उत्तर प्रदेश सरकार रियल एस्टेट डेवलपरों को जमीन अधिग्रहण से संबंधित कुछ रियायतें देने पर विचार कर रही है और अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो इससे डीएलएफ, यूनिटेक और दूसरी रियल एस्टेट कंपनियों को खासा फायदा हो सकता है।
मायावती सरकार डेवलपरों के लिए एक राहत पैकेज लाने की तैयारी में है। जमीन के अधिग्रहण से जुड़ा यह पैकेज टाउनशिप और मेट्रो सिटी का विकास करने वाली रियल एस्टेट कंपनियों के लिए होगा। पहले आमतौर पर रियल एस्टेट डेवलपरों के पास जमीन का दाम चुकाने के लिए 5 से 7 साल का समय होता था।
पर अब राज्य सरकार इस मियाद को बढ़ाकर 10 साल करने की योजना बना रही है। यानी कि इस योजना के अनुसार टाउनशिप और मेट्रो सिटी का विकास करने वाली कंपनियों के पास अधिग्रहित जमीन का मूल्य चुकाने के लिए ज्यादा समय होगा।
अगर इस योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिल जाती है तो इससे डेवलपर राहत की सांस ले सकेंगे जो पहले से ही नकदी की किल्लत से जूझ रहे हैं।
नकदी की कमी होने के कारण ही रियल एस्टेट कंपनियां बैंकों और म्युचुअल फंडों से ऋण वापसी की अवधि को बढ़ाने का आग्रह कर रही हैं।
मंदी के मद्देनजर अचल संपत्ति के बाजार में मांग भी घटी है और इसे ध्यान में रखते हुए कई कंपनियों ने अपनी परियोजनाओं को फिलहाल टाल भी दिया है। किसी परियोजना पर जितना कुल खर्च आता है, उसमें से करीब 50 फीसदी खर्च जमीन पर ही होता है।
क्रशमैन और वेकफील्ड (दक्षिण एशिया) के कार्यकारी प्रबंध निदेशक संजय वर्मा ने बताया कि अगर सरकार जमीन के भुगतान की अवधि को बढ़ा देती है तो इससे डेवलपरों को अपनी परियोजनाएं पूरी करने में सुविधा हो जाएगी।
इसके अलावा राज्य सरकार डेवलपरों को एक और बड़ा तोहफा देने पर विचार कर रही है और वह है बकाये भुगतान पर लगने वाले जुर्माने को पूरी तरह से खत्म करने का। अब तक देर से भुगतान करने वाले डेवलपरों को 2 फीसदी का जुर्माना भरना पड़ता था।
पर अब सरकार इसे पूरी तरह से खत्म करने का मन बना रही है। साथ ही अगर डेवलपर समय पर भुगतान नहीं कर पाते हैं तो राज्य सरकार उनके जमीन समझौते को रद्द भी नहीं करेगी।
इस प्रस्तावित नीति के दस्तावेजों के अनुसार ऐसे डेवलपर जिनका तय अवधि तक जमीन की कुल कीमत का 95 फीसदी बकाया रह जाता है, उन पर असर जरूर पड़ सकता है।
इन रियायतों के अलावा राज्य सरकार स्टाम्प डयूटी और संपत्ति के पंजीकरण पर 50 फीसदी की जो छूट देती रही है, उसे और 6 महीनों के लिए बढ़ा सकती है। या फिर इसे 30 सितंबर, 2009 तक भी बढ़ाया जा सकता है।
पहले यह छूट 31 मार्च, 2009 तक के लिए दी गई थी। जो डेवलपर इस राहत पैकेज का लाभ उठा रहे हैं उन्हें 30 जून, 2009 तक दोबारा से आवेदन जमा कराना होगा।