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छिटपुट सुधार

Last Updated- December 14, 2022 | 11:04 PM IST

सरकार और निजी क्षेत्र दोनों आर्थिक संकेतकों पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और हालिया इतिहास के सर्वाधिक कठिन वर्ष में टिकाऊ आर्थिक सुधार के संकेत तलाशने में लगे हैं। कुछ संकेतकों से निकले ताजा आंकड़ों ने आशा भी जगाई है। उदाहरण के लिए विनिर्माण के लिए सूचकांक-पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स सितंबर महीने में बीते आठ साल में सबसे तेज गति से बढ़ा। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 4 फीसदी बढ़ा, माह के दौरान निर्यात 5.3 फीसदी बढ़ा और ई-वे बिल तथा बिजली खपत जैसे अन्य संकेतकों में भी सुधार देखने को मिल रहा है। परंतु इन आर्थिक संकेतकों की व्याख्या करते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियों की तुलना में जरूर आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है लेकिन अभी इसे लंबा सफर तय करना है। विनिर्माण में सुधार पहली तिमाही की मांग की भरपाई के क्रम में भी हो सकता है। जीएसटी संग्रह पिछले महीनों की फाइलिंग की बदौलत बेहतर नजर आ रहा है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि क्या आने वाले महीनों में यह सुधार बरकरार रह पाता है। इसके अलावा ऋण और निवेश की मांग अभी भी कमजोर है। पर्यटन और स्वागत उद्योग जैसे सेवा क्षेत्र के कुछ हिस्सों में अभी भी काफी कमजोरी है और इसमें सुधार तभी होगा जब वायरस पर नियंत्रण किया जा सके। संक्रमण की दर में जहां ठहराव के शुरुआती संकेत हैं, वहीं वायरस का प्रसार होने की आशंका और संक्रमण दर पुन: बढऩे के जोखिम के कारण कुछ क्षेत्रों में निकट भविष्य में कारोबार मंदा रहेगा। ऐसे में, जैसा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह इस समाचार पत्र के साथ साक्षात्कार में कहा भी कि यह सुधार छिटपुट ही है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था में 24 प्रतिशत की गिरावट आई। दूसरी तिमाही के आंकड़े इससे बेहतर होंगे लेकिन उत्पादन में तब भी कमी रहेगी। आर्थिक सुधार की राह निश्चित तौर पर कोविड वायरस पर नियंत्रण और नीतिगत समर्थन से जुड़ी है। सरकार ने प्रतिबंधों में और ढील दी है लेकिन संक्रमण की आशंका के चलते कई क्षेत्रों में कारोबार प्रभावित है। आने वाले सप्ताहों में यदि संक्रमण में निर्णायक कमी आती है तो लोगों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और आर्थिक स्थिति में सुधार की राह निकलेगी। नीतिगत समर्थन की बात करें तो सरकार ने कहा है कि वह उचित समय पर मांग को गति देने के लिए तैयार है। उसे शायद इस दिशा में काम जल्द से जल्द आरंभ कर देना चाहिए आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।
बहरहाल, सरकार ने गत सप्ताह निर्णय लिया कि वह अपनी उधारी योजना में बदलाव नहीं करेगी। इससे यही संकेत मिलता है कि एक और प्रोत्साहन का आकार और उसका समय अभी तय नहीं है। बेहतर यही होगा कि सरकार जल्द से जल्द राजकोषीय गुंजाइश का आकलन कर मदद आरंभ करे। इससे सुधार की प्रक्रिया में मजबूती आएगी। मध्यम अवधि में यदि संक्रमण पर सार्थक ढंग से नियंत्रण पा लिया जाता है तो सुधार के लिए कई प्रकार के नीतिगत हस्तक्षेपों की भी आवश्यकता होगी। उदाहरण के लिए बैंकिंग तंत्र में फंसे हुए कर्ज की मात्रा बढ़ेगी और सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि सरकारी बैंकों में पर्याप्त पूंजी हो। इसके अलावा ऋण के पुनर्गठन की योजना का सहज और पारदर्शी ढंग से क्रियान्वयन करना होगा। सरकार ने हाल के सप्ताहों में अहम ढांचागत सुधारों को अंजाम दिया है और उसे कारोबारी माहौल में सुधार जारी रखना चाहिए। इन तमाम बातों के बावजूद वायरस अभी भी सुधार की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है।

First Published - October 5, 2020 | 11:29 PM IST

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