वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को ऐसे कई उपायों की घोषणा की जो कई तरह के भुगतान या नियमन को आगे बढ़ाने वाले हैं। इस कदम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि नोवल कोरोनावायरस से निपटने के लिए हो रहे लॉकडाउन के कारण करदाताओं और कंपनियों पर कोई अतिरिक्त दबाव न पड़े। व्यापक तौर पर सीतारमण ने प्रक्रियात्मक कदमों की घोषणा की लेकिन इनसे करदाताओं और कंपनियों को एक समान राहत मिलेगी। आकलन वर्ष 2019-20 के लिए आय कर रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 30 जून कर दी गई है। पैन कार्ड को आधार कार्ड से जोडऩे के लिए भी ऐसा ही किया गया है। कर जमा करने में होने वाली देरी पर लगाए जाने वाले ब्याज की दर भी कम की गई है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर भी ऐसे ही उपाय किए गए। छोटे और मझोले उपक्रमों के लिए ब्याज और जुर्माने से रियायत की तारीख बढ़ाकर 30 जून कर दी गई। सीतारमण ने स्पष्ट कहा कि यह सरकार द्वारा पेश किया जाने वाला आर्थिक पैकेज नहीं है बल्कि सांविधिक और नियामकीय अनुपालन से जुड़े मामलों को लेकर एक घोषणा भर है। चाहे जो भी हो लेकिन ये कदम आवश्यक थे और ऐसे समय में ये कुछ राहत प्रदान कर सकते हैं। सरकार आगे और कदम उठाने को तैयार है जिनका स्वागत किया जाना चाहिए। यह ऐसे समय में हुआ जब पूरा देश लॉकडाउन हो चुका है। 30 राज्यों में लॉकडाउन की घोषणा के साथ करीब-करीब पूरा देश थम सा गया है। कंपनियों पर इसका गहरा असर होगा। खासतौर पर उन कंपनियों पर जो कम मार्जिन पर और न्यूनतम कार्यशील पूंजी के साथ काम करती हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि नियामकीय अनुपालन के कारण उन पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े। यह सुनिश्चित करना भी अहम है। इस अवधि में कंपनियों के दिवालिया होने का कोई बड़ा मामला सामने न आए। अगर ऐसा हुआ तो ज्यादा चिंता की बात होगी। यही कारण है कि सरकार ने ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता के प्रावधानों को लागू करने की सीमा को 100 गुना बढ़ाकर एक लाख रुपये से एक करोड़ रुपये कर दिया है। सरकार हमेशा से राजस्व बढ़ाने और भारतीय उत्पादकों से अधिकतम राशि जुटाने के मामले में दुविधा में रही है। खासतौर पर वह कर संग्रह की कमी से जूझती रही है और कहा जा सकता है कि उसने अक्सर उत्पादकों को मंदी से बचाने के बजाय राजस्व बढ़ाने पर जोर दिया है। अब जबकि यह अप्रत्याशित संकट हमारे सामने है तो अच्छी बात है कि ऐसी घोषणाएं की गई हैं। लेकिन आगे चलकर इन कदमों के पीछे की मूल भावना पर भी अमल होना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो सरकारी मशीनरी को भविष्य में राजस्व हित के बजाय देश हित को ध्यान में रखकर कदम उठाने चाहिए। क्योंकि राजस्व को लेकर ज्यादा सोचने का असर कारोबारी माहौल पर पड़ता है। चाहे जो भी हो इस वक्त राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर ज्यादा पिछडऩा ठीक नहीं होगा। अन्य देशों ने कुछ क्षेत्रों के लिए कर रियायत की घोषणा करने के साथ-साथ इस बंदी से ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों के लिए केंद्रित ऋण की घोषणा भी की है। प्रत्यक्ष हस्तांतरण और आर्थिक पैकेज के साथ-साथ नियामकीय प्रतिक्रिया में इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। कोरोनावायरस संकट बहुत बुरा है। देश के कड़े नियमन और अफसरशाही के कारण इसे और बुरा नहीं बनने देना चाहिए। वित्त मंत्री का इरादा नेक है और इसे लागू किया जाना चाहिए। मंगलवार को घोषित पैकेज के अलावा देश व्यापक आर्थिक पैकेज की प्रतीक्षा कर रहा है। उन्होंने वादा किया कि यह पैकेज भी जल्दी आएगा।
