मार्च 2020 में लॉकडाउन लागू किए जाने के बाद एक 82 वर्षीय पेंशनभोगी अपने बैंक में नहीं जा सकते थे। इस सरकारी बैंक की देश भर में सैकड़ों शाखाएं हैं। इसलिए उनकी बेटी ने अपने फोन में बैंक की ऐप डाउनलोड कर ली। इसमें एकमात्र दिक्कत यह थी कि बैंक ने लंबे समय से उस ऐप की जांच नहीं की थी और न ही इस ऐप को महामारी से उपजे प्रतिबंधों के कारण ट्रैफिक के भारी दबाव को संभालने के लिए तैयार किया गया था। इसलिए यह गुणवत्ता और स्तर के मसलों से ग्रस्त थी। यह अक्सर ही कै्रश हो जाया करती थी, दिन के ज्यादातर समय पहुंच से बाहर रहती थी और फिर इस पर कोई भी लेनदेन पूरा करना संभव नहीं था।
इन्फोसिस द्वारा विकसित आयकर पोर्टल के साथ कुछ समय पहले पेश आई दिक्कतों ने सुर्खियां बटोरीं, जिससे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को हस्तक्षेप करना पड़ा और पोर्टल की समस्याओं को दुरुस्त करने के लिए एक समय सीमा निर्धारित की गई। हालांकि ऐसा लगता है कि अधिकांश गड़बडिय़ां अब ठीक की जा चुकी हैं, लेकिन इन कष्टों से उपभोक्ताओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ऐप और पोर्टलों के परीक्षण तथा उन पर होने वाली जांच के महत्त्व पर ध्यान केंद्रित होता है। ऐप पर खराब अनुभव न केवल उपभोक्ताओं को निराश करता है, बल्कि कारोबारों को भी नुकसान पहुंचाता है, जबकि दूरस्थ कामकाज और ऑनलाइन खरीदारी की दुनिया में इन ऐप को तेजी से बढ़ावा मिला है। भारत में सॉफ्टवेयर की जांच करने वाली कंपनियों का एक समूह यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि ऐसा न हो।
इन्हीं में से एक टेस्टिंगएक्सपट्र्स है, जो चंडीगढ़ में राजीव गांधी आईटी पार्क से परिचालन करती है और अपनी एंड-टु-एंड प्रबंधित गुणवत्ता आकलन और परीक्षण सेवाओं के जरिये वैश्विक स्तर पर संगठनों की सहायता करती है। एकमात्र जांच कार्य करने वाली इस कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी मनीष गुप्ता कहते हैं, ‘हम सभी यही उम्मीद करते हैं कि ऐप एक ही बार के प्रयास में ऑर्डर ले लें और फिर सहज भुगतान और डिलिवरी विकल्पों की भी अनुमति दें। उन्होंने कहा कि नेविगेशन की आसानी के साथ-साथ उपयोगकर्ता के डेटा की सुरक्षा जैसी विशेषताएं भी महत्त्वपूर्ण होती हैं। गुप्ता ने कहा ‘व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग की रोकथाम महत्त्वपूर्ण है। इसके अलावा किसी को यह भी जांचना चाहिए कि क्या ऐप को भुगतान करते ही ऑर्डर पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। क्या यह प्रक्रिया सुचारु है और क्या यह स्वचालित रूप से शिपमेंट के विवरणों का भी ध्यान रखेगी?’
उदाहरण के लिए एक बीमा कंपनी को किसी नए विपणन कार्यक्रम की शुरुआत करनी थी और उसे अपनी वेबसाइट पर 10,000 समानांतर उपयोगकर्ताओं की उम्मीद थी। टेस्टिंगएक्सपट्र्स ने वेबसाइट पर उपयोगकर्ता का कृत्रिम दबाव डालने के लिए ब्लेजमीटर जैसे विशिष्ट उपकरणों का उपयोग किया और पाया कि विभिन्न कोड, डेटाबेस और बुनियादी ढांचे की दिक्कतों के कारण वह ऐप्लिकेशन 500 से ज्यादा उपयोगकर्ताओं को झेल सकती है। फिर इस पर काम करने के लिए इसे हटाया गया और उन खामियों को ठीक किया गया।
इस वैश्विक महामारी के दौरान तेजी से नजर आए डिजिटलीकरण ने बैकएंड समर्थन और गुणवत्ता के लिए निरंतर निगरानी की जरूरत को बढ़ा दिया है।
नवी-मुंबई स्थित मुख्यालय वाली हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज का कहना है कि वर्ष 2020 से डिजिटल आश्वासन ऐप विकास के बाद दूसरी सबसे बड़ा चीज है। डिजिटल आश्वासन का एक प्रमुख लक्ष्य स्वायत्त जांच करते हुए अपने ग्राहकों के लिए गुणवत्ता की लागत में खासी कमी लाने में मदद करना है। जैसे स्वचालित कारें होती हैं, जो पर्यावरण को समझने और मानव भागीदारी के बिना परिचालन में सक्षम होती हैं। डेवऑप -किसी ऐप के विकास से लेकर गुणवत्ता जांच के बाद उसका परिचालन-पहले ही स्वचालन की वजह से कम होकर कुछ ही दिनों का रह गया है और कुछ मामलों में, तो यह कुछ ही घंटों का ही रह गया है, जबकि पहले इसमें महीनों लग जाया करते थे। यहां इसका एक उदाहरण है-महामारी के दौरान विमान उद्योग को संपर्क रहित चेक-इन के लिए कोई व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता महसूस हुई ताकि हवाई अड्डे पर पहचान के किसी भी भौतिक प्रमाण की आवश्यकता न हो और बोर्डिंग पास मानव संपर्क के बिना जारी किए जा सकें।
हेक्सावेयर में वैश्विक प्रमुख (डिजिटल एश्योरेंस ऐंड कम्पिटेंसी मैनेजमेंट) सत्येंदु मोहंती कहते हैं ‘हमने एक विमान कंपनी के लिए यूरोप और उत्तरी अमेरिका में परिचालन के वास्ते ऐप की जांच की, जहां ऑनलाइन टिकट खरीदे जाने के बाद, चेक-इन काउंटर सहित हवाई अड्डे के कई स्थानों पर स्थित कैमरे यात्रियों की पहचान की पुष्टि करने के लिए चेहरे की पहचान कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि इसके बाद यात्री कियोस्क जा सकता है जिसमें स्वचालित चेक-इन के लिए ऐप होती हैं। चेक-इन के लिए कन्वेयर बेल्ट पर बैग रखने के अलावा पूरी प्रक्रिया को संपर्करहित बनाया गया था। हालांकि यह भारत में संभव नहीं है, क्योंकि सरकार उड़ान भरने वाले यात्रियों की पहचान की जांच के लिए चेहरे की पहचान करने वाले साधनों की अनुमति नहीं देती है और पासपोर्ट या आधार प्रमाणीकरण को अनिवार्य करती है।
इस बीच अमेरिका की सॉफ्टवेयर कंपनी रेव, जो बेंगलूरु में भी काम करती है, कागजात के स्वचालित कार्य की सुविधा प्रदान करती है। इसके सह-संस्थापक समीर गोयल कहते हैं कि इस महामारी से स्वचालन को बढ़ावा मिला है और ई-हस्ताक्षरों ने इसकी जिम्मेदारी निभाई है। गोयल बताते हैं ‘अनुबंधों और समझौतों पर पहले भौतिक रूप से हस्ताक्षर करने पड़ते थे, लेकिन इस महामारी के दौरान, यह व्यावहारिक रूप से असंभव हो गया। हमारा सॉफ्टवेयर सीआरएम (ग्राहक संबंध प्रबंधन) से ग्राहक के बारे में जानकारी लेता है, इसे एक दस्तावेज में डालता है और फिर इसे ई-हस्ताक्षर के लिए भेज देता है। यह सब स्वचालित है और मानव हस्तक्षेप के बिना किया जाता है।’ स्वास्थ्य सेवा उद्योग में भी तीव्र डिजिटलीकरण और ऑनलाइन डॉक्टर परामर्श जैसे सरल कार्यों की बढ़ती आवश्यकता ने जांच और गुणवत्ता आश्वासन की मांग को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिए टेस्टिंगएक्सपट्र्स ने महामारी से ठीक पहले फोर्टिस समूह के साथ काम किया था। तब यह अस्पताल शृंखला वन फोर्टिस योजना का कार्यान्वयन कर रही थी, जो इसके 70 से अधिक सभी अस्पतालों के लिए एकल मंच था ताकि बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) बुकिंग, प्रयोगशाला का रिकॉर्ड और नैदानिक जांच जैसे कार्य निर्बाध रूप से किए जा सकें।
गुप्ता कहते हैं कि इससे पहले फोर्टिस इन-हाउस जांच कर रहा था, लेकिन वह बेहतर गुणवत्ता चाहता था, इसलिए उन्होंने हमसे संपर्क किया। वे उपयोगकर्ता स्वीकृति जांच चाहते थे, क्योंकि उन्हें ऐप के स्तर और गुणवत्ता के संबंध में दिक्कतें पेश आई थीं। यह आठ महीने वाली एक परियोजना थी, जिसमें हमारी टीम ने उत्पाद का आकलन किया और कमियों की पहचान की। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में दूर रहते हुए रोगी की निगरानी और देखभाल करना, कृत्रिम मेधा द्वारा निर्देशित व्यक्तिगत चिकित्सा निदान, टेलीहेल्थ और आभासी परामर्श में भी तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। बैंकिंग में डिजिटल भुगतान व्यवस्था सक्षमता और प्रबंधन, जोखिम की तात्कालिक गणना तथा एआई का इस्तेमाल करते हुए धोखाधड़ी का पता लगाने की रफ्तार बढ़ रही है।
