गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि संविधान को मजबूत करने के लिए देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराने की आवश्यकता है। यदि ‘इंडिया’ के चश्मे से देखा जाए तो भारत को कभी नहीं समझा जा सकता। राज्य सभा में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर संदेह उठाने वालों को शर्म आनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक संसद में भारतीय जनता पार्टी का एक भी सांसद रहेगा, हम धर्म के आधार पर आरक्षण लागू नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि भारत का संविधान किसी की नकल नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में विभिन्न देशों के संविधानों की अच्छी बात लेने के साथ-साथ इसमें अपने देश की परंपराओं का पूरा ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि संविधान ने लोकतंत्र की जड़ें मजबूत की हैं और रक्त की एक बूंद गिरे बिना सत्ता का हस्तांतरण हुआ है। यदि ‘इंडिया’ के चश्मे से भारत को देखोगे तो देश कभी समझ नहीं आएगा।
शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिये बिना उनकी ओर संकेत करते कहा, ‘अभी कुछ राजनेता आए हैं, 54 साल की आयु में अपने को युवा कहते हैं। घूमते रहते हैं और (कहते हैं कि सत्तारूढ़ दल वाले) संविधान बदल देंगे, संविधान बदल देंगे। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि संविधान बदलने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 368 में ही है।’
उन्होंने कहा कि भाजपा ने 16 साल शासन किया, जिसमें 22 बार संविधान में संशोधन किया गया। कांग्रेस ने 55 साल शासन किया और इस दौरान उसने संविधान में 77 बार परिवर्तन किए। गृह मंत्री ने दावा किया कि यह देखने वाली बात है कि संविधान संशोधन किसने देश के नागरिकों की भलाई के लिए किए और किसने अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि जब दो राज्यों (महाराष्ट्र और झारखंड) के विधान सभा के चुनाव परिणाम एक ही दिन आये हों और एक में किसी पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया हो और दूसरे में वह जीत गई हो तो ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को शर्म करनी चाहिए, क्योंकि जनता सब देख रही है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ईवीएम संबंधी 24 अर्जियों को नकार दिया तथा निर्वाचन आयोग ने तीन दिन तक ईवीएम को हैक करने के लिए लोगों को आमंत्रित किया, किंतु कोई नहीं आया।
संविधान लागू होने के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लाना देश में तुष्टीकरण की शुरुआत थी। यदि कांग्रेस संविधान का सम्मान करेगी तो उसका भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण चल ही नहीं सकता, पार्टी यदि इन तीनों को छोड़ दे तो वह चुनाव जीतना शुरू कर देगी।