शॉर्ट वीडियो ऐप चिंगारी के संस्थापक सुमित घोष ने हाल ही में कहा था कि वह ऐसा नहीं चाहते कि उनका ऐप टिकटॉक की तरह केवल एक मनोरंजन ऐप बनकर रह जाए, बल्कि वे इसे वीचैट की तरह एक ‘सुपर ऐप’ बनाना चाहते हैं, जो मनोरंजन से लेकर शिक्षा तथा ई-कॉमर्स तक ग्राहकों की हर तरह की जरूरतों को पूरा कर सके। चिंगारी ऐप में चैट, लाइव स्ट्रीमिंग तथा सोशल कॉमर्स जैसी विशेषताओं जोडऩे पर काम कर रहे घोष कहते हैं, ‘अगर आप केवल एक शॉर्ट वीडियो ऐप हैं तो लोग केवल कम एवं सीमित समय के लिए ही आपके ऐप पर आएंगे। किसी के जीवन का हिस्सा बनने के लिए हमें मनोरंजन से आगे बढ़कर कुछ उपलब्ध कराना होगा।’
भारत में स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग और कम कीमतों में इंटरनेट की उपलब्धता से ई-कॉमर्स के बढ़ते चलन ने टाटा जैसे बड़े घरानों को भी एक ऐप में कई विशेषताओं वाले ‘सुपर ऐप’ बनाने के लिए प्रेरित किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे प्रमुख उद्देश्य उपयोगकर्ताओं की संख्या में बढ़ोतरी करना है। हाल ही में मीडिया में आई खबरों के अनुसार टाटा समूह अपनी सभी सेवाओं को एक सुपर ऐप में समाहित करके पेश करने जा रहा है और दिसंबर-जनवरी तक इसके आने की उम्मीद है।
किसी उपभोक्ता के लिए, ऐसे ऐप सुपर ऐप होते हैं जहां कई तरह के कार्य किए जा सकते हों, विभिन्न सेवाएं उपलब्ध हों तथा फोन की मेमरी बचाई जा सकती हो। इंफ्लुऐन्शियल मार्केटिंग फर्म विंकली के सह-संस्थापक तथा मुख्य कार्याधिकारी राहुल सिंह कहते हैं, ‘टाटा समूह पहले ही ऑफलाइन माध्यम में एक सुपर ऐप मॉडल को अपना चुका है। उनके लिए सुपर ऐप की ओर कदम बढ़ाना काफी कारगर कदम होगा क्योंकि इसकी मदद से ग्राहकों की संख्या में इजाफा करके अपने राजस्व को बढ़ाया जा सकता है।’
फेसबुक के साथ 5.7 अरब डॉलर का सौदा करने वाली मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो भी जियो मार्ट की मदद से ग्रॉसरी क्षेत्र के ई-कॉमर्स कारोबार में हाथ आजमाने के साथ अपना डिजिटल साम्राज्य खड़ा कर रही है। रिलायंस रिटेल ने भी चेन्नई स्थित ऑनलाइन फार्मेसी डिलिवरी स्टार्टअप नेटमेड्स में 620 करोड़ रुपये के साथ अहम हिस्सेदारी हासिल की है। साथ ही, कंपनी ने ऑनलाइन अधोवस्त्र ब्रांड जिवामे में भी 15 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की है। ई-कॉमर्स प्रबंधन फर्म एसिडस के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी सोमदत्त सिंह कहते हैं, ‘सुपरऐप का उपयोग काफी आसान एवं आरामदायक होता है।
बाजार के नजरिये से, आपके पास पहले से ही एक लाक्षित ग्राहक समूह और जरूरी डेटा होता है, जो आपको आवश्यक विकल्प उपलब्ध कराने और सही समय पर सही लोगों तक पहुंचाने में मदद करता है।’ हालांकि क्षेत्र विशेष में पहले से ही लोकप्रिय ऐप के होने से किसी सुपर ऐप पर ग्राहकों को लाना आसान नहीं होगा। जैसे, ईकॉमर्स में एमेजॉन, ऑनलाइन ग्रॉसरी में बिगबास्केट, फूड डिलिवरी में जोमेटो तथा स्विगी, टिकट बुकिंग में मेकमाईट्रिप, फिल्म टिकट बुकिंग में बुकमाईशो आदि अपने अपने क्षेत्र की प्रमुख कंपनियां हैं।
फॉरेस्टर रिसर्च में वरिष्ठ विश्लेषक सतीश मीणा कहते हैं, ‘आने वाले सभी सुपर ऐप में उपलब्ध सुविधाओं वाले क्षेत्रों में पहले से ही कोई न कोई ऐप अपनी पैठ जमा चुका होगा। इसलिए, उपयोगकर्ताओं के लिए किसी दूसरे ऐप पर जाने का कोई कारण नहीं बनता।’ कई कंपनियों ने इस क्षेत्र में अपने हाथ आजमाए हैं लेकिन पेटीएम जैसे कुछ ऐप को छोड़कर अधिकांश विफल रहे हैं। पेटीएम के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारा विचार सिर्फ सुपर ऐप विकसित करना न होकर एक विविधतापूर्ण वातावरण तैयार करना है जो ग्राहकों को समर्थ बनाए तथा देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव छोड़े। जैसे जैसे हम विकास क्रम में आगे बढ़ते हैं, हम लोगों को समर्थ बनाना चाहते हैं जिससे बैंकिंग, मुद्रा, उधारी तथा दूसरी वित्तीय सेवाओं का लाभ लेने के लिए उन्हें भौगोलिक एवं पहुंच जैसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।’ इसी क्षेत्र की अन्य कंपनी फोनपे ने थोड़ा अलग ‘स्विच’ मॉडल अपनाया है जिसके तहत इसके 23 करोड़ उपयोगकर्ता फोनपे मोबाइल ऐप के सहारे ही ओला, मिंत्रा, आईआरसीटीसी, गोबिबिगो, रेडबस, ओयो जैसे 200 से अधिक ऐप पर सीधे ऑर्डर दे सकते हैं।