोविड-पूर्व स्तर के आसपास है और कमजोर उत्पादन लागत से इस्पात कंपनियों के मुनाफे में मदद मिलेगी, भले ही मांग अभी कोविड से पहले जैसी नहीं है।' टाटा स्टील और जेएसपीएल मुरारका के प्रमुख पसंदीदा शेयर हैं, क्रेडिट सुइस ने भी इन दोनों कंपनियों को पसंद किया है।
जेएसपीएल
जेएसपीएल ने विस्तार, परिचालन दक्षता, और अपनी शारदा खदानों से लौह अयस्क इन्वेंंट्री के साथ साथ कोयला कीमतों में नरमी की मदद से लगातार प्रदर्शन में सुधार दर्ज किया है। सुधरते नकदी प्रवाह से कंपनी को कर्ज घटाने में मदद मिली है। लॉकडाउन के बावजूद जेएसपीएल का शुद्घ कर्ज मार्च 2020 के 35,919 करोड़ रुपये की तुलना में 1,300 करोड़ रुपये तक घटकर जून के अंत में 34,621 करोड़ रुपये रह गया। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के विश्लेषकों का कहना है कि ओमान इस्पात परिसंपत्तियों की संभावित बिक्री से भी शुद्घ कर्ज में 6,000-6,500 करोड़ रुपये तक की कमी लाने और शुद्घ कर्ज-एबिटा अनुपात वित्त वर्ष 2021 के लिए 3.9 गुना से घटाकर 3.4 गुना करने में मदद मिल सकेगी।
जेएसडब्ल्यू स्टील
कंपनी बाहरी कच्चे माल की आपूर्ति पर ज्यादा निर्भर है और उसे कच्चे माल की कीमतों में नरमी का लाभ मिलने की संभावना है। प्राप्तियों में सुधार से भी परिदृश्य में बदलाव आएगा। उत्पादन बढ़कर कोविड-पूर्व स्तर (90 प्रतिशत क्षमता इस्तेमाल) पर पहुंच जाने से विश्लेषकों को वित्त वर्ष 2021 के अगले 9 महीनों में बिक्री वृद्घि भी सामान्य हो जाने की संभावना है। इसके अलावा, स्लरी पाइपलाइन और रेलवे में उसके निवेश से लॉजिस्टिक लागत में कमी और मुनाफे में सुधार आने की संभावना है। विदेशी शोध फर्म नोमुरा के अनुसार इस शेयर में निवेश के लिए यह मुख्य कारणों में से एक है। नोमुरा को कंपनी की आय में वित्त वर्ष 2022 के दौरान 380 प्रतिशत की तेजी आने की संभावना है।
टाटा स्टील
यह एक ऐसी समेकित कंपनी है जो अब भारतीय परिचालन पर जा ध्यान दे रही है। भारत में कंपनी इस्पात व्यवसाय के बुनियादी आधार में सुधार अच्छा संकेत है, वहीं सस्ते कच्चे माल से अधिग्रहणों (टाटा स्टील बीएसएल) का मुनाफा भी बढ़ सकता है। यूरोपीय परिचालन ने भी मार्च तिमाही में उम्मीद से बेहतर वित्तीय परिणाम दर्ज किया। जहां मौजूदा पुनर्गठन प्रयासों की सफलता यूरोपीय परिचालन के संपूर्ण कायाकल्प के लिए महत्वपूर्ण है, वहीं यूरोप की अर्थव्यवस्था में सुधार और कोयला कीमतों में नरमी से भी टाटा स्टील यूरोप को मदद मिलेगी। इस शेयर के लिए 450 रुपये का लक्ष्य रखने वाले एडलवाइस के विश्लेषकों का कहना है, 'अलौह धातु क्षेत्र में घरेलू के साथ साथ वैश्विक परिचालन में आय सुधार की संभावना की वजह से यह हमारा पसंदीदा शेयर है।'
सेल
शानदार निर्यात की मदद से कंपनी ने बिक्री के मोर्चे पर शानदार प्रदर्शन कर सभी को चौंका दिया है। उसे प्राप्तियों में सुधार का भी फायदा मिलने की संभावना है। रेलवे से ऊंची मांग इसके लॉन्ग श्रेणी के उत्पादों की प्राप्तियों को मजबूत बनाए रखेगी, वहीं सेल को 2020-21 की दूसरी छमाही से सरकारी पूंजीगत खर्च का भी लाभ मिलने की संभावना है। एमके ग्लोबल के विश्लेषकों का कहना है कि उन्हें मुनाफे में तिमाही आधार पर सुधार आने की उम्मीद है, क्योंकि जून तिमाही में आय में सुधार आया है।
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