पहली तिमाही में बिक्री में बड़ी गिरावट के बाद देसी दवा बाजार उद्योग में सुधार नजर आया। जून में बाजार में 2.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई जबकि मई में उसमें करीब 9 फीसदी की गिरावट आई थी और अप्रैल में बिक्री पर 11 फीसदी की चोट पड़ी थी। ज्यादातर थेरेपी में सुधार नजर रआया है, जो संकेत देता है कि मांग वापस आ रही है। हालांकि इससे जुड़े लोग दावा कर रहे हैं कि मॉनसून के जल्द आने और जून 2019 के निचले आधार ने इसमें आंशिक भूमिका निभाई। बाजार शोध फर्म एआईओसीडी अवैक्स के आंकड़ोंं के मुताबिक, देसी दवा बाजार ने इस वित्त वर्ष में अप्रैल-जून के दौरान 5.9 फीसदी की नकारात्मक बढ़त दर्ज की। सालाना मूविंग औसत के आधार पर हालांकि बिक्री में 6.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। एआईओसीडी अवैक्स के निदेशक अमीष मासुरेकर का मानना है कि जून 2019 का आधार निचला था क्योंंकि मॉनसून में थोड़ी देर हुई थी। उन्होंने कहा, उसकी तुलना में इस साल मॉनसून जल्दी आ गया। यह मोटे तौर पर संक्रमरोधी दवाओं जैसी श्रेणी की बिक्री बढ़ाती है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि प्रमुख थेरेपी की रफ्तार में सुधार को सकारात्मक संकेत के तौर पर देखा जा सकता है। एआईओसीडी अवैक्स का मानना है कि जून के मुकाबले जुलाई की रफ्तार हालांकि स्थिर रहने की संभावना है। मासुरेकर ने कहा, यह मानना अभी जल्दबाजी होगी कि देसी दवा उद्योग जल्द ही बढ़त की पटरी पर लौट आएगा। जून के मुकाबले जुलाई करीब 2-3 फीसदी की बढ़त के साथ स्थिर रहेगा। क्रॉनिक थेरेपी क्षेत्र हालांकि पटरी पर लौटा है और हृदय रोग के इलाज की दवा में 11.8 फीसदी का इजाफा हुआ है जबकि मधुमेह की दवा में 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। श्वसन से संबंधित बीमारी की दवा मेंं जून में 9.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। चूंकि लोग घर से बाहर निकल रहे हैं, लिहाजा संक्रमण की दर तेज हो रही है। एंटीबायोटिक (संक्रमणरोधी) और एलर्जी की दवा में कमी आई है। एक विश्लेषक ने कहा, उदाहरण के लिए अस्थमा की परेशानी कम हुई है क्योंकि लोग घर में रह रहे हैं। ये चीजें श्वसन रोग के इलाज की दवाओं की बिक्री में नजर आई हैं। एडलवाइस ने कहा कि ग्लेनमार्क फार्मा (13.1 फीसदी), अजंता (9.3 फीसदी), सिप्ला (7.4 फीसदी), टॉरंट (6.7 फीसदी) की रफ्तार भारतीय दवा बाजार के मुकाबले तेज रही। वहीं अन्य कंपनियों मसलन एल्केम (-1.8 फीसदी), नैटको (0.1 फीसदी), जायडस (0.2 फीसदी), सन फार्मा (0.8 फीसदी), डॉ. रेड्डीज (1.1 फीसदी), एलेंंबिक (1.7 फीसदी), ल्यूपिन (1.8 फीसदी) ने सुस्त बढ़ोतरी दर्ज की। ग्लेनमार्क के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि जून में दो अंकों की रफ्तार फेविपिराविर के कारण दर्ज नहीं हुई। फेविपिराविर का इस्तेमाल कोविड-19 के मरीजों के इलाज में होता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से हमारी बढ़त की रफ्तार बाजार के मुकाबले लगातार बेहतर रही है।
