बिहार की कोसी नदी के बाढ़पीड़ित गरीब लोगों को स्वरोजगार दिए जाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं।
बाढ़ राहत कैंपों में रहकर रोजगार के विभिन्न तरीकों का प्रशिक्षण लेने वाले लोगों को 10,000 रुपये तक की व्यक्तिगत सहायता दिए जाने की तैयारी चल रही है, जिससे वे अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम खुद कर सकें।
सुपौल, मधेपुरा, सहरसा और पूर्णिया सहित कोसी क्षेत्र के विभिन्न कैंपों में राज्य सरकार ने रोजगारपरक प्रशिक्षण की व्यवस्था की थी, जिसके तहत बांस के सामान बनाने, जूता बनाने, सिलाई, कढ़ाई, फर्नीचर बनाने और एप्लीक कार्यों का प्रशिक्षण दिया गया था।
सरकार ने प्रशिक्षण के बाद उन्हें प्रमाण पत्र भी दिया था। अब प्रशिक्षित लोगों को सहकारी बैंकों, अन्य बैंकों, ग्रामीण योजनाओं के माध्यम से ऋण दिलाने की कोशिश की जा रही है। ताकि वे खुद का कारोबार शुरू कर सकें।
सुपौल के जिलाधिकारी सरवन कुमार ने बताया, ‘हमने प्रशिक्षण प्राप्त कुशल लोगों को लक्ष्यित कर यह योजना बनाई है, जिसमें खुद का रोजगार शुरू करने के लिए 10,000 रुपये की प्राथमिक सहायता दी जाएगी।’ सुपौल और सहरसा जिले सहित कोसी क्षेत्र बांस के लिए बहुत उपयुक्त है।
सरकार इसे लेकर विशेष कार्ययोजना तैयार कर रही है, जिस पर खर्च होने वाली राशि कृषि विभाग के माध्यम से भारत सरकार के राष्ट्रीय बांस मिशन गुवाहाटी से प्राप्त की जाएगी।
बाढ़ राहत शिविरों और अन्य जगहों पर बांस आधारित वर्कशाप का संचालन किया गया और काडा के प्रबंध निदेशक के आवासीय परिसर में भी बांस से टेबुल, कुर्सी, चौकी और रसोई स्टैंड आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।
सहरसा प्रमंडल के आयुक्त हेमचंद सिरोही ने बताया कि बांस आधारित उत्पाद और कृषि औजार बनाने के लिए 400 वर्कशाप की योजना है।