facebookmetapixel
IRCTC टिकट बुकिंग में नया सिस्टम, फर्जी अकाउंट्स अब नहीं बचेंगेDelhi Weather Today: दिल्ली पर घना कोहरा, AQI 500 के करीब; GRAP स्टेज-4 की कड़ी पाबंदियां लागूElon Musk का अगला बड़ा दांव! SpaceX की IPO प्लानिंग, शेयर बिक्री से ₹800 अरब डॉलर वैल्यूएशन का संकेतUP: सांसद से प्रदेश अध्यक्ष तक, पंकज चौधरी को भाजपा की नई जिम्मेदारीइनकम टैक्स डिपार्टमेंट का अलर्ट: फर्जी डोनेशन क्लेम पर टैक्सपेयर्स को मिलेगा SMS और ईमेलदिल्ली की हवा फिर बिगड़ी, AQI 450 के करीब पहुंचते ही GRAP स्टेज-4 के सभी नियम पूरे NCR में लागूकिराया सीमा के बाद भी मनमानी? 10 में 6 यात्रियों ने एयरलाइंस पर नियम तोड़ने का आरोप लगायाCorporate Actions: बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से भरपूर रहने वाला है अगला हफ्ता, निवेशकों के लिए अलर्ट मोडDividend Stocks: महारत्न PSU अपने निवेशकों को देने जा रही 50% का डिविडेंड, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्तेPhD वाला गरीब, 10वीं फेल करोड़पति! रॉबर्ट कियोसाकी ने बताया आखिर पैसा कहां चूक जाता है

मप्र: निवेश का न्योता ही मिल रहा है, मदद नहीं

Last Updated- December 07, 2022 | 3:40 PM IST

मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में आयोजित ‘ग्वालियर निवेशक बैठक में’ इंडिया इंफ्रास्ट्रॅक्चर पहल के तहत आने वाली एक बड़ी परियोजना थातीपुर का जिक्र करना भी जरूरी नहीं समझा।


इस परियोजना के पूरा होने पर ग्वालियर ही नहीं बल्कि देश के एक अलग पहचान मिलेगी। चंडीगढ़ की कंपनी स्टेलैंड के प्रबंध निदेशक जगजीत सिंह कोचर  ग्वालियर में एक डिजिटल सिटी का निर्माण करना चाहते हैं। लेकिन सरकारी महकमे से उन्हें उपेक्षा ही मिल रही है।

कोचर बताते हैं कि पिछले साल मई-जून में ग्वालियर आए तो उन्हें लगा कि राजधानी दिल्ली के काफी नजदीक होने के कारण ग्वालियर में शिक्षा क्षेत्र के विकास की अपार संभावनाएं हैं। कोचर ने ग्वालियर में एक डिजिटल यूनीवर्सिटी स्थापित करने का प्रस्ताव सरकार के सामने पेश किया है।

कोचर ने बताया कि ‘मैं एक ऐसी डिजीटल यूनियवर्सिटी तैयार करना चाहता हूं जहां लोग कहानियां कहने और गढ़ने की कला डिजिटल तरीके से सीखें। इस यूनिवर्सिटी से डिजिटल सिनेमा, डिजिटल एनीमेशन और डिजिटल उपकरणों से जुड़ी तकनीक के बारे में दुनिया जानेगी और ग्वालियर आधुनिक मनोरंजन का नया केन्द्र बनेगा।’इस बारे में करारनामों पर दस्तखत होने के साल भर बाद भी उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (जिसे काउंटर मेगनेट सिटी के नाम से भी जाना जाता है) में अभी तक  जमीन मुहैया नहीं कराई गई है। कोचर ने सरकार द्वारा मांगी गई फीस भी जमा करा दी है। कोचर को लगभग 300 एकड़ जमीन डिजिटल गेम के साजो-समान के लिए चाहिए। साथ ही वे दुनिया की बड़ी कंपनियों  जैसे नोकिया आदि से भी बात कर रहे हैं, ताकि ये कंपनियां डिजिटल सिटी में अनुसंधान और विकास कार्य कर सकें।

कोचर ने बताया कि ‘मैं ग्वालियर के काउंटर मेग्नेट सिटी में लगभग 1000 करोड़ एकड़ क्षेत्र में तरह-तरह की परियोजनाएं लाना चाहता हूं। हमारा संबंध अमेरिका की बेडफोर्ड यूनीवर्सिटी से भी है और सबसे बड़ी यह है कि हमारे पास 3000 करोड़ रुपया है जो हम ग्वालियर में लगाना चाहते हैं, लेकिन इस पैसे को बांटा नहीं जा सकता है। मैं काम में पूरी ईमानदारी चाहता हूं जो इस प्रदेश में अब थोड़ी मुश्किल दिखती है।’

डिजिटल दर्द

ग्वालियर में थातीपुर परियोजना बनी सरकार की उपेक्षा का शिकार
ग्वालियर में डिजिटल सिटी बनाने में सरकार की दिलचस्पी नहीं

First Published - August 6, 2008 | 9:52 PM IST

संबंधित पोस्ट