फेसबुक की स्वामित्व वाली कंपनी मेटा के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) या कृत्रिम मेधा का इस्तेमाल करके दुनिया भर में भाषा से जुड़ी बाधाओं को खत्म करना चाहते हैं। मेटा ने एक महत्त्वाकांक्षी एआई संचालित परियोजना की घोषणा की है जो इसके मेटावर्स के निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण होगी। कंपनी ने कहा कि वह एक एआई संचालित वर्चुअल सहायक के साथ एक सार्वभौमिक भाषा अनुवादक तैयार करने पर काम कर रही है।
एक ऑनलाइन प्रेजेंटेशन में जुकरबर्ग ने कहा, ‘किसी भी भाषा में किसी के साथ संवाद करने की क्षमता एक ऐसी ताकत है जिसके बारे में लोगों ने हमेशा सोचा है और एआई हमारे जीवनकाल में ही यह सच करने जा रही है।’ कंपनी ने कहा कि मेटावर्स के लिए निर्माण के लिए एआई में बड़ी सफलता की आवश्यकता होगी। इस दिशा में पहला कदम, बोलने और अनुवाद की ताकत को जोडऩा है।
कंपनी ने कहा कि मेटा एआई अब भाषा और एमटी टूल बनाने के लिए दीर्घकालिक कोशिश की घोषणा कर रहा है जिसमें दुनिया की अधिकांश भाषाएं शामिल होंगी। इसमें दो नई परियोजनाएं शामिल हैं। कंपनी ने कहा, ‘पहला, ‘नो लैंग्वेज लेफ्ट बिहाइंड’ है, जहां एक नए एआई मॉडल का निर्माण किया जा रहा है जो कम उदाहरणों वाली भाषाओं से सीख सकता है और हम इसका इस्तेमाल सैकड़ों भाषाओं में विशेषज्ञ-गुणवत्ता वाले अनुवादों को सक्षम करने के लिए करेंगे जिसमें एस्टुरियन से लेकर लुगांडा और उर्दू जैसी भाषाएं तक शामिल हैं।’
दूसरा यूनिवर्सल स्पीच ट्रांसलेटर है, जहां मेटा एक ही वक्त में एक भाषा के भाषण का दूसरी भाषा में अनुवाद करने के लिए नए मॉडल का डिजाइन तैयार कर रहा है ताकि यह मानक लेखन प्रणाली के बिना भी लिखित और बोली जाने वाली भाषाओं का समर्थन कर सके। जो लोग अंग्रेजी, मंदारिन या स्पेनिश जैसी भाषाओं को समझते हैं, उनके लिए ऐसा लग सकता है कि आज केऐप और वेब टूल पहले से ही अनुवाद तकनीक प्रदान करते हैं जिनकी हमें आवश्यकता है। दुनिया की लगभग आधी आबादी आज अपनी पसंदीदा भाषा में ऑनलाइन सामग्री नहीं हासिल कर सकती है। नो लैंग्वेज लेफ्ट बिहाइंड योजना एक ऐसी प्रणाली होगी जो सभी लिखित भाषाओं के बीच अनुवाद करने में सक्षम है।
कंपनी ने एक ब्लॉग में कहा, ‘हम यूनिवर्सल स्पीच ट्रांसलेटर पर भी काम कर रहे हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तंत्र का हिस्सा है और यह सभी भाषाओं में तात्कालिक रूप से भाषण का अनुवाद करता है, विशेषतौर पर वैसी भाषाएं जो ज्यादातर बोली जाती हैं।’
आज की मशीन अनुवाद (एमटी) वाली प्रणाली में तेजी से सुधार हो रहा है लेकिन वे अब भी बड़ी मात्रा में टेक्स्ट वाले डेटा से सीखने पर बहुत अधिक भरोसा करते हैं, ऐसे में मिसाल के तौर पर ये आमतौर पर कम संसाधन वाली भाषाओं के लिए अच्छी तरह से काम नहीं करते हैं।
जैसे कि उन भाषाओं में जिसमें प्रशिक्षण डेटा की कमी है और उन भाषाओं में जिनमें मानकीकृत लेखन प्रणाली नहीं है। प्रोजेक्ट केयराओके एआई के लिए एक नया दृष्टिकोण है जो चैटबॉट्स और सहायकों को ताकत देता है। इस तकनीक के साथ, लोग एक दिन अपने वर्चुअल सहायकों के साथ अधिक आसानी से बातचीत कर सकते हैं।
जुकरबर्ग ने उस इवेंट में कहा, ‘पांच साल पहले, हम एक दर्जन भाषाओं में अनुवाद कर सकते थे। तीन साल पहले तक हम 30 भाषाओं तक को अपना सकते थे और इस साल, अब हम सैकड़ों भाषाओं का लक्ष्य बना रहे हैं।’ हालांकि मेटा की महत्त्वाकांक्षी परियोजना को लेकर कंपनी ने कोई समय-सीमा का जिक्र नहीं किया था या कोई लक्ष्य तय नहीं किया जिसकी वजह से भी यह बहुत अस्पष्ट हो गया है।
इसके अलावा भाषाई बाधा को तोडऩे के लिए एआई का उपयोग करना कोई नई बात नहीं है। गूगल और ऐपल जैसी तकनीकी कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं और इसका एक हिस्सा अनुवाद उपकरण भी देता है। भारत और भारत सरकार भी राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (एनएलटीएम) नाम के पहल पर काम कर रही है। एनएलटीएम का मकसद स्पीच टू स्पीच मशीन ट्रांसलेशन का निर्माण करना और भारतीय भाषाओं के अनुवाद के लिए एक एकीकृत भाषा इंटरफेस (यूएलआई) तैयार करना है ताकि भारतीय भाषा प्रौद्योगिकियों की दिशा में कई कोशिश एक साथ की जा सके।