म्युचुअल फंड

सोने-चांदी की तेजी से पैसिव फंडों की हिस्सेदारी बढ़ी, AUM 17.4% पर पहुंचा

फंडों की कुल एयूएम में पैसिव फंडों की भागीदारी नवंबर 2025 तक बढ़कर 17.4 प्रतिशत हो गई जो दिसंबर 2024 के आखिर में 16.6 प्रतिशत थी

Published by
अभिषेक कुमार   
Last Updated- December 18, 2025 | 11:21 PM IST

वर्ष 2024 में आई गिरावट के बाद म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग में पैसिव फंडों ने फिर से बढ़त लेना शुरू कर दिया है और 2025 में कुल प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में उनका हिस्सा अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से गोल्ड और सिल्वर एक्सचेंज-ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) में मजबूत निवेश आने से हुई है। 

फंडों की कुल एयूएम में पैसिव फंडों की भागीदारी नवंबर 2025 तक बढ़कर 17.4 प्रतिशत हो गई जो दिसंबर 2024 के आखिर में 16.6 प्रतिशत थी। यह तेज बढ़ोतरी 2024 में आई गिरावट के बाद हुई है। तब ज्यादा जोखिम वाली सेक्रिय इक्विटी योजनाएं निवेशकों की मजबूत पसंद थीं। इस कारण इक्विटी फंडों ने बढ़त हासिल की थी। 2024 में ज्यादातर निवेश स्मॉलकैप, मिडकैप और थीमेटिक योजनाओं में हुआ था।

2025 में पैसिव फंडों का वृद्धि की पटरी पर लौटने का कारण सुस्त इक्विटी बाजार और सोने-चांदी में शानदार तेजी है। मॉर्निंगस्टार में वरिष्ठ विश्लेषक, मैनेजर रिसर्च, नेहल मेश्राम ने कहा, ‘इक्विटी ईटीएफ के जरिये लगातार संस्थागत भागीदारी, साथ ही टैक्टिकल हेज के तौर पर गोल्ड ईटीएफ में बढ़ती दिलचस्पी ने पैसिव परिसंपत्तियों में वृद्धि को मजबूती प्रदान की है।’

जीरोधा फंड हाउस के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) विशाल जैन के अनुसार सोने और चांदी के ईटीएफ में निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी का एक कारण कर बदलाव भी हो सकता है। 

उन्होंने कहा, ‘खास बात यह है कि पिछले दो साल में जोड़े गए सभी नए ईटीएफ फोलियो में से लगभग आधे गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ के हैं, जिसकी वजह कर में हुए फायदेमंद बदलाव हैं। दीर्घावधि पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) होल्डिंग अवधि को घटाकर एक साल कर दिया गया है और टैक्स दर को 12.5 प्रतिशत पर सीमित कर दिया गया है, जिससे विविधता और संपत्ति सृजन के लिहाज से उनका आकर्षण बढ़ा है।’

कराधान में बदलाव की घोषणा बजट 2024 में की गई थी। सोने और चांदी के ईटीएफ के अलावा 2025 में पैसिव एयूएम ग्रोथ का श्रेय दीर्घावधि संरचनात्मक कारकों को दिया जा सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के वर्षों में भारत में पैसिव फंडों को अपनाने की वजह उनकी लागत दक्षता, पारदर्शिता और नवीनतम पेशकशें रही हैं। संस्थागत प्रवाह, खासकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से, ने भी एयूएम वृद्धि में योगदान दिया है।

फंड प्रबंधकों के लिए बेंचमार्क इंडेक्स से लगातार बेहतर प्रदर्शन करने के सीमित मौकों (खासकर लार्जकैप सेगमेंट में) को लेकर हो रही चर्चाओं ने भी रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ाई है।

First Published : December 18, 2025 | 11:21 PM IST