उत्तर प्रदेश में हो रहे लोकसभा चुनाव में इस बार नए सियासी रंग देखने को मिल रहे हैं।
पहली बार प्रदेश में चुनाव प्रचार के मामले में व्यापारी नेता प्रमुख भूमिका में नजर आ रहे हैं और वह भी बहुजन समाज पार्टी के लिए। अपने नेताओं के इस बदले रूप को देख कर हैरान आम व्यापारी तो अब चुनाव पर बातचीत से ही कतरा रहे हैं।
प्रदेश का आम व्यापारी जो अब तक चुनाव में सीमित ही सही पर एक भूमिका निभाता रहा है। इस बार चुनावों से उखड़ा हुआ है। चुनाव प्रचार के दौरान ही प्रदेश के बड़े व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछल के पाला बदल के चलते ऐसी स्थितियां पैदा हो गयी हैं।
कंछल एक पखवाड़े पहले तक समाजवादी पार्टी में थे जिसने उन्हें सेवाओं के बदले राज्य सभा भी भेजा था। कंछल व्यापारियों की स्वाभाविक पार्टी भारतीय जनता पार्टी को बीते विधान सभा चुनावों से पहले टाटा बोल कर सपा में गए थे। इस बार उन्होंने दल बदल के लिए लोकसभा चुनाव का मौका चुना और राज्य सभा से भी इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हो गए।
बहरहाल कंछल के इस पैंतरे के बाद अब जहां आम व्यापारी लोकसभा चुनाव से खुद को अलग रख रहा है वहीं खुद कंछल के संगठन उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल में भी बगावत हो गयी है। कंछल के व्यापारियों को बसपा का साथ देने का ऐलान का विरोध करते हुए संगठन के उपाध्यक्ष और लखनऊ के अध्यक्ष प्रमोद चौधरी ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
प्रमोद की गुस्ताखी से खफा कंछल ने उन्हें संगठन से ही निकाल दिया है। प्रमोद के साथ ही एक अन्य उपाध्यक्ष वेद गुप्ता और बख्तावर सिंह पर भी अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने की बात कही गयी है। सोमवार को संगठन के वाराणसी के उपाध्यक्ष राकेश जैन को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
दूसरी ओर इन पदाधिकारियो का कहना है कि बसपा में शामिल होना कंछल का व्यक्तिगत फैसला है और संगठन का उससे कोई लेना-देना नहीं है। संगठन से निकाले गए प्रमोद चौधरी ने कहा है कि व्यापारियों का एक प्रतिनिधि मंडल मिलकर चुनाव आयोग से संगठन के बैनर के दुरुपयोग की शिकायत करेगा।
उनका कहना है कि व्यापार मंडल का बसपा में विलय नहीं हुआ है फिर भी कंछल अपने प्रभाव से बाहर वाले जिलों की कमेटियां भंग करवा रहे हैं। दूसरी ओर व्यापारियों की इस तना-तनी के बीच आम व्यापारियों ने खुद को चुनाव से ही अलग कर लिया है।
सोमवार को जब कंछल के गुट ने अपने कभी विरोधी रहे संदीप बंसल के साथ मिल कर मायावती के लिए रैली निकाली तो उसमें नाम भर के ही व्यापारी शामिल हुए। व्यापारियों का एक अन्य संगठन जिसे श्याम बिहारी मिश्रा लीड करते हैं, ने अपने को चुनाव से ही अलग रखा है। दवा व्यापारी संघ, ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन और कई संगठन चुनाव से दूर ही हैं।
