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वीडियो क्षेत्र में दिखते स्मार्ट बदलाव के मायने

नील्सन के आंकड़ों के अनुसार, ऑनलाइन विकल्पों की अधिकता के कारण, ज्यादातर दर्शक यह तय करने में औसतन 11 मिनट लगाते हैं कि क्या देखा जाए।

Last Updated- February 28, 2024 | 9:44 PM IST
Digital watching

आप अपने घर में टेलीविजन पर यूट्यूब या रील्स कितनी दफा देखते हैं? अगर आप ऐसा करते हैं तब आप भी उन 20 करोड़ भारतीयों में शामिल हैं, जो घर पर कनेक्टेड टीवी पर यूट्यूब या रील्स देखते हैं। यह कनेक्टेड टीवी भी एक तरह से स्मार्ट टीवी होता है जिसमें स्ट्रीमिंग वीडियो के लिए ब्रॉडबैंड कनेक्शन की सुविधा होती है।

नील्सन के आंकड़ों के अनुसार, ऑनलाइन विकल्पों की अधिकता के कारण, ज्यादातर दर्शक यह तय करने में औसतन 11 मिनट लगाते हैं कि क्या देखा जाए। कई लोग इस उलझन से बचने के लिए पहले से चल रही कोई फिल्म या वीडियो देख लेते हैं या फिर सीधे यूट्यूब पर चले जाते हैं। ये सभी स्वतः विकल्प बन गए हैं।

ऑनलाइन डेटा कंपनी, कॉमस्कोर के अनुसार, भारत के 51 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से लगभग 80 फीसदी नियमित रूप से यूट्यूब देखते हैं और अपने ऑनलाइन समय का 45 प्रतिशत से अधिक यूट्यूब देखने में बिताते हैं। इसलिए इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि दुनिया का सबसे बड़ा स्ट्रीमिंग वीडियो ब्रांड यूट्यूब को कनेक्टेड टीवी के बढ़ते चलन से सबसे ज्यादा फायदा मिल रहा है।

आईडीसी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में स्मार्ट टीवी का आधार सबसे तेजी से बढ़ा है और यह तादाद करीब 5 करोड़ हो गई है हालांकि, भारत में सभी स्मार्ट टीवी, इंटरनेट से नहीं जुड़े हैं। कई लोग इंटरनेट से लैस स्मार्ट टीवी खरीदते हैं, लेकिन वे इनका उपयोग केवल डाइरेक्ट-टू-होम या केबल कनेक्शन के माध्यम से टीवी देखने के लिए करते हैं। अनुमान है कि स्मार्ट टीवी वाले केवल 3.5 करोड़ से 4 करोड़ घर ही इंटरनेट से जुड़े हैं। इसका मतलब है कि दर्शकों की तादाद लगभग 20 करोड़ है और यह पूरे देश में टेलीविजन तक पहुंच रखने वाले लोगों की कुल संख्या का 20 प्रतिशत से अधिक है और इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या का लगभग आधा है।

यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि इन दर्शकों का ध्यान एक साथ कई चीजों पर होता है। उदाहरण के लिए, आपके पास स्मार्ट टीवी हो सकता है लेकिन आप केबल कनेक्शन के माध्यम से वीडियो देखते हैं और ऑनलाइन सर्फिंग के लिए मोबाइल का उपयोग करते हैं। कुल मिलाकर, इन सभी चीजों को जोड़ दें तो हमारे पास लगभग 1.3 लाख करोड़ रुपये का बाजार दांव पर लगा है। भारत में टीवी और डिजिटल मंच ने विज्ञापन के जरिये पैसे बनाए और 2022 में राजस्व का भुगतान किया।

आजकल भारत में बिकने वाले अधिकांश टीवी सेट स्मार्ट हैं। ऐसे में कुछ समय बाद ही सभी 21 करोड़ टीवी वाले घरों (लगभग 90 करोड़ दर्शकों) में भी स्ट्रीमिंग की सेवाएं होंगी। इससे स्ट्रीमिंग वीडियो मंचों और पारंपरिक प्रसारण में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। स्ट्रीमिंग वीडियो कंपनियों को इसने स्थिरता देने के साथ ही तयशुदा समय पर सामग्री देखने की सुविधा देने के साथ ही और विविध श्रेणी में प्रयोग करने की क्षमता दी है। इसका एक बेहतरीन उदाहरण शार्क टैंक इंडिया है, जिसका सीजन तीन हाल ही में खत्म हुआ है। सोनी लिव और सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर इस शो के अनुमानतः 9.5 करोड़ दर्शक रहे।

इसमें वे लोग शामिल नहीं हैं जो सीजन खत्म होने के बाद इसे यूट्यूब पर देखते हैं। मीडिया खरीदारों के अनुसार, इस सीजन का नियमित प्रसारण टेलीविजन की तुलना में ऑनलाइन अधिक देखा गया। इस शो के सीजन 2 के लगभग आधे ऑनलाइन वीडियो लोगों ने कनेक्टेड टेलीविजन पर देखे जो पहले सीजन के एक-तिहाई से अधिक है। सोनी लिव और स्टूडियोनेक्स्ट के कार्यकारी उपाध्यक्ष और कारोबार प्रमुख, दानिश खान का कहना है, ‘कनेक्टेड टीवी ओवर-दि-टॉप (ओटीटी) देखने की आदत बना रहा है।’

वहीं, यूट्यूब (भारत) के प्रबंध निदेशक ईशान जॉन चटर्जी कहते हैं, ‘यूट्यूब पर आप किसी भी समय कोई भी सामग्री देख सकते हैं। इसमें अप्रत्याशित तरीके से सामग्री खोजी जा सकती है। हम देख रहे हैं कि इसकी पहुंच लोगों के लिविंग रूम तक हो रही है।’

इसका मतलब यह है कि प्रसारक और पारंपरिक ओटीटी मंच जैसे कि नेटफ्लिक्स या जी5, यूट्यूब या मेटा से अलग श्रेणी में आते हैं, जहां दर्शकों की पसंद को ध्यान में रखते हुए अलग रणनीति बनानी होती है। यूट्यूब में अब भी उपयोगकर्ताओं द्वारा तैयार की जाने वाली सामग्री होती है। इसकी फिलहाल प्रीमियम मूल सामग्री तैयार करने के क्षेत्र में प्रवेश करने की कोई दिलचस्पी नहीं है।

पारंपरिक ओटीटी मंच, जैसे नेटफ्लिक्स या ज़ी5 के सामने दर्शकों की पसंद को ध्यान में रखते हुए अलग रणनीति बनानी होगी। उनके लिए पूरा जोर, फिक्शन से अधिक नॉन-फिक्शन/रियलिटी शो, जैसे शार्क टैंक इंडिया और स्पोर्ट्स पर होना चाहिए। यह ध्यान रखना होगा कि भारत में लगभग 90 प्रतिशत से अधिक घरों में सिर्फ एक ही टेलीविजन सेट होता है। इसका मतलब यह है कि इन मंचों पर ‘परिवार के साथ देखने’ लायक सामग्री होनी चाहिए। संभव है कि कुछ आपत्तिजनक या प्रयोगात्मक सामग्री खासतौर पर विज्ञापन से समर्थित सामग्री ओटीटी में सीमित ही रहें।

मोबाइल और कनेक्टेड टीवी दोनों मंचों पर विज्ञापनदाताओं के लिए कमाई के स्तर में सुधार होगा। कनेक्टेड टीवी पर हर हजार दर्शकों तक पहुंचने के लिए विज्ञापनदाताओं को जो कीमत चुकानी पड़ती है, वह मोबाइल दर्शकों तक पहुंचने की रकम से दोगुनी होती है। ऐसा इसलिए है कि जब स्ट्रीमिंग में तेजी आई तब विज्ञापनदाताओं ने प्रीमियम दर्शकों तक अपनी पहुंच का मौका गंवा दिया क्योंकि वे पेवॉल वाली सेवाएं लेने लगे। कनेक्टेड टीवी के बढ़ते इस्तेमाल से विज्ञापनदाताओं को एक बार फिर से अमीर दर्शकों से जुड़ने का मौका मिला है, भले ही यह पहुंच ओपनिंग स्क्रीन पर ही क्यों न हो।

सैमसंग, एलजी, श्याओमी जैसे स्मार्ट टीवी निर्माता कंपनियां, ओपनिंग स्क्रीन के जरिये अतिरिक्त कमाई करने के नए तरीके निकाल रही हैं। उदाहरण के लिए, सैमसंग अपने होम पेज पर सैमसंग टीवी प्लस के तहत 118 टीवी चैनल जैसे ‘दि मूवी क्लब’ या ‘साउथ स्टेशन’ की पेशकश करता है। हालांकि, कंपनी यह नहीं बताती है कि इन चैनलों को कितने लोग देखते हैं। इन्हें फ्री ऐड-सपोर्टेड स्ट्रीमिंग टेलीविजन (फास्ट) कहा जाता है। आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में वैश्विक स्तर पर विज्ञापनदाताओं ने फास्ट पर लगभग 10 अरब डॉलर खर्च किए, जिनमें से अधिकांश राशि अमेरिका में खर्च हुई।

फास्ट के बढ़ते चलन से यह चिंता पैदा हो गई है कि भविष्य में ये टीवी निर्माता केबल या डीटीएच परिचालकों की तरह काम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, वे स्क्रीन पर नेटफ्लिक्स से पहले ज़ी5 दिखाने के लिए शुल्क ले सकते हैं। वर्तमान में, किसी ऐप या सेवाओं को टीवी से जोड़ने के लिए पहले से ही करार किए जा रहे हैं।

लेकिन इससे भी बड़ी चिंता का विषय है तीसरे पक्ष के प्रमाणित डेटा की कमी है जिसको लेकर चिंता बढ़नी चाहिए। हर ब्रांड, कॉमस्कोर जैसी कंपनियों को अपने डेटा टैग करने की अनुमति नहीं देते हैं। उदाहरण के लिए, अगर जियोसिनेमा आपको बताता है कि उसके 10 करोड़ उपयोगकर्ता हैं, तो विज्ञापनदाताओं को बस उस संख्या को स्वीकारना ही होगा। यह मीडिया योजनाकारों के लिए चिंता की बात है।

यही स्थिति डिजिटल और कनेक्टेड टीवी, रेडियो, आउट-ऑफ-होम या प्रिंट विज्ञापन के समान है, जहां पैमाने की कमी है। मीडिया योजनाकारों की शिकायतें हैं लेकिन वर्तमान में तथ्य यह है कि डिजिटल बाजार में गूगल (यूट्यूब, सर्च ), मेटा (इंस्टाग्राम, फेसबुक और व्हाट्सऐप) और एमेजॉन (वीडियो, ऑडियो, शॉपिंग) का पूर्ण नियंत्रण है।

First Published - February 28, 2024 | 9:44 PM IST

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