प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
एक इमारत से गिरने के बाद लगभग 12 वर्षों से निष्क्रिय अवस्था में रहे 32 वर्षीय व्यक्ति के पिता द्वारा दायर इच्छामृत्यु याचिका पर सुनवाई करने के बाद उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि वह 13 जनवरी को व्यक्ति के माता-पिता के साथ बातचीत करना चाहेगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि वह एम्स द्वारा तैयार स्वास्थ्य रिपोर्ट की जांच करेगा।
न्यायाधीश जे बी पारदीवाला और न्यायाधीश के वी विश्वनाथन के पीठ ने कहा कि यह मामला एक ऐसी स्थिति में पहुंच गया है जहां अंतिम निर्णय लेने की जरूरत अब आन पड़ी है। इसने वकीलों को अंतिम आदेश आने से पहले न्यायालय की सहायता के लिए एम्स की रिपोर्ट का विस्तार से अध्ययन करने का निर्देश दिया। शीर्ष न्यायालय उक्त व्यक्ति के पिता की उस याचिका पर विचार कर रही थी जिसमें उन्होंने कृत्रिम जीवन रक्षक प्रणाली को हटाकर अपने पुत्र के लिए ‘निष्क्रिय इच्छा-मृत्यु’ का अनुरोध किया है।
आवेदन में संविधान पीठ द्वारा कॉमन कॉज, 2018 में दिए प्रावधान के तहत विचार किया जा रहा है। इस प्रावधान में जनवरी 2023 में संशोधन किया गया ता जिसके लिए निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति देने से पहले कई मेडिकल बोर्ड की राय की आवश्यकता होती है। इन दिशानिर्देशों के अनुसार पहले एक प्राथमिक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था। इस बोर्ड ने बताया कि ठीक होने की संभावना नगण्य है।
इस मूल्यांकन के आधार पर न्यायालय ने निर्देश दिया कि मामले की जांच द्वारा गठित एक माध्यमिक मेडिकल बोर्ड द्वारा की जाए। बुधवार को अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी न्यायालय को सूचित किया कि एम्स रिपोर्ट पेश की जा चुकी है। संक्षिप्त रूप से इसकी जांच करने के बाद न्यायाधीश पारदीवाला ने टिप्पणी कहा कि निष्कर्षों से पता चलता है कि मरीज अनिश्चित काल तक अपनी वर्तमान स्थिति में नहीं रह सकता है।