उत्तर प्रदेश में बिजली अभियंताओं और कर्मचारियों की हड़ताल के चलते हाहाकार मचा है। प्रदेश के गांवों में बिजली की आपूर्ति लगभग ठप पड़ गयी है वहीं राजधानी को छोड़कर बाकी के शहरों का भी हाल बुरा हो चला है।
एनटीपीसी के सिंगरौली पॉवर हाउस में कल आई गड़बड़ी ने कोढ़ में खाज का काम किया है। प्रदेश को मिलने वाली बिजली में 1200 मेगावाट की कमी आयी है। दूसरी ओर मोहर्रम जैसे संवेदनशील त्योहार के मद्देनजर प्रदेश के कई जिलो के अधिकारी निर्बाध आपूर्ति की मांग कर रहे हैं।
पावर कारपोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि सर्दी के चलते मांग बढ़ी है और उपर से हड़ताल ने हालत और खराब कर दी है। उत्पादन निगम को छोड़कर बाकी के 45000 अभियंता और कर्मचारी हड़ताल पर हैं। इसी सर्दी में लाइन के क्षतिग्रस्त होने की ज्यादा घटनाएं होती हैं।
राजधानी नियंत्रण कक्ष के मुताबिक कस्बों और तहसीलों को अब केवल 4 घंटे बिजली दी जा रही है। बड़े जिलों के मुख्यालय में 10 से 12 घंटो बिजली दी जा रही है जबकि छोटे जिलों में कटौती 16 घंटे तक हो रही है।
हड़ताल से प्रदेश के बड़ें शहर जैसे कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद और मेरठ भी प्रभावित हैं जहां 4 से 8 घंटे तक बिजली काटी जा रही है।
हड़ताली कर्मचारियों को मिला समर्थन
नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन एक्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनईएफआई) ने उत्तर प्रदेश बिजली बोर्ड के कर्मचारियों की हड़ताल को अपना समर्थन देने की घोषणा की है।
बिजली बोर्ड के कर्मचारी छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन में वृद्धि और बकाए के भुगतान की मांग कर रहे हैं।
राज्य के 45,000 हजार बिजली कर्मचारी 2 जनवरी से हड़ताल पर हैं, हालांकि बिजली पारेषण को इससे बाहर रखा गया है। कर्मचारी विरोध प्रदर्शन के पहले चरण के तहत 8 जनवरी तक काम रोका गया है और कर्मचरियों ने धमकी दी है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो आगे और भी कठोर कदम उठाए जाएंगे।