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भारत में बेरोजगारी से जुड़ी पहेली की जटिलता

Last Updated- December 11, 2022 | 9:51 PM IST

भारत में श्रम बाजार का हाल बताने के लिए बेरोजगारी दर सबसे महत्त्वपूर्ण संकेतक नहीं है। देश में दिसंबर 2021 में बेरोजगारी दर 7.9 प्रतिशत दर्ज की गई थी। इसका यह मतलब कतई नहीं था कि शेष 92.1 प्रतिशत लोग रोजगार वाले थे। इसका यह मतलब भी नहीं था कि देश में काम करने लायक आबादी में 92.1 प्रतिशत लोग रोजगार में लगे थे। बेरोजगारी दर का सीधा मतलब देश की आबादी के उस हिस्से से है जो अपने काम के जरिये कुछ वेतन या लाभ अर्जित करना चाहता है मगर अपने तमाम प्रयासों के बावजूद रोजगार प्राप्त करने में असफल रहा है। बेरोजगारी दर की गणना करते समय उन लोगों पर विचार नहीं किया जाता है जो काम करना नहीं चाहते या रोजगार खोजने की कोशिश नहीं करते हैं।
एक तरह से बेरोजगारी दर का आशय उन लोगों से है जो रोजगार की तलाश करने और काम करने की इच्छा रखते हैं। भारत में कठिनाई यह है कि ज्यादातर वयस्क वेतन या लाभ कमाने की इच्छा व्यक्त नहीं करते हैं। काम नहीं करने की इच्छा बेरोजगारी का महत्त्व कम कर देती है। इसका नतीजा यह होता है कि अर्थव्यवस्था की सेहत का सही आकलन नहीं हो पाता है।  
रोजगार दर कहीं अधिक उपयोगी संकेतक है। यह दर काम करने लायक कुल आबादी और रोजगार में लगे लोगों का अनुपात होती है। रोजगार दर सफलता मापने का संकेत है। हालांकि इस मोर्चे पर भारत की सफलता दर कमजोर है। कोविड-19 महामारी से प्रभावित वर्ष 2020 में रोजगार दर का वैश्विक औसत 55 प्रतिशत (2019 में यह 58 प्रतिशत था) था मगर भारत में यह महज 43 प्रतिशत था। विश्व बैंक के वर्गीकरण के आधार पर केवल पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में रोजगार दर भारत से कम थी। बांग्लोदश में रोजगार दर 53 प्रतिशत और चीन में 63 प्रतिशत थी। पाकिस्तान में यह दर 48 प्रतिशत दर्ज की गई थी। भारत में रोजगार दर इतनी कम रहना वाकई परेशान करने वाली बात है। ये आंकड़े विश्व बैंक के हैं। सीएमआईई ने तुलनात्मक रूप से रोजगार की कड़ी परिभाषा तय कर रखी है और उस लिहाज से भारत की रोजगार दर 38 प्रतिशत के साथ और कम है।
अगर देश की काम करने वाली कुल आबादी में केवल 38 प्रतिशत लोग रोजगार में लगे हैं और केवल 3 प्रतिशत काम करना चाहते हैं मगर आजीविका का कोई साधन नहीं खोज पाते हैं (कार्य करने लायक  आबादी के प्रतिशत के रूप में बेरोजगार) तो यह माना जा सकता है कि काम करने लायक आबादी में 59 प्रतिशत लोग काम करना नहीं चाहते हैं। भारत तभी एक संपन्न देश बन पाएगा जब वह 3 प्रतिशत लोगों के लिए रोजगार खोजेगा साथ ही शेष बची 59 प्रतिशत आबादी के लिए भी रोजगार के अवसर सृजित करेगा। रोजगार दर का वैश्विक मानक प्राप्त करने के लिए भारत को 18.75 करोड़ और लोगों को रोजगार देना होगा। इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण है 7.9 प्रतिशत बेरोजगारी दर में शुमार लोगों को तत्काल रोजगार मुहैया कराना। दिसंबर 2021 में ऐसे लोगों की तादाद 3.5 करोड़ थी। उन लोगों के पास रोजगार नहीं था और वे पूरी सक्रियता से रोजगार की तलाश कर रहे थे। करीब 1.7 करोड़ लोग ऐसे थे जिनके पास रोजगार नहीं था और वे रोजगार मिलने पर इससे जुडऩे की इच्छा रखते हैं मगर वे सक्रियता से रोजगार की तलाश नहीं कर रहे थे। भारत में बेरोजगारी दर को समझने के लिए उन लोगों के बीच के अंतर को जानना जरूरी है जो सक्रियता से काम की तलाश कर रहे थे और जो इसे लेकर गंभीर नहीं थे। सक्रियता से रोजगार की तलाश करने वाले 3.5 करोड़ लोग उन 1.7 करोड़ लोगों से अलग हैं जो काम करने को इच्छुक हैं मगर रोजगार के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं करने की बात भी स्वीकार करते हैं। दिसंबर 2021 में सक्रिय रूप से रोजगार खोज रहे 3.5 करोड़ बेरोजगार लोगों में 23 प्रतिशत महिलाएं थीं। सक्रियता से रोजगार की तलाश नहीं कर रहे 1.7 करोड़ लोगों में 53 प्रतिशत महिलाएं थीं। कुल मिलाकर 80 लाख महिलाएं सक्रिय होकर रोजगार की तलाश कर रही थीं जबकि इससे अधिक 90 लाख काम तो करना चाहती थीं मगर गंभीरता से रोजगार नहीं ढूंढ़ रही थीं। यह जानना जरूरी है कि क्यों इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं नौकरियों के लिए सक्रिय रूप से आवेदन नहीं कर रही हैं या रोजगार तलाश करने के लिए दूसरे प्रयास नहीं कर रही हैं। ये महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने कहा है कि वे काम करना चाहती हैं। क्या इसकी वजह रोजगार के अवसरों की कमी है या श्रम बाजार में महिलाओं के लिए पर्याप्त सामाजिक समर्थन का अभाव है?
बेरोजगार लोगों की उम्र एक रहस्यमयी तस्वीर पेश करती है। सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगार लोगों में 85 प्रतिशत 20 से 30 वर्ष के बीच के हैं। गंभीरता से नौकरी की तलाश नहीं करने वाले लोगों में केवल 37 प्रतिशत लोग 20 से 30 वर्ष की उम्र के दायरे में हैं। अपेक्षाकृत कम उम्र के लोग पहेली हैं। 15 से 19 वर्ष के 40 लाख किशोर सक्रिय रूप से रोजगार की तलाश कर रहे थे मगर वे किसी रोजगार से नहीं जुड़े थे। काम की तलाश में जुटे कुल लोगों में इनकी हिस्सेदारी 11 प्रतिशत थी। इनकी तुलना में 15 से 19 वर्ष की उम्र के बीच 70 लाख लोग ऐसे थे जो रोजगार करना तो चाहते थे मगर सक्रियता से इसके लिए प्रयास नहीं कर रहे थे। रोजगार की सक्रियता से तलाश नहीं करने वाले लोगों में इनकी हिस्सेदारी 41 प्रतिशत थी। क्यों इतनी कम उम्र के लड़के एवं लड़कियां काम करना चाहते हैं मगर सक्रियता से रोजगार की तलाश नहीं कर रहे हैं? यह साफ है कि वे रोजगार की जरूरत तो महसूस कर रहे हैं मगर सक्रियता से इसकी तलाश के लिए प्रेरित नहीं दिखाई दे रहे हैं। इसकी एक वजह यह हो सकती है कि उपलब्ध रोजगारों की संख्या पर्याप्प्त नहीं है जिससे वे इनकी तलाश के लिए प्रेरित नहीं हो पाते हैं। भारत में बरोजगारी की समस्या का आकलन बेरोजगारी दर से नहीं हो पाता है। देश की मुख्य समस्या रोजगार दर का कम होना और महिलाओं का श्रम बाजार का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित नहीं होना है।

First Published - January 20, 2022 | 10:59 PM IST

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