मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) के मुद्दे पर मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का विपक्ष द्वारा बहिष्कार किए जाने पर बुधवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों में हंगामा हुआ, जिसके कारण विधानसभा और विधान परिषद की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
मंगलवार शाम बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का महा विकास आघाडी (MVA) के सदस्यों ने सरकार पर उन्हें विश्वास में नहीं लेने का आरोप लगाते हुए बैठक का बहिष्कार किया था।
सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विपक्ष पर आरक्षण मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। विपक्ष को इस बात पर अपना रुख स्पष्ट करने की चुनौती दी कि मराठाओं को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कोटे से आरक्षण दिया जाना चाहिए या नहीं।
उन्होंने विपक्ष पर समुदायों के बीच दरार पैदा करने का प्रयास करने का आरोप लगाया। भाजपा ने दावा किया कि विपक्ष ने आखिरी समय में सर्वदलीय बैठक से खुद को अलग कर लिया। इसके बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन के सामने आकर विपक्ष की निंदा करते हुए हंगामा किया।
नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि सरकार सामाजिक विभाजन को बढ़ावा दे रही है और तनाव बढ़ने पर ही विपक्ष का समर्थन मांग रही है। उन्होंने सामाजिक अशांति के लिए सत्तारूढ़ महायुति सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि सामाजिक तनाव महायुति सरकार का पाप है। भाजपा विधायक संजय कुटे ने कहा कि आरक्षण मुद्दे पर पिछली सर्वदलीय बैठकों में विपक्ष ने भाग लिया था। कांग्रेस और राकांपा नेताओं ने मराठा आरक्षण का विरोध किया था।
कुटे ने कहा कि यह भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ही है जिसने मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान किया था, लेकिन विपक्ष उच्चतम न्यायालय में इसे रोकने की कोशिश कर रहा है। विपक्ष मराठा समुदाय और ओबीसी से माफी मांगे। क्योंकि विपक्ष का इस मुद्दे को सुलझाने का कोई इरादा नहीं है। भाजपा ने विपक्ष से मराठा आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
जब वडेट्टीवार बोलने के लिए खड़े हुए, तो सत्ता पक्ष के सदस्य आसन के सामने आ गए और नारे लगाने लगे। कुटे ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से विपक्षी नेताओं से दूर रहने का आग्रह किया और दावा किया कि वे चुनावी लाभ के लिए समुदाय में विभाजन की कोशिश कर रहे हैं।
विधान परिषद में भी कार्यवाही तब इसी तरह बाधित हुई जब भाजपा के प्रवीण दरेकर ने बैठक में शामिल न होने के लिए विपक्षी एमवीए पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उपसभापति नीलम गोरहे की अपील के बावजूद हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कल अपील की कि राजनीतिक दलों को आरक्षण के संबंध में अपनी स्थिति और राय से सरकार को लिखित रूप में अवगत कराना चाहिए और यह आश्वासन देना चाहिए कि आरक्षण की परंपरा को बरकरार रखते हुए राज्य में मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच कोई दरार नहीं होनी चाहिए। प्रगतिशील महाराष्ट्र बरकरार, राज्य सरकार किसी भी सामाजिक समूह के साथ अन्याय नहीं होने देगी।
आरक्षण राजनीति का विषय नहीं है, बल्कि सामाजिक समरसता बनाए रखने में सरकार की ईमानदार भूमिका है। राज्य में सौहार्दपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए सभी दलों के सदस्यों को विश्वास में लेकर चर्चा का रास्ता निकालने के लिए बैठक बुलाई गई थी। बैठक मराठा और ओबीसी समुदाय के बीच कड़वाहट दूर करने के लिए थी । एक नवंबर 2023 को भी इसी तरह सर्वदलीय बैठक हुई थी।
सरकार ने मराठा समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। हम इसे कानून के दायरे में रखने की कोशिश कर रहे हैं। इस फैसले के बाद से मराठा समुदाय के उम्मीदवारों को शिक्षा, भर्ती के बाद लाभ हुआ है। वह मराठा समुदाय को स्थायी आरक्षण देते हुए अन्य सामाजिक समूहों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।. मुख्यमंत्री ने कहा कि गजट का निरीक्षण करने के लिए 11 लोगों की एक टीम हैदराबाद भेजी गई है।