उत्तर प्रदेश की एक छोटी सी तहसील की किस्मत पर बड़े-बड़े राज्यों की राजधानियों को जलन हो सकती है।
आखिर हो भी क्यों न, अमेठी लोकसभा में सिर्फ एक सांसद ही नहीं बल्कि लंबे समय से देश को प्रधानमंत्री भी देती आई है। लेकिन यहां की मिट्टी से राजनीति का ककहरा सीखने वाले राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने की कोई जल्दबाजी नहीं है। इसीलिए उन्हें कुछ और ही तोहफा देने की तैयारी चल रही है।
अमेठी में राहुल गांधी के चुनाव प्रबंधकों ने उन्हें इस बार देश में सर्वाधिक मतों के अंतर से जीत दिलाने का लक्ष्य तय किया है। अभी तक सबसे अधिक अंतर से जीत का रिकॉर्ड कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम पर है। पिछले उप-चुनाव में वह करीब 4.17 लाख मतों के अंतर से विजयी हुई थी।
कांग्रेस के पूर्व महासचिव विजय शंकर दीक्षित ने बताया कि इस बार हमारी पूरी कोशिश मतदान का प्रतिशत बढ़ाने की है। इसीलिए प्रत्येक गांव में हर 50 व्यक्ति पर एक प्रभारी नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी की देखरेख में 20,000 स्वयं सहायता समूहों की स्थापना की गई है।
प्रत्येक समूह में औसतन 15 सदस्य हैं। इस तरह करीब 3 लाख कार्यकर्ताओं की फौज तैयार खड़ी है। अमेठी में लगभग 11 लाख मतदाता हैं। पिछली बार मतदान का प्रतिशत कम रहने के कारण राहुल गांधी की जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं हो पाया था। हालांकि बसपा को छोड़कर सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। ऐसा नहीं है कि अमेठी की अपनी समस्याएं नहीं हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली जैसे मसलों की बात की जाए तो अमेठी का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश के औसत से भी कम है। लेकिन सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव भी अमेठी के लोगों को कांग्रेस से दूर नहीं करते हैं।
जिला कांग्रेस के मीडिया प्रभारी इन्द्रेश विक्रम सिंह ने बताया कि यह सब राज्य सरकार की जिम्मेदारियां हैं और पिछले कई साल से राज्य में कांग्रेस विरोधी सरकारें ही आई हैं। रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। दूसरे दल भी इस बात को जानते हैं इसीलिए लड़ाई प्रतीकात्मक ही है।
