बैंकिंग व्यवस्था में नकदी आज और भी बढ़ गई। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक आज शुद्ध नकदी अधिशेष 3.74 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो 1 जून 2022 के बाद से सबसे अधिक है।
ज्यादा सरकारी खर्च और उम्मीद से कम जीएसटी संग्रह बैंकिंग व्यवस्था में अधिशेष नकदी की प्रमुख वजह बताई जा रही हैं। डीलरों ने कहा कि जीएसटी चुकाने के लिए ज्यादा नकदी नहीं निकाली गई। उन्होंने कहा कि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) घटाने के बाद रिजर्व बैंक के पास नकद निकासी के लिए वेरिएबल रेट रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) नीलामी के अलावा कोई और जरिया नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक कम अवधि की वीआरआरआर नीलामी कर सकता है ताकि टिकाऊ नकदी प्रभावित नहीं हो। वह चाहता है कि रीपो रेट में 100 आधार अंक कटौती का असर पूरी व्यवस्था पर दिखाई दे।
बैंक लंबी अवधि की वीआरआरआर नीलामी में हिस्सा शायद ही लें क्योंकि वे अपने पास गुंजाइश बनाए रखना चाहते हैं। इसीलिए लंबी अवधि के लिए नकदी निकालने वाले साधनों के इस्तेमाल की संभावना कम ही है।
येस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा, ‘नकदी की स्थिति में सुधार की प्रमुख वजह सरकार का अधिक व्यय और कम जीएसटी संग्रह है, जिसके कारण नकदी की निकासी उतनी नहीं हुई, जितनी उम्मीद थी। चूंकि रिजर्व बैंक ने सीआरआर में कटौती की है, इसलिए वह अभी वीआरआरआर के अलावा कोई अन्य उपाय नहीं अपना सकता। वह कम अवधि की वीआरआरआर नीलामी करेंगा।’
अतिरिक्त नकदी के कारण ओवरनाइट वेटेड औसत कॉल दर 5.25 प्रतिशत की स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) दर के नजदीक पहुंच गई है मगर 5.50 प्रतिशत रीपो दर से कम है। आज वेटेड औसत कॉल दर 5.27 प्रतिशत थी।