फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) द्वारा जारी मासिक पंजीकरण आंकड़े के अनुसार, विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा स्थानीय तौर पर लगाए गए लॉकडाउन के बीच पूरे भारत में वाहनों का पंजीकरण अप्रैल 2021 में घटकर आठ महीने के निचले स्तर पर रह गया। यह अप्रैल 2019 के मुकाबले 32 प्रतिशत की बड़ी गिरावट है। लॉकडाउन की वजह से आउटलेटों के बंद होने से वाहन डीलरों को बड़े दबाव का सामना करना पड़ा। फाडा ने सरकार से राहत मांगी है और वाहन निर्माताओं के लिए पिछले साल महामारी के दौरान समान मदद दिए जाने का आह्वान किया है।
फाडा के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने एक बयान में कहा है, ‘भारत मौजूदा समय में कोविड की दूसरी लहर की वजह से अपने सबसे चुनौतीपूर्ण समय में से एक से गुजर रहा है। इस महामारी से हर किसी की जिंदगी प्रभावित हुई है। इस बार कोविड संक्रमण सिर्फ शहरी बाजारों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसने ग्रामीण भारत को भी अपनी चपेट में लिया है।’
पिछले साल के विपरीत, इस बार का लॉकडाउन खासकर राज्य सरकारों द्वारा लगाया गया है, केंद्र द्वारा नहीं। गुलाटी ने कहा कि इस वजह से, अब तक केंद्र या आरबीआई द्वारा किसी तरह की राहत की घोषणा नहीं की गई है। अप्रैल के दौरान करीब 11,85,374 वाहनों (सभी श्रेणियां) को पंजीकरण प्राप्त किया। यह अगस्त 2020 में 11,88,087 वाहनों के बिक्री पंजीकरण के मुकाबले थोड़ा कम ही है। 24 मार्च 2020 को प्रभावी हुए 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन के बाद, जून 2020 से वाहन पंजीकरण में तेजी आनी शुरू हुई थी और दिसंबर में शानदार पंजीकरण दर्ज किया गया।
वित्त वर्ष के पहले महीने यानी अप्रैल में वाहनों का पंजीकरण मासिक आधार पर 28 प्रतिशत तक घटा, क्योंकि कई भारतीय राज्यों में 5 अप्रैल से लॉकडाउन (आंशिक के साथ साथ संपूर्ण तौर पर) लगाया गया है।
लॉकडाउन की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई है और उसके बाद छत्तीसगढ़, दिल्ली, राजस्थान तथा अन्य राज्यों ने भी इसी तरह के कदम उठाए हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि सभी श्रेणियों के वाहनों ने मासिक बिक्री में कमजोरी दर्ज की और दोपहिया के लिए इसमें मासिक आधार पर 28 प्रतिशत, तिपहिया के लिए 43 प्रतिशत, यात्री वाहनों के लिए 25 प्रतिशत, ट्रैक्टरों के लिए 45 प्रतिशत और वाणिज्यिक वाहनों के लिए 24 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
डीलरों के संगठन ने वाहन निर्माताओं से डीलरों को इस स्थिति से उसी तरह निपटने को कहा है जिस तरह उन्होंने महामारी के पहले चरण का मुकाबला किया था, क्योंकि कई राज्यों में स्थिति काफी नाजुक है और डीलरों के साथ साथ उनकी टीमों को कोविड के प्रभाव से बचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। फाडा ने निर्माताओं से डीलरों पर उन सभी राज्यों में महंगे बिलिंग का बोझ नहीं डालने का भी अनुरोध किया है जहां कोविड-19 संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन लगाने की घोषणा की गई है।