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अर्थतंत्र: अमेरिका के बढ़ते ऋण का परिणाम

अमेरिकी बजट घाटा भी ढांचागत रूप से काफी उच्च स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिका का बजट घाटा जीडीपी के 6 फीसदी से ऊपर है।

Last Updated- June 11, 2025 | 10:22 PM IST
US Market
प्रतीकात्मक तस्वीर

बाजार पूंजीकरण के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े बैंक जेपी मॉर्गन चेज के मुख्य कार्याधिकारी जेमी डिमन ने हाल ही में चेतावनी दी है कि अमेरिकी बॉन्ड बाजार में दरार आकर रहेगी। निस्संदेह यह पूर्वानुमान गंभीर है और अगर यह सही साबित हुआ तो वित्तीय बाजारों तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका गंभीर असर होगा। अमेरिका का डेट बाजार दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे नकदीकृत सरकारी प्रतिभूतियों वाला डेट बाजार है। चूंकि वैश्विक वित्तीय बाजार आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं और परस्पर निर्भर भी हैं, इसलिए अमेरिकी डेट बाजार में किसी हलचल का असर व्यावहारिक रूप से दुनिया की हर वित्तीय परिसंपत्ति पर पड़ेगा। वास्तविक अर्थव्यवस्था के लिए इसके गहरे निहितार्थ होंगे।

30 वर्ष के अमेरिकी सरकारी बॉन्ड पर यील्ड हाल ही में 5 फीसदी के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गई। 10  वर्ष के अमेरिकी सरकारी बॉन्ड यील्ड में भी तेजी आई जो यह रेखांकित करता है कि निवेशक अब जोखिम में कथित वृद्धि के कारण अमेरिकी सरकारी बॉन्डों को रखने पर उच्च प्रतिफल की उम्मीद कर रहे हैं। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने हाल ही में अमेरिकी डेट की रेटिंग घटा दी है। चूंकि अन्य दो प्रमुख रेटिंग एजेंसियां पहले ही ऐसा कर चुकी हैं इसलिए एक सदी में पहली बार ऐसा हुआ है कि दुनिया का सबसे बड़ा ऋण बाजार ट्रिपल-ए रेटिंग नहीं पा सका है।

निवेशकों में घबराहट बढ़ने की एक स्वाभाविक वजह है अमेरिकी सरकारी ऋण में इजाफा होने का अनुमान। डॉलर में गिरावट भी सवालों की वजह बन रही है। अनुमानों के मुताबिक प्रतिनिधि सभा से पारित बिल जिसे अब सीनेट की मंजूरी का इंतजार है, वह अन्य बातों के अलावा कर कटौती बढ़ाएगा। माना जा रहा है कि अकेले इसकी बदौलत अगले एक दशक में संघीय ऋण भंडार में 4  लाख करोड़ डॉलर जुड़ेंगे। इतना ही नहीं, कांग्रेस के बजट ऑफिस के विस्तारित आधारभूत अनुमानों के मुताबिक जनता के पास मौजूद संघीय डेट भंडार के सकल घरेलू उत्पाद के वर्ष2025 के जीडीपी के करीब 100 फीसदी से बढ़कर वर्ष 2055 तक 156 फीसदी हो जाने का अनुमान है। धीमी आर्थिक वृद्धि की बदौलत डेट में तेजी से इजाफा होगा।

अमेरिकी बजट घाटा भी ढांचागत रूप से काफी उच्च स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिका का बजट घाटा जीडीपी के 6 फीसदी से ऊपर है जबकि उसका पिछले 50 साल का औसत 3.8 फीसदी है। ध्यान देने वाली बात यह है कि अमेरिका में श्रम बाजार हालात के अनुकूल होने के बावजूद घाटे का स्तर बढ़ा हुआ है। डेट स्टॉक में अनुमानित वृद्धि को देखते हुए व्यय का एक बड़ा हिस्सा ब्याज भुगतान में जाएगा। विशुद्ध ब्याज भुगतान 2015 में सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 1.3 फीसदी से बढ़कर 2025 में अनुमानित 3.2 फीसदी हो गया है। आने वाले वर्षों में इसमें काफी वृद्धि होने की संभावना है और यह सकल घरेलू उत्पाद के 5 फीसदी से ऊपर होगा। अमेरिका के सरकारी वित्त के लिए ऐसे अनुमान के तीन संभावित परिणाम हो सकते हैं। पहला, बढ़ता ब्याज बोझ सरकारी खर्च की संरचना को बदल देगा और संभावित रूप से वृदि्ध के परिणामों को प्रभावित करेगा। दूसरा, अमेरिकी सरकार द्वारा अपने बजट घाटे के वित्तपोषण के लिए धन की अधिक मांग निजी निवेश को बेकार कर देगी। यह पूंजी की लागत को बढ़ाएगा और ब्याज दरों को ज्यादातार लोगों के अनुमान से भी ज्यादा लंबे समय तक ऊंचा रखेगा। कुछ टिप्पणीकारों ने तर्क दिया है कि कम ब्याज दरों का दौर खत्म हो गया है। व्यापार संबंधित अनिश्चितताएं और मुद्रास्फीति पर उच्च टैरिफ का प्रभाव भी फेडरल रिजर्व द्वारा नीति समायोजन के दायरे को सीमित कर देगा।

इसका नतीजा यह होगा कि कम निवेश उत्पादकता पर असर डालेगा और अमेरिका की दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं को सीमित करेगा। यह वैश्विक वृद्धि की संभावनाओं को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। तीसरा, अमेरिकी सरकार की उच्च वित्त पोषण आवश्यकताएं और अनुमानित उच्च ब्याज दर वैश्विक हालात को सख्त बनाएगी और बाहरी वित्त पर निर्भर देशों के लिए हालात और मुश्किल हो जाएंगे। अन्य विकसित देशों में भी बॉन्ड यील्ड बढ़ी है। हालांकि निवेशक अमेरिकी बाजार को लेकर अधिक चिंतित हैं और उनके पास इसकी वजह भी है। दुनिया के अन्य हिस्सों में भी डेट बढ़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के 175 देशों पर हुए अध्ययन में दो तिहाई से अधिक देशों का डेट भंडार महामारी के पहले के स्तर से अधिक है। विकसित देशों में डेट स्टॉक का स्तर 2030 तक जीडीपी के 113.3 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है यानी 2019 के स्तर से करीब 10 फीसदी अधिक। इसी समान अवधि में अमेरिका में डेट स्टॉक के 20 फीसदी के लगभग बढ़ने का अनुमान है। बहरहाल, यह दलील देना मुश्किल है कि अनुमानित अमेरिकी सरकारी ऋण की स्थिति निवेशकों को निकट से मध्यम अवधि में ट्रेजरी को सामूहिक रूप से छोड़ने के लिए विवश करेगी। आंशिक रूप से ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत अधिक विकल्प बाकी नहीं हैं। हालांकि सरकारी बॉन्ड के निरंतर जारी होने से बाजार में तेजी बनी रहेगी। इस प्रकार बड़े पैमाने पर बिक्री के कारण यील्ड में कभी-कभी तेज उछाल से इनकार नहीं किया जाना चाहिए। भारत जैसा देश जिसे वृद्धि भी हासिल करनी है और जो अपने बचत-निवेश अंतराल की भरपाई के लिए विदेशी पूंजी पर निर्भर करता है, उसे धीमी वैश्विक वृद्धि और वित्तीय बाजार की उच्च अस्थिरता के लिए तैयार रहना होगा। इनमें मुद्रा बाजार भी शामिल है।

First Published - June 11, 2025 | 10:04 PM IST

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