मजदूरों की हड़ताल की मार झेल रहे फिरोजाबाद के कांच उद्योग के लिए गेल ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। गैस अथॉरिटी आफ इंडिया लिमिटेड (गेल) ने बीते साल से तीसरी बार सीएनजी की कीमतों में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। इसके कारण शहर में कांच का समान बनाने वाले 30 प्रतिशत से अधिक कारखाने बंदी की कगार पर आ पहुंचे हैं। बताते चलें कि फिरोजाबाद की चूड़ियां दुनिया भर में मशहूर हैं।
उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कोटे से अधिक इस्तेमाल वाली गैस की कीमत दिसंबर, 2007 में 6.50 रुपये प्रति घन मीटर से बढ़ाकर 12.50 रुपये प्रति घन मीटर कर दी गई थी। इसके बाद 20 फरवरी को गैस की कीमत को बढ़ाकर 33 रुपये प्रति घन मीटर कर दिया गया। इस कारण फिरोजाबाद में कांच के सामान की कीमत काफी बढ़ गई है जबकि मुनाफा मार्जिन में गिरावट आई है।
ट्रांसपैरेंट ओवरसीज के निदेशक प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि करीब 25 से 30 कारखाने ऐसे हैं जिनमें प्रतिदिन 200 घन मीटर सीएनजी की खपत होती है जबकि आवंटित कोटा काफी कम है। ज्यादातर कारखानों में कोटे से अधिक गैस की खपत होती है। गैस की कीमत पहले 12.50 रुपये प्रति घन मीटर थी जबकि अब यह बढ़कर 33 रुपये प्रति घन मीटर हो चुकी है। प्रदूषण नियंत्रक उपायों के तहत कांच उद्योग के लिए सीएनजी का इस्तेमाल अनिवार्य बनाया जा चुका है जबकि कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो चुकी है।
इस कारण कई कारखानों के अस्तित्व पर संकट आ गया है। ईधन के बढ़ते बिल के कारण इनमें से कई इकाइयों ने अपने उत्पादन लक्ष्यों में कटौती की है। अग्रवाल ने बताया कि करीब 30 प्रतिशत इकाइयां या तो बंद हो चुकी हैं या उनके उत्पादन में काफी गिरवट दर्ज की गई है। उन्होंने दावा किया कि मझोले आकार के कारखाने 2 से 5 एससीएमडी ओवरड्रॉ गैस का इस्तेमाल करते हैं। पहले इस गैस की कीमत 62,000 रुपये बैठती थी लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़ कर 1.65 लाख रुपये तक जा पहुंचा है। कीमतों में करीब तीन गुनी बढ़ोतरी हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि फिरोजाबाद को कांच उद्योग को मजदूरों की हड़ताल का भी सामना करना पड़ रहा है। इस साल रुपये की तेजी से निर्यात में गिरावट के चलते भी उद्योग प्रभावित हुए है। इसके अलावा चीनी कंपनियों ने भी कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। उन्होंने कहा कि यदि गैस के दाम कम नहीं हुए तो उद्योग फिरोजाबाद की जगह किसी और जगह स्थानांतरित कराना पड़ेगा।
