केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने गुरुवार को (27 फरवरी) को कहा कि राज्यों के साथ ईमानदारी से जुड़ाव होना चाहिए और आर्थिक मसलों को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर देखना चाहिए। उन्होंने बीएस मंथन शिखर सम्मेलन के पहले दिन बातचीत के दौरान यह बात कही।
केंद्रीय मंत्री सीतारमण ने भारत के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने के लिए राज्यों के साथ पारदर्शी और सहयोगात्मक बातचीत की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
सीतारमण ने कहा, ”राज्यों के साथ ईमानदार जुड़ाव होना चाहिए। आपको लगता है कि एक इंस्टीट्यूशनल व्यवस्था से आपको इच्छा अनुसार परिणाम मिलेगा। लेकिन जीएसटी परिषद की स्थापना में भी प्रयास गहन और निरंतर थे। मुझे लगता है कि राज्यों के साथ जुड़ाव पहले होना चाहिए।”
इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या एक इंस्टीट्यूशनल फ्रेमवर्क राज्यों के बीच राजकोषीय असमानताओं की देख-रेख कर सकता है, सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद जैसी संरचनाओं के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है, लेकिन इसकी नींव वास्तविक राज्य-स्तरीय जुड़ाव में ही होनी चाहिए।
केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि 2019 के बाद से डी-रेगुलेशंस प्रयासों की भी रूपरेखा तैयार की गई। इसके तहत लगभग 1,600 पुराने कानूनों को हटाया गया। साथ ही ओवरलैप हो रहे नियमों को सुव्यवस्थित भी किया गया।
उन्होंने बीएस मंथन के फायर चाट सेगमेंट में कहा, “हम इसे साफ करना चाहते थे। ताकि हर कोई अपने लिए एक बड़े पहिये के हिस्से के रूप में काम कर सके। खासकर फाइनेंशियल सेक्टर में।”