तीन साल पहले शॉपिंग मॉल संस्कृति के लिए आगरा में किसी भी तरह का भविष्य न होने की भविष्यवाणी अब असर दिखाने लगी है।
यह भविष्यवाणी आगरा की एक वित्त विश्लेषक फर्म ने की थी। रियल एस्टेट दिग्गजों ने तब इस भविष्यवाणी को किसी भी तरह की तरजीह नहीं दी और उन्होंने इस क्षेत्र में पैसा निवेश करना जारी रखा। लेकिन अभी जुम्मा-जुम्मा तीन साल भी पूरे नहीं बीत पाये है और दुकानदारों ने शपिंग मॉल संस्कृति से पीछा छुड़ाना शुरु कर दिया है।
आगरा के अंदर बने मॉलों के अंदर बने दुकानों के कारोबार में कमी आने से कई दुकानदारों ने मॉलों में स्थित अपनी दुकानों को बंद कर दिया है। इसके अलावा इनमें से कई दुकान वालों ने तो छोटी जगहों को किराये पर लेकर अपने व्यापारिक खर्चे को कम करने की योजना बनाई है। वैसे तो मॉल बनाने वाले अपने खर्चे को कम करने वाले तरीकों को बताने से कतरा रहें है लेकिन ये साफ-साफ पता चलता है कि वे अपने घाटे को कम करने के लिए खर्चे को कम कर रहें है।
इसके लिए वे मॉल में कम भीड़ के समय एयर कंडीशनरों को बंद करने और एस्कलेटरों के अनावश्यक उपयोग पर रोक लगा रहें है। यही नहीं बड़े नाम जैसे केनटकी फ्राइड चिकन (केएफसी) और मैकडॉनल्डस ने भी अपने खर्चें को कम करना शुरू कर दिया है। केएफसी ने कु छ दिनों पहले ही ताज महल के पास के शॉपिंग माल में खुले रेस्टोरेंट को बंद कर दिया है। यहीं नहीं मैक्डॉनल्डस ने शहर के मॉल में खोले गए अपने दो रेस्टोरेंटो को भी बंद कर दिया है।
भविष्य में शहर में बनने वाले अन्य शपिंग मालों की योजना अधर में लटकी नजर आ रही है। सदर बाजार में बनने वाले एक शपिंग माल का निर्माण कार्य किरायेदारों के न मिलने के कारण बीच में रोक दिया गया है। शहर में ग्राहकों को अपनी ओर आर्कषित करने के प्रयास में मॉल मेट्रोपोलिटन शहरों की तर्ज पर विभिन्न उत्पादों पर छूट दे रहें है। लेकिन मॉल वालों की योजना भी बहुत ज्यादा असरदार नहीं दिख रही है।
शहर की क्षेत्रीय वित्तीय सुझाव देने वाली एक फर्म ए के दीक्षित एंड एसोसिएटस के प्रंबध निदेशक अशोक दीक्षित ने वर्ष 2005 में आगरा में शपिग मॉल को लाने वाले डेवलपर्स आगरा में निवास करने वाली मध्यमवर्गीय जनसंख्या से कुछ ज्यादा ही आशा लगा बैठी थी।
मॉल में बेचे जाने वाले उत्पाद आम तौर पर बाजार में मिलने वाले उत्पादों की अपेक्षा मंहगे होते है। अगर बात यह मानी जाए की शहर के युवा ब्रांड में रुचि रखने वाले हो गए है। तो यह आंकड़ा बहुत कम है। जो ब्रांडेड मॉल बेचने वाले दुकानदारों के लिए लाभप्रद हो।
ताज पहल के करीब टीडीआई शॉपिंग मॉल के एक सेल्समैंन ने बताया कि मुख्य शहर से सिटी सेंटर की दूरी काफी अधिक है जो बिक्री के कम रहने की प्रमुख वजह है।उन्होंने कहा कि इन स्टोर्स में एक सप्ताह के दौरान होने वाले कपड़ों की बिक्री की तुलना आगरा के भीड़भाड़ वाले इलाकों में एक दिन में होने वाली बिक्री से नहीं की जा सकती है। भीड़भाड़ वाले बाजार में राजा की मंडी प्रमुख है, जिन्हें ग्राहक अधाक तरजीह देते हैं।
उन्होंने कहा कि लोग सिर्फ एक जींस या शर्ट खरीदने के लिए घर से 10 – 12 किलोमीटर दूर नहीं जाना चाहेंगे। दीक्षित का कहना है कि उस शहर में जहां प्रति व्यक्ति आय 5 हजार हो, लोगों के द्वारा 2 और 3 हजार रुपये के कपड़े खरीदना काफी मुश्किल सा लगता है।
यहां उपभोक्ता अपनी कमाई का बहुत ही कम हिस्सा कपड़े और अन्य साज-सज्जा के समान खरीदने में लगाते है। आगरा की कुल जनसंख्या के 5 फीसदी से भी कम लोगों के पास क्रेडिट कार्ड है और इनमें से भी केवल 1 फीसदी ही इसका प्रयोग करते है।