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अरबपतियों का राज

Last Updated- February 17, 2023 | 11:56 PM IST
This company of Mukesh Ambani gave 250 percent return in 1 year, surge of 75 percent in a month मुकेश अंबानी की इस कंपनी ने 1 साल में दिया 250 फीसदी का रिटर्न, महीने भर में ही 75 फीसदी की मारी उछाल

बीते कुछ दिनों में हुई दो घोषणाओं ने ध्यान आकृष्ट किया। पहली थी टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया की 470 यात्री विमानों की खरीद के ऑर्डर देने तथा 370 अन्य विमानों की खरीद का विकल्प रखने की घोषणा। यह 840 विमानों का संयुक्त आंकड़ा विमानन कंपनियों के 700 विमानों के मौजूदा बेड़े से भी अ​धिक है।

दूसरी घोषणा थी मुकेश अंबानी, कुमार मंगलम बिड़ला और टाटा समेत वि​भिन्न कारोबारी घरानों द्वारा एक ही राज्य (उत्तर प्रदेश) में 3.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताया जाना।

ऐसी घोषणाओं से यह सवाल उठता है कि आ​खिर भारत के बड़े कारोबारी घरानों का कितना दबदबा है? क्या देश की महत्त्वाकांक्षाएं इन कारोबारी समूहों की सफलताओं पर निर्भर हैं? एक आंकड़े के मुताबिक गौतम अदाणी की कंपनियां देश के कुछ सबसे बड़े बंदरगाहों का संचालन करती हैं, देश के 30 फीसदी अनाज का भंडारण करती हैं, देश के कुल बिजली पारेषण के पांचवें हिस्से को संभालती हैं, देश के कुल वा​णि​ज्यिक हवाई यातायात के चौथाई हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं और देश के कुल सीमेंट का पांचवां हिस्सा उत्पादित करती हैं।

सिंगापुर की एक कंपनी के साथ उसके संयुक्त उपक्रम को देश की सबसे बड़ी खाद्य कंपनी माना जाता है। इस सूची में सोलर पैनल, बिजली उत्पादन, हरित हाइड्रोजन, राजमार्ग, तांबा, कोयला खदानें, पेट्रोकेमिकल्स, डेटा सेंटर और क्लाउड सेवाएं शामिल नहीं हैं।

समूह के सीएफओ ने कुछ महीने पहले कुल 120-140 अरब डॉलर (9.6 से 11.2 लाख करोड़ रुपये) मूल्य की परियोजनाओं का उल्लेख किया था। समूह का लक्ष्य एक लाख करोड़ डॉलर का मूल्यांकन हासिल करने का था जिसके बारे में सीएफओ ने कहा कि ऐपल और सऊदी अरामको जैसी चुनिंदा कंपनियां ही यह लक्ष्य हासिल कर सकी हैं। यह पूरा वाकया हिंडनबर्ग खुलासों के पहले का है। वर्ष 2022 में समूह का शुद्ध मुनाफा 2.9 अरब डॉलर (0.23 लाख करोड़ रुपये) रहा।

अ​धिक मुनाफा कमाने वाले टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने हाल ही में अगले पांच वर्षों में 90 अरब डॉलर (7.2 लाख करोड़ रुपये) की निवेश योजनाओं का जिक्र किया। अदाणी और मुकेश अंबानी की वि​भिन्न घोषणाओं से तुलना की जाए तो यह रा​शि काफी कम नजर आती है। दोनों ने मिलकर 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणाएं की हैं।

अंबानी की महत्त्वाकांक्षा देश की नवीकरणीय ऊर्जा में पांचवें हिस्से का उत्पादन करने की है। इसके लिए रिलायंस ने गुजरात में 4,50,000 एकड़ जमीन चाही है। यह पूरा इलाका दिल्ली राज्य के भूभाग से भी अ​धिक है।

धातु, ऑ​प्टिकल फाइबर और ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वाले अनिल अग्रवाल की वेदांत के समूह का मुनाफा अदाणी से अ​धिक है,​ फिर भी उनकी योजना चार या पांच वर्ष में समूह का आकार 30 अरब डॉलर से बढ़ाकर 75 अरब डॉलर तक ले जाने की है।

इस दौरान कंपनी की योजना 20 अरब डॉलर का निवेश करने की है। वेदांत तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी के रूप में सरकारी उपक्रम ओएनजीसी की बराबरी करने की उम्मीद कर रही है।

इसके अलावा कंपनी की योजना इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले यूनिट तथा सेमीकंडक्टर संयंत्र लगाने की भी है जिसके लिए उसने फॉक्सकॉन के साथ साझेदारी की है। इसके बाद आदित्य बिड़ला समूह जैसी अन्य कंपनियां हैं ​जो सीमेंट, धातु, टेक्सटाइल्स, उर्वरक, टायर आदि क्षेत्रों में तगड़ा दखल रखती है। उनके मुनाफे भी अदाणी से अ​धिक हैं लेकिन वह बड़ी घोषणाएं करने में सतर्कता बरतती है। 22 अरब डॉलर का सज्जन जिंदल का जेएसडब्ल्यू समूह इस्पात, ऊर्जा, सीमेंट, बुनियादी ढांचा, पेंट और वेंचर कैपिटल क्षेत्र में है तथा वह भी एक बड़ा निवेशक है।

माना जा रहा है कि समूह अपनी सीमेंट क्षमता को तीन गुना करेगा और बंदरगाहों और टर्मिनल की क्षमता में छह गुना इजाफा करेगा।

तीन बड़ी कंपनियों द्वारा 30 लाख करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा देश के कुल जीडीपी के दसवें हिस्से के बराबर है और इसे चार से 10 वर्षों में अंजाम देना है। देश की 3,250 सूचीबद्ध, गैर वित्तीय कंपनियों के शुद्ध मुनाफे में से 20 फीसदी इन्हीं कंपनियों का था।

इसके बाद के तीन बड़े समूह 10 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी रखते हैं। इन छह कंपनियों को मिलाकर देखें तो नए निजी निवेश में से एक तिहाई इनका ही होने वाला है। जरूरी नहीं कि योजना का सारा निवेश फलीभूत हो। पुराने अनुभवों की बात करे तो अति महत्त्वाकांक्षी कारोबारियों मसलन: अनिल अंबानी, एस्सार के रुइया बंधु, आंध्र प्रदेश की जीएमआर, जीवीके और लैंको आदि कंपनियों ने मनमोहन सिंह के दौर में ऋण आ​धारित वृद्धि का सहारा लिया जिसका नतीजा बुरा हुआ।

मौजूदा दौर में अदाणी का मामला अतिमहत्त्वाकांक्षा का नजर आ रहा है। बाकी कंपनियों की फंडिंग बेहतर है। बड़े निवेश एक जगह इसलिए केंद्रित हो रहे हैं कि उनकी प्रकृति ही गहन पूंजी की है।

इसके बावजूद विविध कारोबारों वाले समूहों का उदय पुराने दौर के केंद्रित, एकल कारोबारों से उलट है जो दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी, औष​धि और वाहन आदि क्षेत्रों में काम करते थे। समूह की श​क्ति प्रतिद्वंद्वियों को निचोड़ लेने या उन्हें खरीद लेने में मदद कर सकती है।

इन दोनों बातों के प्रमाण मौजूद हैं। द​​क्षिण कोरिया, जापान और रूस के अनुभव ने दिखाया है कि कारोबारी समूह का मॉडल अक्सर राजनीतिक संपर्कों के साथ आता है। परंतु ऐसी तुलनाएं अनावश्यक हो सकती हैं। छह बड़े समूहों का राजस्व देश के जीडीपी के 11 फीसदी के बराबर है। द​क्षिण कोरिया में अकेले सैमसंग इससे अ​धिक का हिस्सेदार है।

First Published - February 17, 2023 | 11:53 PM IST

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