चिकित्सा उपकरण विनिर्माता क्षेत्र ने आगामी बजट के लिए अच्छी खासी मांग सूची पेश की है। इस क्षेत्र ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए मानक दर, बेहतर निर्यात प्रोत्साहन और आयातित उपकरणों के लिए न्यूनतम खुदरा दाम की निगरानी सहित अन्य कई प्रमुख मांगें रखी हैं।
पॉलि मेडिक्योर के प्रबंध निदेशक हिमांशु बैद ने कहा कि सरकार सभी चिकित्सा उपकरणों के लिए 12 फीसदी मानक जीएसटी दर पर विचार कर सकती है। इससे कर का ढांचा सरल होगा, निरंतरता और कारोबार की सुगमता सुनिश्चित होगी।
उद्योग ने वाणिज्य मंत्रालय के निर्यात उत्पादों पर शुल्कों व करों में छूट योजना (आरओडीटीईपी) के तहत मौजूदा दर 0.6 से 0.9 फीसदी की जगह 2 से 2.5 फीसदी करने की मांग की है। इस योजना का उद्देश्य निर्यातकों को उन इनपुट पर चुकाए गए केंद्रीय, राज्य और स्थानीय निकायों के शुल्कों और करों को वापस करना है, जिन्हें अब तक वापस नहीं किया गया था या जिन पर छूट नहीं दी गई थी।
बैद ने कहा, ‘इससे भारत में निर्मित चिकित्सा उपकरणों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और विनिर्माओं को अपनी पहुंच वैश्विक बाजार तक करने में मदद मिलेगी।’
अन्य प्रमुख मांग भारत में आयात किए जाने वाले चिकित्सा उपकरणों के अधिकतम खुदरा मूल्य की निगरानी करना है ताकि घरेलू उपभोक्ताओं को ये उपकरण मुनासिब दाम पर उपलब्ध हो सकें। भारत में चिकित्सा उपकरण का बाजार वित्त वर्ष 24 में मूल्य 12 अरब डॉलर आंका गया था और इसने 8.2 अरब डॉलर मूल्य के चिकित्सा उपकरणों का आयात किया था। ईवाई – पार्थेनन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 80 से 85 फीसदी चिकित्सा उपकरण विदेश से मंगाए गए थे।
एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (एआईएमईडी) ने वित्त मंत्रालय को दिए ज्ञापन में कहा कि उपभोक्ताओं व मरीजों को उपकरणों पर आयातित मूल्य से 10 से 30 गुना अधिक भुगतान करना पड़ रहा है और ऐसे में सरकार का उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने का प्रयास व्यर्थ जाएगा। एसोसिएशन ने भारत में निर्माण की क्षमता वाले चिकित्सा उपकरणों पर शून्य और छूट शुल्क अधिसूचना को वापस लेने की मांग की है।
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