फ्रांस और एमबाप्पे ने मोरक्को के ऐतिहासिक अश्वमेधी अभियान में नकेल कसते हुए एक बार फिर FIFA World cup के महासमर के खिताबी मुकाबले में जगह बना ली और इसी के साथ दुनिया भर के फुटबॉल प्रेमियों को एक ‘ड्रीम फाइनल’ मिल गया।
मुकाबले देखने आये राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मौजूदगी में पिछले चैम्पियन फ्रांस ने पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचने वाली अफ्रीकी टीम मोरक्को को 2-0 से हराया। एम्बाप्पे ने पांचवें मिनट में थियो हर्नान्डिज और 79वें मिनट में सब्स्टीट्यूट रेंडल कोलो मुआनी के गोल में सूत्रधार की भूमिका निभाई।
फ्रांस का सामना रविवार को अर्जेंटीना से होगा और उसकी नजरें 1962 में ब्राजील के बाद खिताब बचाने वाली पहली टीम बनने पर होंगी। एमबाप्पे के पास 35 वर्ष के मेस्सी की टीम के खिलाफ चमत्कारिक प्रदर्शन करके फुटबॉल के महानतम खिलाड़ियों में अपना नाम दर्ज कराने का मौका होगा। एमबाप्पे 2018 में रूस में फ्रांस की खिताबी जीत के बाद फुटबॉल के सुपरस्टार बनकर उभरे थे।
पिछले 15 साल से चले आ रहे मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो के दबदबे को उन्होंने चुनौती दी थी। उनके पास लगातार दो विश्व कप जीतने वाले पेले के करिश्मे को दोहराने का मौका होगा।
कई मायनों में यह ‘ड्रीम फाइनल’ है जिसमें फ्रांस पिछले 60 साल में लगातार दूसरी बार खिताब जीतने वाली पहली टीम बनना चाहेगी तो अर्जेंटीना मेस्सी को उनके आखिरी विश्व कप का तोहफा खिताब के रूप में देने की कोशिश होगी।
फ्रांस के विश्व कप फाइनल में पहुंचते ही देश भर में फुटबॉल की दीवानगी चरम पर पहुंच गई और हर शहर में जश्न की शुरुआत भी हो गई जबकि टीम के ऐतिहासिक प्रदर्शन पर फख्र करने वाले मोरक्को के समर्थकों के चेहरों पर मायूसी थी।
पेरिस में चैम्प्स एलिसीस पर फुटबॉल प्रेमियों का हुजूम उमड़ पड़ा। उन्होंने आतिशबाजी की और फ्रांस के झंडे लहराये। चारों तरफ कार के हॉर्न का शोर सुनाई दिया। शहर भर में दंगा रोकने वाली पुलिस गश्त करती दिखाई दी। पेरिस के बोलवाडर्स से लेकर मोरक्को की राजधानी रबात तक, फ्रांस के नीस से लेकर मोरक्को के मराकेश तक दोनों टीमों के समर्थक बड़ी संख्या में इस मैच को सार्वजनिक स्थलों पर देख रहे थे। मैड्रिड में मैच के बाद सोल स्क्वेयर पर जश्न मनाया गया।
मिडल ईस्ट में पहली बार हो रहे विश्व कप फाइनल में अरब की कोई टीम नहीं बची है। अफ्रीका की टीम मोरक्को ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करके यूरोपीय महाशक्तियों स्पेन और पुर्तगाल को नॉकआउट चरण में हराया। इससे पहले क्रोएशिया और बेल्जियम जैसी टीमों के ग्रुप में शीर्ष रही थी। अपने प्रदर्शन से उसने दुनिया भर में करोड़ों फुटबॉल प्रेमियों के दिल जीते।
हर्नान्डिज का गोल इस विश्व कप में मोरक्को के खिलाफ किसी टीम का पहला गोल था। इससे पहले ग्रुप चरण में एक आत्मघाती गोल हुआ था। दूसरी ओर फ्रांस की टीम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं करते हुए भी जीतने का शऊर बखूबी सीख गई है। पिछले सात विश्व कप में वह चौथी बार फाइनल खेलेगी जो एक रिकॉर्ड है।
मोरक्को को चोटिल डिफेंडर नायेफ अगुएर्ड की कमी खली और कप्तान रोमेस सेस भी 21 मिनट बाद हैमस्ट्रिंग की चोट के कारण बाहर हो गए। दोनों खिलाड़ियों का खेलना पहले ही संदिग्ध था लेकिन कोच ने उन्हें उतारने का जोखिम लिया। लेफ्ट बैक नूसैर माजराउइ भी फ्लू से जूझ रहे थे और हाफ टाइम तक ही खेल सके।
मोरक्को के पास 44 वें मिनट में गोल करने का मौका था जब जावेद अल यामिक का हेडर पोस्ट से टकरा गया। फ्रांस को उन्हें रोकने के लिये डिफेंस में अपनी पूरी ताकत झोंकनी पड़ी। दूसरे हाफ में मोरक्को की टीम थकी हुई लगी जिससे फ्रांस की राह और आसान हो गई । एम्बाप्पे ने दो डिफेंडर्स को छकाते हुए मुआनी को गेंद सौंपी जो एक मिनट पहले ही मैदान पर उतरे थे। उनके गोल पर वीआईपी सीट पर बैठे राष्ट्रपति मैक्रों खड़े होकर जश्न मनाते नजर आये। बाद में उन्होंने लॉकर रूम में खिलाड़ियों को बधाई दी। विश्व कप फाइनल में मुकाबला गोल्डन बूट के लिये भी होगा क्योंकि मेस्सी और एमबाप्पे दोनों के पांच पांच गोल हैं। वहीं मोरक्को की टीम तीसरे स्थान के लिये क्रोएशिया से खेलेगी।