दिल्ली सरकार फिर से लॉकडाउन लगाने की तैयारी कर रही है क्योंकि पिछले दो सप्ताह के दौरान कोविड के रोजाना आने वाले मामले नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कोविड-19 के मामलों में भारी बढ़ोतरी को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार से राजधानी के कोविड हॉटस्पॉट और बाजारों में स्थानीय लॉकडाउन लगाने की मंजूरी मांगी है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने मंगलवार दोपहर एक आपात मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘हम उन बाजारों में लॉकडाउन लगाने का अधिकार दिल्ली सरकार को देने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेज रहे हैं, जो कोविड-19 हॉटस्पॉट के रूप में उभर सकते हैं।’
इसके अलावा उनकी सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल को भी एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें राजधानी में शादियों में अतिथियों की स्वीकृत संख्या को कम करने का आग्रह किया गया है। उन्होंने कहा, ‘केंद्र के निर्देशों और नियमों के मुताबिक कोरोनावायरस के मामलों को मद्देनजर रखते हुए शादी समारोहों में 200 लोगों को बुलाने की मंजूरी दी गई थी। पिछले आदेश को वापस लेने और शादी समारोहों में अतिथियों की संख्या 200 से घटाकर 50 करने की मंजूरी के लिए उपराज्यपाल बैजल को एक प्रस्ताव भेजा गया है।’ केंद्र के दिशानिर्देशों के मुताबिक पिछले कुछ सप्ताह पहले जब महामारी का प्रसार नियंत्रित नजर आ रहा था, उस समय शादियों में शामिल होने वाले लोगों की स्वीकृत संख्या बढ़ाकर 200 कर दी गई थी।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के मुताबिक राजधानी में लॉकडाउन लगाने के प्रस्ताव पर केंद्र विचार-विमर्श करेगा। उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसा कोई प्रतिबंध लगाया जाना है तो इसकी प्रक्रिया पहले से ही तय है। अगर उपराज्यपाल की अगुआई वाले दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को राज्य सरकार से कोई प्रस्ताव प्राप्त होता है तो वे मामले पर विचार-विमर्श करेंगे। अगर केंद्र को उपराज्यपाल के जरिये कोई प्रस्ताव प्राप्त होता है तो वे इस पर विचार करेंगे।’ सोमवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने फिर से लॉकडाउन की संभावनाएं खारिज की थीं। लेकिन उसके बाद दिल्ली सरकार के रुख में बदलाव बेवजह नहीं है। अक्टूबर के मध्य में राजधानी में कोविड के दैनिक मामलों की संख्या 3,000 से भी कम थी, जो नवंबर के मध्य में 8,000 से ऊपर पहुंच गई है। अनुमानों के मुताबिक इस समय दिल्ली में औसत दैनिक मामले दुनिया की किसी भी राजधानी के मुकाबले सबसे अधिक हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान दिल्ली में रोजाना औसतन 7,400 मामले आए हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को हालात का जायजा लेने के बाद राजधानी में इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) और दैनिक जांच बढ़ाने का निर्देश दिया था। उन्होंने डीआरडीओ की इकाई में 750 आईसीयू बेड बढ़ाने का वादा किया था।
नीति आयोग में सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल के मुताबिक अगले कुछ दिनों में जांच की दैनिक संख्या 60,000 से बढ़ाकर 1,20,000 की जाएगी और आईसीयू बेड की संख्या 3,523 से बढ़ाकर 6,000 की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली के कंटेनमेंट जोनों में घर-घर सर्वेक्षण किया जाएगा। यह अन्य
जोखिम वाले जोन में भी किया जाएगा। इस कार्य में कुल 7,000 से 8,000 टीमों को लगाया जाएगा।’
सरकार के रुख में अचानक बदलाव से कारोबारी समुदाय की चिंता बढ़ गई है। दुकानदार और छोटे कारोबारी अब कारोबार में और नुकसान को लेकर चिंतित हैं, जिन्हें चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लंबे लॉकडाउन से घाटा उठाना पड़ा था। शीर्ष कारोबारी संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने राजधानी में बाजारों को बंद करने के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया है। इसने गृह मंत्री और दिल्ली के उपराज्यपाल से आग्रह किया है कि वे कारोबारियों से चर्चा के बाद ही कोई फैसला लें क्योंकि बिना विचार-विमर्श के ऐसा कोई कदम नुकसादेह साबित हो सकता है।
कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री के ऐसा प्रस्ताव बताता है कि दिल्ली सरकार कोविड से निपटने में बुरी तरह नाकाम रही है, जबकि मुख्यमंत्री, उनके मंत्री और दिल्ली सरकार ने कोविड से अत्यधिक प्रभावी तरीके से निपटने के बड़े-बड़े दावे किए हैं।’ कारोबारियों का तर्क है कि अप्रैल से कारोबार और आजीविका के नुकसान से अर्थव्यवस्था बदहाल हो गई है और देश भर में सितंबर तक स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन से सुधार की रफ्तार प्रभावित हुई है।
