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ड्रोन उद्योग में दूसरी पीढ़ी के सुधार

महज तीन साल पहले तक देश में ड्रोन बनाने और उन्हें चलाने की बात कोई सोच भी नहीं सकता था। मगर तब से अब तक काफी बदलाव आया है..

Last Updated- December 16, 2024 | 9:45 PM IST
drone

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि एयर टैक्सी जल्द ही भारत में हकीकत बन जाएंगी। इससे संकेत मिलता है कि देश में ड्रोन के क्षेत्र में दूसरी पीढ़ी के सुधार शुरू हो सकते हैं। महज तीन साल पहले तक देश में ड्रोन बनाने और उन्हें चलाने की बात कोई सोच भी नहीं सकता था। मगर तब से अब तक काफी बदलाव आया है और देश ड्रोन तकनीक और नवाचार का नया अड्डा बन गया है। अब देश इस क्षेत्र में प्रगति के अगले चरण के लिए तैयार है।

अगस्त 2021 में बने ड्रोन नियम देश के ड्रोन उद्योग के लिए सुधारों की पहली पीढ़ी साबित हुए। मगर इस उपलब्धि के साथ अलग तरह की चुनौतियां आईं और इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी भी है। वर्षों की चर्चा और ड्रोन क्षेत्र को खोलने की मांग के बीच नागर विमानन मंत्रालय ने मार्च 2021 में ड्रोन नियमन तैयार किए। इन नियमों का लक्ष्य निजी उपक्रमों को बढ़ावा देना था मगर उन्होंने बहुत अधिक बंदिशें भी लगाईं, जिनसे उद्योग की वृद्धि का रास्ता बाधित होने का खतरा पैदा हो गया।

कहानी में असली और निर्णायक मोड़ तब आया, जब मोदी ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने कई बैठकें कीं, जिनसे मंत्रालयों, सुरक्षा एजेंसियों और इससे जुड़े दूसरे अहम पक्षों को साथ लाने में मदद मिली और अधिक प्रगतिशील रुख के साथ तालमेल पक्का हुए। मार्च 2021 के नियमों की जगह अगस्त 2021 के नियम लागू किए गए और उसके बाद इतिहास बन गया।

देश का 90 फीसदी से अधिक हवाई क्षेत्र पहले ही ड्रोन के संचालन के लिए अनुकूल घोषित कर दिया गया और मानवरहित विमान प्रणाली यातायात प्रबंधन (यूटीएम) फ्रेमवर्क को मंजूरी दे दी गई। उद्यमियों को ऊर्जा देने और प्रोत्साहित करने के लिए भारत ड्रोन महोत्सव 2022 का आयोजन किया गया। इससे ड्रोन के समूचे तंत्र के भीतर नेतृत्व और नवाचार को बढ़ावा मिला। सरकार ने ड्रोन क्षेत्र को खोलने के साथ ही उनसे इस्तेमाल को मुख्य धारा में लाने के मकसद से परिवर्तनकारी कदम शुरू किए। मिसाल के तौर पर स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन का इस्तेमाल कर 2.90 लाख से अधिक गांवों का सर्वेक्षण किया गया और नक्शे तैयार किए गए। इस तरह लाखों लोगों को उनकी जमीन या संपत्ति के स्वामित्व के प्रमाणपत्र दिए गए, जो पहले उनके पास नहीं थे। इसी तरह नवंबर 2021 में बड़ी खदानों के लिए ड्रोन सर्वेक्षण अनिवार्य कर दिया गया। इससे सर्वेक्षण अधिक कारगर हुआ है और जवाबदेही भी बढ़ी है।

कृषि क्षेत्र में करीब 30 लाख एकड़ इलाके में हवाई छिड़काव के लिए 3,000 से ज्यादा ड्रोन तैनात किए गए हैं और आने वाले दिनों में इनकी तादाद में इजाफा ही होगा। इसी तरह ड्रोन दीदी कार्यक्रम ने ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाया है और 1,000 से अधिक महिलाओं को ड्रोन पायलट बनने का प्रशिक्षण दिया है। इस तरह ग्रामीण इलाकों में ड्रोन तकनीक का व्यावहारिक इस्तेमाल शुरू हुआ।

देसी उद्योग की वृद्धि को मदद पहुंचाने के लिए सरकार ने विदेशी ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। उसने देश में ड्रोन उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) शुरू की और निर्यात के नियमों में ढील दी। आईडेक्स चैलेंज जैसी पहलों ने स्टार्टअप को राष्ट्रीय रक्षा क्षेत्र के लिए ड्रोन तैयार करने के वास्ते प्रेरित किया, जिससे अन्य देशों को निर्यात करने की संभावनाएं तैयार हुईं। नतीजा यह हुआ कि जो भारतीय ड्रोन बाजार 2021 में लगभग शून्य था वह 2024 में बढ़कर करीब 65.4 करोड़ डॉलर हो गया और 2029 तक यह बाजार 1.43 अरब डॉलर पर पहुंच जाने की संभावना है। देश में 2024 में कुल 10,803 ड्रोन उड़ रहे हैं, जिनकी तादाद 2029 तक बढ़कर 61,393 पर पहुंच जाने की संभावना है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि देश में ड्रोन का भविष्य नवाचार से भरा और मजबूत होगा।

ड्रोन तकनीक नई-नई उपलब्धियां हासिल कर रही है, नए-नए क्षेत्रों में पहुंच रही है तब एयर टैक्सी शहरी यातायात में क्रांति ला सकती है। कई शहरों में भीड़ और यातायात की समस्या का यह कारगर समाधान हो सकती है। भारत के महानगरों में लोग काम पर जाने में ही औसतन 2 घंटे यानी पूरे दिन का करीब 7 फीसदी हिस्सा खपा देते हैं। इस मामले में दुनिया में सबसे ज्यादा वक्त भारत में ही बरबाद होता है। ड्रोन टैक्सी से लोगों का समय बच जाएगा। इसी प्रकार ड्रोन एंबुलेंस किसी भी आपात स्थिति में बहुत जल्दी पहुंच सकती है। चिकित्सा के अलावा कानून प्रवर्तन और आपदा राहत में भी एयर टैक्सी का इस्तेमाल किया जा सकता है। अमेरिका, इजरायल, चीन और संयुक्त अरब अमीरात समेत कई देश पहले ही ड्रोन टैक्सी कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहे हैं। चीन ने तो अक्टूबर 2023 में नया इतिहास बनाया, जब वहां दो यात्रियों वाली ड्रोन टैक्सी को टैक्सी श्रेणी का प्रमाणन दिया गया। इस मामले में दुबई भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

सुधारों के पहले चरण का फायदा उठाकर भारत वैश्विक ड्रोन उद्योग में सबसे होड़ लेने वाली ताकत के रूप में उभरा है। कई स्टार्टअप स्वदेशी ड्रोन टैक्सी डिजाइन को आगे बढ़ा रहे हैं। किंतु इस क्षेत्र की संभावनाओं का पूरी तरह दोहन करने के लिए सुधारों का अगला चरण लागू करना जरूरी है। ड्रोन टैक्सी उड़ान भरने या नीचे उतरने के मामले में विमानों से अलग होती हैं और ये एकदम लंबवत उठती या उतरती (वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग) हैं, इसलिए भीड़भाड़ वाले इलाकों में ये बहुत कारगर होती हैं। मगर इन्हें भी एयरपोर्ट और बस अड्‌डों की तरह वर्टिपोर्ट की जरूरत होती है।

इस जरूरत को समझते हुए नागर विमानन महानिदेशालय ने विमान नियम, 1937 के तहत एक मशविरा पत्र पांच सितंबर को जारी किया। इसमें वर्टिपोर्ट के लिए बुनियादी ढांचे के मानक तय किए गए हैं, जिनमें यात्री टर्मिनल, एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, नीचे उतरने के लिए विजुअल मदद, बैटरी चार्जिंग के नियम-कायदे तथा आपात स्थिति में प्रतिक्रिया की प्रणाली आदि शामिल है। सही वक्त पर और दूर की सोच के साथ जारी यह मशविरा पत्र देश में ड्रोन सुधारों के दूसरे चरण की ओर पहला मगर अहम कदम है।

नागर विमानन महानिदेशालय ने यानों के वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग के लिए प्रमाणन के कायदे 11 सितंबर को जारी किए। ये कायदे उन विमानों पर लागू होते हैं, जो अधिकतम 5,700 किलोग्राम वजन लेकर उड़ान भरते हैं। इनमें 40-50 यात्रियों की क्षमता वाली एयर टैक्सी आ जाती हैं। इनमें मौजूदा बंदिशें हटा दी गई हैं और एयर टैक्सी को 400 फुट से अधिक ऊंचाई पर उड़ने या नजर से ओझल हो जाने की भी इजाजत है।

भारत को ड्रोन टैक्सी के लिहाज से तैयार होना है तो स्वचालित मानवरहित यातायात प्रबंधन जैसी अहम नीतिगत व्यवस्था जरूरी है। ऐसी व्यवस्था मानव सहित या मानवरहित विमानों के अबाध संचालन के लिए आवश्यक है। अगस्त 2021 के नियमों के बाद ड्रोन परिचालन को नियमित और स्वचालित करने के लिए डिजिस्काई प्लेटफॉर्म की परिकल्पना की गई, लेकिन इसे साकार होने में देर हो रही है। इसके विपरीत अमेरिका जैसे देशों ने 2021 में ही लो ऐल्टीट्यूड ऑथराइजेशन ऐंड नोटिफिकेशन कैपेबिलिटी प्रणाली शुरू कर दी थी। इसमें संघीय विमानन प्रशासन द्वारा स्वीकृत ड्रोन सेवा आपूर्तिकर्ताओं के साथ डिजिटल संपर्क कर स्वचालित मंजूरी लेते हुए नियंत्रित हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया जा सकता है।

भारत को एयर कार्गो और यात्री एयर टैक्सी चलाने के लिए कानूनी तौर पर ड्रोन बीमा और देनदारी कवरेज भी अनिवार्य कर देनी चाहिए। यह 1999 के मॉन्ट्रियल समझौते जैसे वैश्विक मानकों के अनुकूल होगा। हवाई यात्रा में बीमा और देनदारी के नियम उसी समझौते के हिसाब से चलते हैं।
अब ड्रोन उद्योग नई ऊंचाइयों को छू रहा है और दूसरी पीढ़ी के सुधार भारत को वैश्विक ड्रोन शक्ति के रूप में स्थापित कर सकते हैं। सरकार ने हाल में नीति को जो गति दी है उससे पता चलता है कि वह आगे की चुनौतियों से निपटने को तैयार है।

First Published - December 16, 2024 | 9:33 PM IST

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