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डी गुकेश: 17 की उम्र में बिसात का शाहजादा…

FIDE Candidates tournament: टोरंटो में जीतकर 17 साल के डी गुकेश बने शतरंज के इतिहास में विश्व चैंपियनशिप खिताब के सबसे कम उम्र के दावेदार।

Last Updated- April 22, 2024 | 10:20 PM IST
D Gukesh

शतरंज के साथ चेन्नई का इश्क तब शुरू हुआ था, जब 1970 के दशक में शीतयुद्ध अपने चरम पर था। शहर के चहलपहल भरे नंगमबक्कम इलाके में आलीशान रशियन कल्चरल सेंटर की बुनियाद पड़ने के साथ ही वहां 64 खानों वाली बिसात बिछने लगी।

पास में ही शहर का पहला शतरंज क्लब खुला, जिसका नाम सोवियत-लातविया के मिखाइल ताल के नाम पर रखा गया। धीरे-धीरे यह शतरंज का अखाड़ा बन गया, जहां से एक के बाद एक ग्रैंडमास्टर निकलने लगे।

रशियन कल्चरल सेंटर ही वह जगह थी, जहां एक अनजान सा लड़का घंटों शतरंज की किताबें घोटता रहता और 64 खानों की पहेली बूझता रहता। वह लड़का विश्नाथन आनंद था, जो 1988 में भारत से पहला ग्रैंडमास्टर बना और पांच बार विश्व शतरंज चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर चुका है।

इधर सदी ने करवट ली और उधर वेलाम्मल इंस्टीट्यूशन्स शतरंज का नया ठिकाना बन गया। ग्रैंडमास्टरों की अगली पीढ़ी में कई बड़े नाम यहीं से आए। 2004 से भारत में 73 ग्रैंडमास्टर बन चुके हैं और उनमें से 15 वेलाम्मल इंस्टीट्यूशन्स से जुड़े हैं।

17 साल की उम्र में बिसात के इस खेल पर अपनी पक्की मुहर लगाई

यहीं से निकले डी गुकेश (D Gukesh) ने सोमवार को महज 17 साल की उम्र में बिसात के इस खेल पर अपनी पक्की मुहर लगा दी, जब वह विश्व चैंपियनशिप खिताब के लिए ताल ठोकने वाले सबसे कम उम्र के दावेदार बन गए।

गुकेश ने कनाडा के टॉरंटो में फिडे कैंडिडेट्स टूर्नामेंट अपने नाम किया। उनसे पहले भारत के लिए यह खिताब आनंद ने ही जीता था। गुकेश ने खुद से 19 साल बड़े अमेरिकी हिकारू नाकामुरा के खिलाफ आखिरी राउंड में 14 में से 9 पॉइंट झटक लिए। विश्व चैंपियनशिप का खिताबी मुकाबले इसी साल होगा, जिसमें गुकेश चीन के दिंग लीरेन से दो-दो हाथ करेंगे।

आनंद ने एक्स पर गुकेश को बधाई देते हुए लिखा, ‘सबसे कम उम्र का चैलेंजर बनने के लिए @डीगुकेश को बधाई। तुमने जो किया है, उसके लिए @वाकाचेस फैमिली को नाज है। तुम जिस तरह खेले और मुश्किल हालात से जिस तरह निकले, उसके लिए मुझे तुम पर गर्व है। इस लम्हे का लुत्फ उठाओ।’

इस जीत ने गुकेश की उड़ान को एक तरह से मुकम्मल पड़ाव के बेहद करीब पहुंचा दिया। 2019 में जब वह ग्रैंडमास्टर बने तो यह खिताब पाने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के शतरंज खिलाड़ी थे और महज पांच साल के भीतर वह विश्व खिताब के लिए ताल ठोक रहे हैं।

गुकेश का जन्म तेलुगू बोलने वाले डॉक्टरों के परिवार में हुआ। उनके पिता रजनीकांत आंख-कान-गले के सर्जन हैं और मां पद्मा माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। मगर शायद ही कोई मानता होगा कि गुकेश भी डॉक्टर बनेंगे। गुकेश सात साल के हुए तो उनकी नजरें शतरंज की बिसात से बंध गई थीं।

वेलाम्मल में शतरंज के को-ऑर्डिनेटर एस वेलावन ने पीटीआई से कहा, ‘शतरंज हमेशा से इस शहर की तहजीब का हिस्सा रहा है और शतरंज को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के फैसले ने इस खेल को पंख ही दे दिए। हां, उनके सामने आनंद जैसे खिलाड़ी की प्रेरणा भी है।’

एक दशक पहले जब जे जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री थीं तब उन्होंने पूरे चेन्नई में ‘7 टु 17 प्रोग्राम’ शुरू किया था। उसका फायदा अब नजर आ रहा है, जब शहर से आर प्रज्ञानंद और गुकेश जैसे नगीने निकल रहे हैं।

गुकेश के पास प्रतिभा और हुनर तो है ही, बेहद मुश्किल हालात में भी घबराए बगैर दिमाग को ठंडा रखने और चाल सोचने की उनकी क्षमता उन्हें दूसरों से बिल्कुल अलग खड़ा कर देती है। उनके ठंडे दिमाग की बानगी फिडे कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के 7वें राउंड में नजर आई, जब उन्हें अलीरजा फिरौजा से मात खानी पड़ी। गुकेश उस हार से हताश नहीं हुए बल्कि उन्होंने अगले राउंड में बेहतर करने की ठान ली।

गुकेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘मुझे बुरा लग रहा था मगर विश्राम के दिन मैं अच्छा महसूस करने लगा। हार से तकलीफ तो हुई थी मगर मैं भीतर से सबसे अच्छा महसूस करने लगा था। हो सकता है कि उस हार ने मुझे प्रेरणा दी हो।’

बधाइयों का सिलसिला रुका नहीं है और पिछले 12 घंटों से गुकेश का फोन लगातार बज रहा है। मगर गुकेश इस उपलब्धि के खुमार में बिल्कुल नहीं हैं। इस किशोर की नजर विश्व चैंपियनशिप पर टिक गई है। गुकेश ने जीत के बाद एएनआई से कहा, ‘मैं अपना सबसे अच्छा देने और सही चाल चलने के बारे में ही सोच रहा हूं।’

गुकेश जब लीरेन के साथ खिताब के लिए भिड़ेंगे तो उनका यही मिजाज काम आएगा। अगर उम्मीद के मुताबिक खिताब उनकी झोली में आया तो चेन्नई में रशियन कल्चरल सेंटर से नेपियर ब्रिज तक हर गली-मुहल्ला जश्न मनाएगा।

गुकेश का सफर

जन्म: 29 मई, 2006

2015: अंडर-19 एशियन स्कूल चेस चैंपियनशिप जीती

2017: 34वें कापे-ला-ग्रांद ओपन में इंटरनैशनल मास्टर का खिताब

2019: महज 12 साल 7 महीने और 17 दिन की उम्र में बने शतरंज के इतिहास के दूसरे सबसे कम उम्र ग्रैंडमास्टर

2022: एमचेस रैपिड टूर्नामेंट में विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को मात देने वाले सबसे कम उम्र खिलाड़ी बने

2023: सबसे कम उम्र में 2750 रेटिंग हासिल करने वाले खिलाड़ी, 37 साल में पहली बार विश्वनाथन आनंद को भारत के शीर्ष खिलाड़ी की कुर्सी से हटाया

2024: सबसे कम उम्र के कैंडिडेट्स विजेता बने

First Published - April 22, 2024 | 9:43 PM IST

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