लखनऊ नगर निगम द्वारा जारी बॉन्ड आज बीएसई पर सूचीबद्ध हो गए। उत्तर प्रदेश की इस राजधानी ने इस बॉन्ड निर्गम के जरिये 200 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह नगर निगम बॉन्ड के जरिये पूंजी जुटाने वाला देश का 9वां और उत्तर भारत का पहला शहर बन गया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूचीबद्धता के मौके पर रस्म के रूप में बेल बजाई। उन्होंने कहा कि अगला नगर निगम बॉन्ड गाजियाबाद लेकर आएगा, जिसके बाद प्रयागराज, वाराणसी, आगरा और कानपुर शहर अपने नगर निगम बॉन्ड लाएंगे। लखनऊ नगर निगम का बॉन्ड निर्गम 13 नवंबर को शुरू हुआ था, जिसमें कूपन 8.5 फीसदी और अवधि 10 साल थी। यह निर्गम 4.5 गुना सब्सक्राइब हुआ।
आदित्यनाथ ने राज्य के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों से भी आग्रह किया कि वे अपनी कारोबारी वृद्धि की खातिर इक्विटी पूंजी जुटाने के लिए इस स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें। उन्होंने निवेशकों और फिल्म निर्माताओं से मुलाकात की। वह मुंबई की दो दिन की यात्रा पर हैं।
उन्होंने बताया कि अब तक 15 इकाइयों ने बीएसई पर सूचीबद्ध होकर अपनी कार्यशील पूंजी और वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए कदम उठाए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियां निवेश अनुकूल हैं। हम निवेशकों के लिए कारोबार को आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हाल में एकल खिड़की प्रणाली के जरिये निवेशकों की जरूरतें एवं उम्मीदें पूरी की जा रही हैं।’
उन्होंने इस बॉन्ड की सूचीबद्धता को राज्य के इतिहास में ‘एक नए युग की शुरुआत’ बताया। उन्होंने कहा, ‘कुल 200 करोड़ रुपये के बॉन्ड की सूचीबद्धता आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम है। उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत के वादे को पूरा करने में एक अहम भूमिका अदा करेगा।’लखनऊ नगर निगम के लिए इस उधारी की वास्तविक लागत करीब 7.25 फीसदी होगी क्योंकि इस बॉन्ड के लिए केंद्र 26 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन देगा। लखनऊ नगर निगम के बॉन्ड को ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने एए स्टेबल और एए (सीई) स्टेबल रेटिंग दी है। देश में अब तक नगर निगम बॉन्डों के जरिये कुल 3,600 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। आम तौर पर ऐसे बॉन्डों के जरिये जुटाए जाने वाले पैसे का इस्तेमाल सड़क, पानी और आवास जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए होता है।
बाजार नियामक सेबी ने वर्ष 2015 में नगर निगम बॉन्डों के जरिये पूंजी जुटाने का खाका जारी किया था। इन बॉन्डों को जारी करने की पात्रता के अहम मापदंडों में एक यह है कि नगर निकाय का पहले के तीन वित्त वर्षों में से किसी भी वर्ष में ऋणात्मक नेट वर्थ न हो और उसने पिछले एक साल में भुगतान में डिफॉल्ट न किया हो।
