देश के बाकी हिस्सों की तरह उत्तर प्रदेश में भी सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के सामने चुनौतियां तो हैं मगर उन्हें दूर करने की सरकार की नीयत और नीतियां प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए दुरुस्त लग रही हैं।
बिज़नेस स्टैंडर्ड समृद्धि कार्यक्रम के दौरान ‘उत्तर प्रदेश: ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था में एमएसएमई की भूमिका’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में प्रदेश के अफसरशाहों और उद्यमियों ने छोटे उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियों और सरकार की ओर से उन्हें दूर करने के लिए किए जा रहे प्रयासों तथा योजनाओं पर बात करते समय यह राय रखी।
मुख्यमंत्री के सलाहकार और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि 2017 में सरकार बनते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चार बड़ी प्राथमिकताएं अपने सामने रखीं – कानून व्यवस्था, तकनीक का इस्तेमाल, कौशल विकास और एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी)। उन्होंने कहा, पहला काम था कानून व्यवस्था दुरुस्त करना। बड़े उद्योगपति और कारोबारी तो सक्षम होते हैं और अपने प्रतिष्ठान या कारोबार की सुरक्षा कर लेते हैं।
मगर छोटे उद्यमियों के सामने समस्या थी कि उनका माल लुटने से कौन बचाए या जबरन उगाही से कौन बचाए। उन्होंने कहा कि जैसी सख्त कानून व्यवस्था प्रदेश की जनता इस समय देख रही है, वैसी शायद ही पहले देखी गई हो। यही नहीं, मुख्यमंत्री ने दूसरे कार्यकाल में इसे और भी सख्त बनाने का निर्देश दिया, जिसका लाभ उद्यमियों और निवेशकों को नजर आ रहा है। अवस्थी ने कहा कि तकनीक के इस्तेमाल को जितनी तवज्जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देते हैं, उतनी ही मुख्यमंत्री भी देते हैं। इसीलिए तकनीक का इस्तेमाल कर एमएसएमई को स्टैंडअप नीति, भूमि आवंटन, एकल खिड़की मंजूरी जैसी व्यवस्थाओं का फायदा दिया जा रहा है।
कौशल विकास को मुख्यमंत्री की बड़ी प्राथमिकता बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि उद्योगों और उद्यमियों को तैयार कुशल कर्मी मिल सकें। इसका फायदा पूरे देश को होने जा रहा है क्योंकि कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने संयंत्र चीन से हटाकर भारत में ला रही हैं। उन्हें विश्वस्तरीय औद्योगिक कौशल वाला श्रमबल मिलेगा तो वे उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं आएंगी और प्रदेश में रोजगार क्यों नहीं बढ़ेगा।
मुख्य सलाहकार ने कहा कि ओडीओपी योजना का कितना लाभ मिल रहा है, यह मुरादाबाद के पीतल उद्योग, वाराणसी के रेशम उद्योग आदि से पूछा जा सकता है। दोनों ही जगह कारोबार तथा निर्यात में 25 फीसदी के करीब वृद्धि ओडीओपी की वजह से ही हुई है।
चर्चा में शामिल भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक शरद एस चांडक ने कहा कि एमएसएमई अर्थव्यस्था के सबसे अहम हिस्से हैं और कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार भी वे ही देते हैं। साथ ही निर्यात में भी इनकी बहुत अधिक हिस्सेदारी होती है। उन्होंने कहा कि उद्यमशीलता और नवाचार भी एमएसएमई से ही आते हैं, इसलिए इन पर जोर दिया जाना चाहिए।
भारतीय स्टेट बैंक इस बात को अच्छी तरह समझता है, इसीलिए प्रदेश के 75 जिलों में मौजूद 2200 शाखाओं में 100 शाखाएं केवल एमएसएमई के लिए खोली गई हैं, जहां रिलेशनशिप मैनेजर के जरिये उनकी सभी समस्याएं सुलझाई जाती हैं।
चांडक ने बताया कि वित्त की किल्लत से जूझते एमएसएमई को स्टेट बैंक की योनो ऐप के जरिये प्री अप्रूव्ड बिजनेस लोन भी दिए जाते हैं। साथ ही बैंक ने पिछले 1 महीने में उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में मुद्रा, प्रधानमंत्री स्वनिधि जैसी योजनाओं के तहत ऋण देने के लिए शिविर लगाए हैं। इनके जरिये 1 महीने के भीतर 100 करोड़ रुपये के कर्ज एमएसएमई को दिए गए हैं।
सिडबी के उप प्रबंध निदेशक वी सत्य वेंकटा राव ने कहा कि तकनीक के दौर का फायदा उठाते हुए उनका बैंक डिजिटलीकरण पर बहुत जोर दे रहा है ताकि उद्यमियों को सहूलियत मिल सके। उन्होंने कहा, ‘उद्यमी नहीं चाहता कि उसके काम में बार-बार खलल पड़े या उसे बार-बार बैंक से बात करनी पड़े क्योंकि इसमें उसका समय बरबाद होता है।
इसीलिए सिडबी ने कर्ज के लिए आवेदन करने से लेकर कर्ज वितरण तक पूरी प्रक्रिया डिजिटल कर दी है ताकि उद्यमी अपने दफ्तर में बैठे-बैठे कर्ज हासिल कर सकें, उन्हें हर बार बैंक नहीं आना पड़े।’
वेंकटा राव ने कहा कि उद्यमियों के सामने आने वाली रकम की समस्या दूर करने के लिए सिडबी रीफाइनैंसिंग पर बहुत जोर दे रहा है। उन्होंने बताया कि 2027 तक 8 लाख करोड़ रुपये की रीफाइनैंसिंग का लक्ष्य रखा गया है। प्रमुख होजरी उत्पादक जेट निटवियर्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बलराम नरूला ने मंच पर चर्चा के दौरान प्रदेश सरकार की योजनाओं की सराहना की मगर उन्हें अमली जामा पहनाने के तरीके पर शिकायत जाहिर की।
उन्होंने कहा कि बगैर किसी रेहन या अमानत के कर्ज देने की सरकार की योजना एमएसएमई के लिए बहुत अच्छी है। किंतु बैंक ऐसा कर्ज मांगने वालों को संदेह की नजर से देखते हैं और उनकी यही कोशिश रहती है कि कम से कम कर्ज देना पड़े। बैंकों को इस दिशा में सोचना चाहिए।
डावर फुटवियर के चेयरमैन पूरन डावर ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि ओडीओपी को और प्रभावी बनाया जाए तथा एमएसएमई की आर्थिक मदद पर अधिक सक्रियता दिखाई जाए ताकि एमएसएमई और ताकतवर बनें।