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अधर में लटकीं उप्र की विद्युत परियोजनाएं

Last Updated- December 10, 2022 | 12:06 AM IST

उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद जिले में लगने वाली कोयला आधारित दो बिजली परियोजनाओं पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं।
ये परियोजनाएं पहले ही निर्धारित समयसीमा से दो साल देरी से चल रही हैं। इसके अलावा नवंबर 2008 में जेनी पावर को दी गई 1,320 मेगावाट क्षमता वाली करछना परियोजना का भविष्य भी अधर में ही है।
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने बारा परियोजना के लिए बोली आमंत्रित करने की समय सीमा 5वीं बार बढ़ा दी है। अब इस परियोजना के  लिए बोली आमंत्रित करने की आखिरी तारीख 18 फरवरी 2009 हो गई है।
इससे 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत बिजली उत्पादन बढ़ाकर 10,000 मेगावाट करने की योजना पर नकारात्मक असर पड़ेगा। बारा परियोजना को लेकर कंपनियों की बेरुखी के कारण ही पावर कॉर्पोरेशन को यह कदम उठाना पड़ रहा है।
इससे बोलियां आमंत्रित करने की आखिरी तिथि पिछले साल 30 नवंबर से बढ़ाकर 15 दिसंबर की गई थी। फिर बढ़ाकर 5 जनवरी 2009, उसके बाद 5 फरवरी 2009 और अब इसे बढ़ाकर 18 फरवरी कर दिया गया है।
इस परियोजना का ठेका हासिल करने की दौड़ में एनटीपीसी, इंडियाबुल्स, जेपी, लैंको, जीवीके, एलऐंडटी, अडानी, रिलायंस और आईसोलक्स जैसी कंपनियां हैं। राज्य रोजाना 3,000 मेगावाट बिजली दूसरे राज्यों से खरीदता है। फिर भी बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच में लगभग 2,000 मेगावाट का अंतर है।

First Published - February 6, 2009 | 11:49 AM IST

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