बारिश कम होने या मॉनसून में देरी की वजह से हर साल गर्मी में मुंबईकरों को पानी किल्लत का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर मई-जून महीने में पानी की समस्या और बढ़ जाती है। हर साल पानी की कमी से होने वाली दिक्कत खत्म करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने समुद्र का खारा पानी पीने योग्य बनाने का फैसला किया है। मुंबई के पास मनोर में करीब 1,600 करोड़ रुपये की प्रस्तावित इस परियोजना 200 एमएलडी पानी पीने योग्य बनाया जाएगा।
मुंबई में मई और जून महीने में पानी की किल्लत टालने के लिए मनोर में समुद्र का 200 एमएलडी खारा पानी पीने योग्य मीठा बनाने वाली नि:क्षारीकरण परियोजना निर्माण करने के काम का जायजा लेकर परियोजना की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिया। मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि बारिश के मौसम के आरंभ में सतत बारिश के कारण मई और जून महीने तक मुंबई में 10 से 15 फीसदी पानी की कटौती करनी पड़ती है। समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य बना कर इस परेशानी को हल किया जा सकता है। विश्व के अनेक देशों में यह प्रयोग सफलतापूर्वक किया गया है, जबकि कई देशों में ऐसे परियोजनाओं की निर्माण प्रक्रिया शुरू है। मुंबई जैसे महानगर में यह परियोजना निश्चित तौर पर लाभकारी साबित होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र को बड़े पैमाने में सागर किनारा प्राप्त है। इसलिए इस परियोजना में लगनेवाला पानी हमारे पास उपलब्ध है। यह परियजोना सौर ऊर्जा से चलेगी जिससे खर्च भी कम होगा। मनोर में पानी की गुणवत्ता अच्छी है, बुनियादी सुविधाएं भी यहां सहज रूप में उपलब्ध हो सकती है। मनोर में सरकारी भूखंड उपलब्ध है तथा रास्ते भी उपलब्ध है। इस स्थान पर बस्ती कम होने के कारण परियोजना बिना किसी रुकावट के पूर्ण होगी, जिससे मुंबई के नागरिकों को बिना किल्लत के नियमित पानी मिलेगा।
मुंबई महानगर पालिका के आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने बताया कि इस परियोजना को पूरा होने में तकरीबन ढाई से तीन साल का वक्त लग सकता है। इसे बनाने के लिए तकरीबन 25 से 30 एकड़ की भूमि का उपयोग किया जाएगा। जहां 200 एमएलडी पानी वाली इस परियोजना को स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना में तकरीबन 1,600 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। समुद्र के खारे पानी को मीठा करने के लिए तीन से चार पैसे प्रति लीटर खर्च होने का अनुमान है।
