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दूसरी लहर की चपेट में नागपुर

Last Updated- December 12, 2022 | 6:36 AM IST

नागपुर में कोविड-19 की दूसरी लहर के साथ पहले जैसी चुनौतियां भी आई हैं। अस्पतालों पर दबाव बढ़ रहा है और कारोबार प्रभावित हो रहा है। नागपुर में सबसे बड़े निजी अस्पताल किंग्सवे हॉस्पिटल के डॉ. राजन बरोड़कर ने कहा कि अस्पताल में भर्ती होने वालों की दैनिक सूची देखने पर हर बार अलग चिंता सताती है। किंग्सवे हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर विभाग के प्रमुख बरोड़कर ने कहा, ‘हमारे अस्पताल में कोविड के 160 मरीज हैं, जिनमें करीब 25 फीसदी 40 साल के कम उम्र के हैं। उनमें से कुछ गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती हैं, जिनमें 17 साल का नवयुवक भी है। यह बेहद चिंताजनक है। पिछले साल अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों में 40 साल से कम उम्र के लोगों की संख्या काफी कम थी और आईसीयू में तो वे न के बराबर थे।’
अस्पताल ने पिछले साल अगस्त में 70 बिस्तरों के साथ कोविड-19 केंद्र की शुरुआत की थी। उसके बाद से बिस्तरों की संख्या बढ़कर 160 हो गई है, लेकिन नागपुर और महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के पड़ोसी जिलों के गंभीर मरीजों के लिए इतने बिस्तर कम साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘पिछले सात दिन में हमारे सभी बिस्तर भर गए हैं और 15 से 20 मरीज भर्ती होने का इंतजार कर रहे हैं।’
संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और दूसरी लहर में वायरस पूरे परिवार को संक्रमित कर रहा है। अकेले नागपुर जिले में गुरुवार को कोविड के 3,760 मामले दर्ज किए गए। वर्तमान में कुल सक्रिय मामलों की संख्या 35,000 से भी ज्यादा हो गई है, जिससे यह देश में पुणे के बाद दूसरा सबसे प्रभावित जिला बन गया है।
संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए नागपुर नगर निगम ने 15 मार्च से एक हफ्ते के लिए सख्त लॉकडाउन लगा दिया मगर लोगों के विरोध के बाद इसमें थोड़ी ढील देनी पड़ी। नाग विदर्भ चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (एनवीसीसी) के अध्यक्ष अश्विन मेहदिया ने कहा कि लॉकडाउन की घोषणा से पहले व्यापार संठगनों को भरोसे में नहीं लिया गया। असंगठित क्षेत्रों से भी बंदिशों में ढील देने का दबाव बढ़ाया गया था। हॉकर और ऑटोरिक्शा मालिकों ने विरोध में भूख हड़ताल की योजना बनाई थी। बढ़ते दबाव को देखते हुए नगर निगम ने 21 मार्च को पाबंदियों में थोड़ी ढील दे दी। गैर-जरूरी प्रतिष्ठान और रेस्टोरेंट फिर से खुल गए हैं लेकिन उनके कामकाजी समय पर कुछ पाबंदी लगाई गई है।
मध्य नागपुर के इतवारी इलाके में बाजार खुल गए हैं। यहां अनाज और घरेलू वस्तुओं का थोक दुकानें हैं, जहां शहर भर से खरीदार आते हैं। वस्तुओं की चढ़ाई-उतराई भी शुरू हो गई है। एफएमसीजी फर्मों के बिक्री प्रतिनिधियों का भी इलाके में आना शुरू हो गया है। अनाज और खाद्य तेल के छोटे थोक विक्रेता चेतन जसोर ने कहा, ‘इतवारी किराना बाजार में कारोबार पिछले साल से ही 20-30 फीसदी घट गया है क्योंकि दूर दराज के लोग अब यहां खरीदारी के लिए नहीं आ रहे हैं। नकदी प्रवाह भी प्रभावित हुआ है क्योंकि बड़े विक्रेताओं ने उधारी बंद कर दी है या उधारी अवधि घटा दी है।’
होली के त्योहार पर अनिश्चितता के बादल मंडराने से बगल की गली में रंग और पिचकारी बेचने वाली दुकानों का कारोबार भी ठंडा पड़ा है।
शुक्रवार को नागुपर की निगम आयुक्त राधाकृष्णन बी ने होली के अवसर पर सार्वजनिक समारोह और जलसे पर पाबंदी लगा दी। होटल और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं। इतवारी में आभूषण की दुकान चलाने वाले जयंत शाह का कहना है कि कारोबार 20 फीसदी तक लुढ़क चुका है। हालांकि उन्हें लगता है कि विवाह आदि का मुहूर्त शुरू होने के बाद अधिक संख्या में लोग खरीदारी के लिए आगे आ सकते हैं। एनवीसीसी ने दुकानें खोलने के बाद अपने सदस्यों को -एसएमएस- यानी शारीरिक दूरी, मास्क पहनने और सैनिटाइजर से बार-बार हाथ देने की हिदायत दे रखी है। जसोर का कहना है कि वह और उनके कर्मचारी साफ-सफाई से जुड़े सभी नियमों का पालन कर रहे हैं और बाहर से आने वाली चाय तक अपने-अपने गिलास में पी रहे हैं। लेकिन सड़क पर लोगों में गंभीरता का साफ अभाव दिख रहा है। जगह-जगह भीड़ देखी जा सकती है और आस-पास से गुरजने वाले लोगों के मास्क नाक और मुंह के बजाय नीचे सरके रहते हैं।
नवंबर और जनवरी के दौरान नागपुर में कोविड-19 के मामलों में कमी आई थी लेकिन फरवरी के अंत में आंकड़े अचानक तेजी से बढऩे लगे। इसी दौरान पड़ोसी जिले अमरावती में संक्रमण तेजी से फैलने लगा, जिस कारण वहां लॉकडाउन लगाना पड़ा। स्थानीय स्तर पर तो मामले बढ़ रही रहे हैं, बड़े विवाह समारोहों की वजह से भी संक्रमण तेजी से फैला है। नागपुर शहर से कुछ दूर पर आयोजित विवाह समारोहों में सैकड़ों की तादाद में लोग शामिल हुए और इस वजह से मामलों में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई। डॉ. बरोड़कर कहते हैं, ‘नागपुर में संक्रमण रोका जा सकता था, लेकिन लोगों ने कोविड-19 से बचाव के उपायों का पालन नहीं किया जिस वजह से मामलों में बढ़ोतरी होनी तय थी।’ कोविड-19 मरीजों के लिए ओपीडी सुविधा शुरू करने वाले डॉ. पिनाक दांडे कहते हैं, ‘लोग लापरवाह हो गए हैं, जिससे मामले बढ़े हैं। हम रोज लगभग 10 से 15 लोगों का इलाज कर रहे हैं, जिससे आस-पास के अस्पतालों पर बोझ कम हो गया है।’
नागपुर नगर निगम जांच का दायरा तेजी से बढ़ा रहा है और इस महामारी पर अंकुश लगाने के लिए तकनीक का उपयोग कर रहा है, मसलन लोगों को जागरू क करने के लिए डॉक्टर फेसबुक पर लाइव होकर स्वास्थ्य संबंधी और बीमारी की रोकथाम से जुड़ी सलाह दे रहे हैं। निगम कोविड-19 मरीजों का पता लगाने के लिए फेशियल रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। अतिरिक्त निगम आयुक्त राम जोशी कहते हैं, ‘हम पहले 3,000 से 4,000 जांच रोज करते थे लेकिन अब इसे बढ़ाकर 12,000 कर दिया है। इसके साथ ही 10-11 हजार के बजाय रोजाना 20,000 लोगों को टीके लगाने की तैयारी शुरू कर दी है।’

First Published - March 27, 2021 | 12:06 AM IST

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