राज्यसभा में गुरुवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने बार-बार आने वाली बाढ़, चक्रवात, हिमनद पिघलने जैसे ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के बढ़ते दुष्प्रभावों को लेकर एक स्वर में गहरी चिंता जताते हुए इस बात पर सहमति जतायी कि इससे निपटने का दायित्व अकेले सरकार पर नहीं डाला जा सकता और समाज के हर सदस्य को अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी।’
ग्लोबल वार्मिंग’ के गंभीर प्रभाव और इसके समाधान के लिए उपाचारात्मक कदमों की आवश्यकता विषय पर उच्च सदन में अल्पकालिक चर्चा शुरू करते हुए द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के तिरुचि शिवा ने कहा कि यह ऐसी समस्या है जिससे पूरे विश्व के लिए खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि पूरे सदन को न केवल भविष्य बल्कि वर्तमान को लेकर भी चिंता है।
शिवा ने कहा कि सरकार का यह लक्ष्य है कि 2070 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य प्रतिशत करना है। उन्होंने कहा कि यह बहुत लंबा लक्ष्य है और देश को अभी के बारे में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को 2040 के बारे में सोचना चाहिए।
पर्यावरणीय संकटों का किया जिक्र
उन्होंने कहा, ‘आज हम देख रहे हैं कि जंगल लुप्त हो रहे हैं, नदियां सूख रही हैं, समुद्र तट गायब हो रहे हैं। यह सब बहुत चिंताजनक है?’ उन्होंने कहा कि बार बार चक्रवात आ रहे हैं, उपजाऊ भूमि बंजर हो रही है। शिवा ने सवाल किया, ‘ऐसे में हम अनाज के लिए कहां जाएंगे?’ उन्होंने कहा कि वह इन सब के लिए सरकार या पर्यावरण मंत्री को जिम्मेदार नहीं ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने का दायित्व समाज के प्रत्येक सदस्य का है।
परमाणु ऊर्जा के खतरों पर ध्यान देना जरूरी
द्रमुक सदस्य ने कहा कि राजस्थान, गुजरात एवं तमिलनाडु सहित विभिन्न राज्यों में पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा सहित वैकल्पिक ऊर्जा के सृजन की संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सरकार परमाणु ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने के प्रयासों में लगी है।
उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा के अपने खतरे हैं और ‘हमें भोपाल गैस त्रासदी और चेरनोबिल त्रासदी जैसे अनुभवों को नहीं भूलना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय को ‘ग्लोबल वार्मिंग’ से बचने के लिए कड़े दिशानिर्देंश जारी करने चाहिए।
तेजी से पिघल रही ध्रुवों पर जमी बर्फ
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कविता पाटीदार ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि पृथ्वी के ध्रुवों पर हजारों वर्ष से जमी बर्फ तेजी से पिघल रही है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से बार-बार बाढ़ और तूफान आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य की गतिविधियों के परिणामस्वरूप कार्बन डाईआक्साइड और मीथेन जैसी गैसों का उत्सर्जन अधिक बढ़ा जिसने सूरज की गर्मी को अधिक सोखा। इससे पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के कारण ऑक्सीजन की कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि इस बात को लोगों ने कोरोना महामारी के दौरान महसूस किया जब ऑक्सीजन एक बहुत बड़ी जरूरत बन गयी।
पर्यावरण के अनुरूप हो जीवनशैली
कविता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों से ऐसी जीवनशैली अपनाने को कहते हैं जो पर्यावरण के अनुरूप हो। उन्होंने कहा कि भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक समाधानकारी देश के रूप में अपने को साबित किया है। उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल वार्मिंग’ से बचने के लिए ‘‘हम सभी को मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे।’
उन्होंने कहा, ‘इन सब पर सिर्फ बातें नहीं, अब मिलकर काम करना होगा।’’ कांग्रेस की अमी याग्निक ने कहा कि पर्यावरण ऐसा विषय है जिस पर कोई देश अपना दावा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि इस मामले में हर देश का क्या योगदान और दायित्व है, इस पर सभी को विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए जहां व्यक्तिगत स्तर और नीतिगत स्तर पर काम किये जाने की आवश्यकता है वहीं इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काम करने की जरूरत है।
प्रदूषणसे निपटने को प्रभावी निगरानी जरूरी
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए प्रभावी निगरानी की जरूरत है और अभी जिन उपकरणों से इनकी निगरानी की जा रही है, वे बहुत प्रभावी नहीं रह गये हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अधिक निवेश नहीं होना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि जब तक देश में सोलर पैनल का निर्माण बड़े स्तर पर नहीं शुरू होगा, सौर ऊर्जा के मामले में अधिक प्रगति नहीं हो सकती है।
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याग्निक ने ‘हरित भवन’ की परिकल्पना का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसी इमारतें ऊर्जा के मामले में बहुत सक्षम होंगी। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या देश में ऐसे आर्किटेक्ट हैं और क्या देश के शिक्षण संस्थान ऐसे आर्किटेक्ट तैयार कर सकते हैं? तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने कहा कि यह ऐसा विषय है जो सभी को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल वार्मिंग’ का सबसे ज्यादा प्रभाव भारत के तटवर्ती राज्यों पर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि इसकी वजह से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने बार-बार केंद्र से अनुरोध किया है कि समुद्र के पानी को भीतर घुसने से रोकने के लिए मैनग्रोव उगाने की खातिर धन दिया जाए।
पर्यावरण से निपटने की सामूहिक जिम्मेदारी
सरकार ने कहा कि ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के लिए ‘हम किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते क्योंकि हम ही इसके लिए जिम्मेदार हैं।’ उन्होंने विश्व बैंक की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 2036 तक भारत में गर्मियों का दौर 25 प्रतिशत अधिक समय तक रह सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के कारण भारत का पांच प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) खतरे में है। उन्होंने आरोप लगाया कि निकोबार द्वीप में बड़े पैमाने पर वन भूमि को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।