एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी पुनर्विकास परियोजना में घरेलू कंपनियों के साथ विदेशी कंपनियां भी दिलचस्पी ले रही है। धारावी पुनर्विकास के में घरेलू कंपनियों के साथ 8 विदेशी कंपनियों की तरफ से निविदा बोली डाली गई है जिनमें से मध्य पूर्व और एक दक्षिण कोरिया की कंपनियां है। अगले महीने तक निविदा बोली प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद की जा रही है।
पिछले की सालों से धारावी पुनर्विकास परियोजना में काम हो रहा है लेकिन विकासक कंपनियों की दिलचस्पी न होने के कारण यह परियोजना परवान नहीं चढ़ सकी है। महाराष्ट्र में सत्ता बदलने के साथ सरकार ने नए सिरे से इस पर काम शुरु किया जिसके परिणाम आना शुरू हो गए हैं।
इंफॉर्मा मार्केट्स इंडिया द्वारा आयोजित वर्ल्ड ऑफ कंक्रीट इंडिया शो में शामिल मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) के आयुक्त एवं धारावी पुनर्विकास प्राधिकरण के सीईओ एसवीआर श्रीनिवास ने बताया कि घरेलू कंपनियों के साथ कुछ विदेशी कंपनियों ने भी निविदा बोली प्रक्रिया में शामिल हो रही है जिनमें मध्य-पूर्व और दक्षिण कोरिया की कंपनियां है।
श्रीनिवास ने कहा कि निविदा बोली प्रक्रिया अभी भी खुली है, इसलिए यह बताना जल्दबाजी होगी कि वास्तव में कितनी कंपनियों ने भाग लिया है लेकिन भारत और विदेशों की कंपनियों ने अपनी रुचि दिखाई है। इस महीने के अंत तक टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और अगले महीने यानी नवंबर में ट्रेडर खोला जाएगा। उन्होने कहा कि इस बार की प्रक्रिया में कंपनियों को होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए कई नियमों में बदलाव किये गए ताकि प्रक्रिया सरल और पारदर्शिय हो, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे है।
इस साल 1 अक्टूबर को इस परियोजना के लिए वैश्विक निविदा आमंत्रित की गई थी जिसको जमा करने की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर है। इस परियोजना में रियल एस्टेट क्षेत्र की बड़ी कंपनियां भाग ले रही हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अभी तक इस प्रक्रिया में मैक्रोटेक डेवलपर्स (पूर्व में लोढ़ा डेवलपर्स), हीरानंदानी ग्रुप, हाउस ऑफ हीरानंदानी, डीएलएफ, गोदरेज प्रॉपर्टीज, अदानी रियल्टी, प्रेस्टीज ग्रुप, शोभा, आरएमजेड ग्रुप, ओबेरॉय रियल्टी, रनवाल ग्रुप और ब्रिगेड ग्रुप शामिल हैं। इसके अलावा हबटाउन, डीबी रियल्टी और ओमकार रियल्टर्स भी इस परियोजना में शामिल हो सकता है क्योंकि इनके पास मलिन बस्तियों के पुनर्विकास का अनुभव है और वे अन्य वित्तीय मानदंडों पर अर्हता प्राप्त करते हैं।
धारावी पुनर्विकास परियोजना को लेकर देश के दो प्रसिद्ध उद्योगपति गौतम अदाणी और मुकेश अंबानी के बीच रेस की चर्चा है। एमएमआरडीए के अधिकारियों का कहना है कि बोली प्रक्रिया अभी चालू है, इसलिए खुलकर कुछ बोलना उचित नहीं है लेकिन ये दोनों उद्योगपति इस परियोजना में दिलचस्पी ले रहे हैं जो धारावी के विकास के लिए अच्छा है। गौरतलब है कि अदाणी समूह साल 2018 में धारावी के पुनर्विकास परियोजना के मामले में सेकलिंग समूह से पिछड़ गया था। साल 2020 में महाविकास आघाड़ी सरकार ने वह निविदा रद्द कर दी थी। उसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने धारावी के पुनर्विकास के संबंध में तीन बैठकें की थीं। उस समय धारावी पुनर्विकास परियोजना अदाणी समूह को मिलने की चर्चा थी।
राज्य में सरकार बदलते ही इस परियोजना की कवायद नए सिरे से शुरु हुई और वर्तमान कैबिनेट ने फिर एक नई निविदा के लिए अपनी मंजूरी दे दी जिसमें रेलवे की जमीन होगी। परियोजना के लिए फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) या विकसित स्थान का उपलब्ध भूमि से अनुपात इस बार चार दिया गया। हालांकि हवाई अड्डे से इसकी निकटता के कारण ऊंचाई प्रतिबंध है। जिस पर हाल ही में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जानकारी देते हुए कहा कि परियोजना तब तक संभव नहीं होगी जब तक इसे इतना अधिक एफएसआई नहीं दिया जाता। किसी भी हवाई अड्डे के प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं किया जाएगा, और अतिरिक्त एफएसआई का इस्तेमाल कहीं और किया जाएगा। इस परियोजना में बिल्डरों को शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कहते हैं कि यह दुनिया के बड़े प्रोजेक्टों में से एक होगा, लोगों को घर मिलेगा, उनका जीवन स्तर सुधरेगा और आपको भी खूब फायदा होने वाला है।
करीब 600 एकड़ में धारावी का पुनर्विकास होना है, जहां 68000 झुग्गीवासियों के लिए 68000 पक्के घर बनाए जाएंगे। राज्य सरकार की योजना के तहत 1 जनवरी 2000 तक के वैध झुग्गीवासियों को मुफ्त में, बाकी झुग्गीवासियों को कंस्ट्रक्शन कॉस्ट के आधार पर 300 वर्गफुट का घर मिलेगा। इस परियोजना के लिए 28000 करोड़ खर्च का अनुमान लगाया गया था जिसमें अब 20 से 30 फीसदी बढ़ोत्तरी संभावित है।