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नियमित नौकरी फिर क्यों अंशकालिक काम?

Last Updated- December 11, 2022 | 3:00 PM IST

 विप्रो ने अपने 300 कर्मचारियों को इस वजह से नौकरी से निकाल दिया कि वे अंशकालिक तौर पर किसी और कंपनी के लिए काम कर रहे थे। इस प्रकरण ने नई बहस छेड़ दी। हालांकि पिछले महीने स्विगी ने इसके विपरीत कदम उठाते हुए अपने पूर्णकालिक कर्मचारियों को औपचारिक रूप से अतिरिक्त काम करने की अनुमति दे दी।

स्विगी और विप्रो बेशक अलग-अलग प्रकृति की कंपनियां हैं। लेकिन स्विगी के लिए हितों के टकराव और उत्पादकता को परिभाषित करना अपेक्षाकृत आसान है। यही वजह है कि  स्विगी एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपना सकती है और अपने कर्मचारियों के प्रतिस्पर्द्धी कंपनियों में अंशकालिक तौर पर काम करने की बात भी तब तक स्वीकार कर सकती है जब तक कि उत्पादकता में कोई नुकसान नहीं होता या हितों का टकराव नहीं होता है।
 विप्रो ने अपने अनुबंध के अहम पहलुओं के नजरिये से सोचा था, ऐसे में हम इस पर विचार नहीं करते हैं। यह पूरा विमर्श उद्योग (न केवल तकनीकी क्षेत्र, बल्कि पूरे उद्योग के तौर पर) के बारे में जो घर से काम करने और अंशकालिक तौर पर अनुबंध वाले रोजगार की अर्थव्यवस्था के उदाहरणों के समायोजन में लगा है। कुछ कंपनियां आसानी से इस माहौल में खुद को ढालेंगी जबकि दूसरी यथासंभव लंबे समय तक पुरजोर तरीके से इसका विरोध करेंगी।

 आईटी उद्योग से जुड़े लोगों को इस बात की जानकारी है कि अन्य आईटी कंपनियां भी घर से काम करने के चलन को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं क्योंकि कर्मचारियों पर अनौपचारिक तरीके से दूसरी प्रतिस्पर्द्धी कंपनियों के लिए अंशकालिक तौर पर काम करने (मूनलाइटिंग) का संदेह बढ़ रहा है।

उदाहरण के तौर पर इन्फोसिस और आईबीएम ने मूनलाइटिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए चेतावनी जारी की है। वहीं,  टेक महिंद्रा के मुख्य कार्या​धिकारी सीपी गुरनानी ने कहा है कि अगर हितों का टकराव नहीं है और उत्पादकता में कोई नुकसान नहीं होता है तब तक उन्हें कर्मचारियों द्वारा अंशकालिक स्तर पर अनुबंध के जरिये कुछ वक्त तक काम करने को लेकर कोई आपत्ति नहीं है।
 लॉकडाउन के दौरान घर से काम करने वाले तकनीशियनों ने अपने फायदे के लिए फ्रीलांस करना शुरू कर दिया क्योंकि वे दफ्तर आने-जाने से बचे हुए समय का इस्तेमाल करना चाहते हैं। सैकड़ों सूचीबद्ध आईटी कंपनियों की वित्तीय स्थिति से यह स्पष्ट होता है कि उत्पादकता का कोई नुकसान नहीं हुआ जबकि लाखों तकनीकी विशेषज्ञों ने दफ्तर आना बंद कर दिया और पूर्णकालिक काम के साथ अंशकालिक काम भी  शुरू कर दिया।

 हालांकि महामारी से पहले भी अंशकालिक स्तर की अनुबंध वाली नौकरियां आम थीं लेकिन अब यह रुझान पूरी तरह से मुख्यधारा में आ चुका है। लॉकडाउन के कारण घर से काम को आसान बनाने वाले उपकरणों में तेजी आई है। इसकी वजह से कॉरपोरेट जगत में इस बात की स्वीकार्यता व्यापक रूप से बढ़ रही है कि घर से काम करने का विकल्प टिकाऊपन का एकमात्र तरीका होने जा रहा है।

ठेके पर काम की पेशकश करने वाली वेबसाइटों पर काफी लोग जा रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से मैं 20 वर्षों से अधिक समय से घर से काम करने का पक्षधर रहा हूं और मेरा मानना है कि कई उद्योगों में काम की उत्पादकता वास्तव में तब बढ़ जाती है जब आपको सभी नियमों का पालन करते हुए दफ्तर में समय पर नहीं पहुंचना होता है। मैं कई सफल कारोबारों के बारे में बता सकता हूं जिनमें घर से काम करने का चलन है और जब लोग वास्तव में मिलना चाहते हैं या कोई जरूरत होती है उस वक्त थोड़ी देर के लिए एक कॉन्फ्रेंस रूम किराये पर ले लिया जाता है। 

यहां उत्पादकता में कमी कोई वास्तविक मुद्दा नहीं बन पाता है। हमारे पास इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि दफ्तर से बाहर काम करने वाले कर्मचारियों से काम करा रहे उद्योगों की काम की उत्पादकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। इसके अलावा अन्य चिंताएं भी हैं जिनका इस्तेमाल घर से काम करने या अनुबंध पर काम कराने की स्वीकार्यता के खिलाफ तर्क देने के लिए किया जाता है। इनमें से एक तर्क हितों के टकराव का है। तकनीकी विशेषज्ञ संभवतः किसी कंपनी के लिए क्लाउड-आधारित परियोजनाओं पर काम करते हैं और वे उसी क्षेत्र में फ्रीलांस भी कर लेंगे। इसका एक नतीजा बौद्धिक संपदा (आईपी) या कंपनी की रणनीतियों में सेंध के रूप में नजर आ सकता है। हितों के टकराव और बौद्धिक संपदा के नुकसान को रोकने के लिए अस्थायी उपाय करना आसान नहीं है।
 कंपनियों को दफ्तर से बाहर काम करने वाले कर्मचारियों पर अधिक भरोसा करने की जरूरत होती है और यह भी मुमकिन है कि वे भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं। कर्मचारियों द्वारा एक ही क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धी कंपनियों के लिए काम करने के प्रतिरोध का एक और कारण यह है कि घर से काम करने का रुझान मध्यम स्तर और वरिष्ठ स्तर के प्रबंधन की आवश्यकता पर सवाल उठाता है जो अधिकांशतः कारोबार चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

वरिष्ठ प्रबंधन किसी कार्यालय में लोगों को निर्देश देने में व्यस्त रहने के साथ उपयोगी लग सकते हैं, भले ही इस तरह के दिशानिर्देश की आवश्यकता होती हो या नहीं। घर से काम करने के साथ ही अन्य प्रतिस्पर्द्धी कंपनियों के लिए अनुबंध पर काम करने जैसे हालात के साथ यह संभव नहीं है। इस पर इतनी बात नहीं होती लेकिन यह प्रतिरोध का वास्तविक कारण है। हालांकि वर्ष 2000 के बाद पैदा हुई पीढ़ी महामारी के दौरान बड़ी हुई है। ऐसे में इस समूह के ज्यादातर लोग अनुबंध वाली नौकरियों से ही कमाई करेंगे। अगर आप फ्रीलांस काम की अनुमति नहीं देते हैं, तब युवा कर्मचारी अपना काम छोड़ देंगे या फिर आपको अधिक भुगतान करना होगा। 

विकसित देशों में कम भुगतान वाले सेवा उद्योगों से बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरी छोड़ने का सिलसिला और आईटी में बड़े बदलाव भी इसी रुझान के प्रमुख संकेतक हैं। अब ऐसा दौर आना लाजिमी है लेकिन कई कारोबारों को इसकी पहचान करने में थोड़ा समय लगेगा कि घर से काम करने और अस्थायी रूप से अनुबंध पर काम करने से जुड़ा बदलाव सभी सेवा क्षेत्र में स्थायी होगा।
इससे व्यावसायिक रियल एस्टेट क्षेत्र पर भी नकारात्मक असर पड़ने की शुरुआत हो गई है क्योंकि इससे मांग कम हुई है। वहीं अन्य क्षेत्रों जैसे कि आवागमन के रुझान में प्रभाव तेजी से स्पष्ट होगा। यह अन्य क्षेत्रों में क्षतिपूर्ति की मांग बढ़ाने के साथ ही रोजगार के मौके पैदा करेगा लेकिन वे भी अस्थायी अनुबंध वाले काम होंगे और इसकी सबसे अधिक संभावना है।

 

First Published - September 25, 2022 | 11:17 PM IST

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