इन दिनों प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) की होड़ लगी है और ज्यादातर स्टार्टअप की तरफ से आईपीओ लाने की घोषणा हो रही हैं। इसके साथ ही उच्च मूल्यांकन, व्यापक स्तर पर फंड जुटाने और शीर्ष निवेशकों से जुड़ी उत्साहजनक रिपोर्ट भी आने लगी है। लेकिन अगर आप शेयर बाजार की अधिकांश कंपनियों या हाल में सूचीबद्ध हुई कंपनियों के रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्ट्स ड्राफ्ट (डीआरएचपी) पढ़ेंगे तो अंदाजा मिलेगा कि इसमें महामारी के दौरान कारोबार के मुश्किल वक्त को लेकर भी टिप्पणी की गई है। अगर कोविड-19 मामलों में आने वाले महीनों में तेज वृद्धि होती है तब कई मामलों में इसका प्रतिकूल प्रभाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जारी रह सकता है। यह विचार करने योग्य बात है कि कैसे जोमैटो से लेकर वन97 कम्युनिकेशंस (पेटीएम) और डेलिवरी से लेकर ओयो जैसी कंपनियों की आईपीओ विवरणिका में कोविड का विशेषतौर पर उल्लेख किया गया है। यहां तक कि जो क्षेत्र महामारी के असर से अछूते माने जा रहे थे वहां उनमें भी किसी न किसी वक्त कोरोनावायरस का प्रभाव दिखा है और कंपनियों को तीसरी लहर की चिंता सता रही है।
फूड डिलिवरी ऐप जोमैटो का कारोबार सूचीबद्धता के वक्त 12 अरब डॉलर का था और जुलाई में पेश किए गए इसके 300 से अधिक पन्नों वाले आईपीओ के दस्तावेज में कोविड का 74 बार जिक्र किया गया है। दस्तावेज के अनुसार केवल कोविड ही कारोबार में अनिश्चितता की एक वजह है। इसके अलावा कोई अन्य महत्त्वपूर्ण आर्थिक बदलाव नहीं हुए हैं जिससे मौजूदा आमदनी वास्तव में प्रभावित हो रही है या इसके प्रभावित करने की संभावना है। कंपनी के सकल ऑर्डर मूल्य ने वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में निचले स्तर को छू लिया है जिसे फूड डिलिवरी में एक प्रमुख मापक माना जाता है। इसके बाद कारोबार में सुधार दिखा है लेकिन बाहर के खाने की सेवाओं में सुधार का स्तर धीमा ही रहा है।
अब इन आंकड़ों पर गौर करें तो अंदाजा मिलता है कि कारोबार कितनी बुरी तरह प्रभावित रहा है। वित्त वर्ष 2021 में, जोमैटो पर ग्राहकों द्वारा लिखी या पोस्ट की गई 6.18 करोड़ सामग्री (सीजीसी) थी जबकि वित्त वर्ष 2020 में इनकी तादाद 15.7 करोड़ थी। रेडसीर के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021 में जोमैटो के जरिये 33 लाख रेस्तरां कवर बुक किए गए थे जबकि एक साल पहले यह तादाद करीब 1.22 करोड़ थी। फूड सर्विस बाजार में मौके, कोविड-19 के कारण पहले के 65 अरब डॉलर से घटकर 32-35 अरब डॉलर तक हो गए हैं।
होटल एग्रीगेटर ओयो के कारोबार पर भी महामारी का असर पड़ा और इसने अपनी डीआरएचपी में कोविड का उल्लेख 184 बार किया है। सॉफ्टबैंक समर्थित कंपनी ओयो ने 10-12 अरब डॉलर के मूल्यांकन के लक्ष्य के साथ अपनी विवरणिका में कहा कि महामारी और केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा इसके प्रसार को रोकने के लिए किए गए उपायों ने इसके कारोबार पर वास्तव में प्रतिकूल प्रभाव डाला है। ओयो ने कर्मचारियों में कटौती का ब्योरा देते हुए कहा, ‘ऐसे उपायों की गुंजाइश, अवधि और कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव अनिश्चित होते हैं और ये बेहद गंभीर हो सकते हैं। वायरस या इसके अन्य स्वरूपों का प्रसार फिर से होने से संक्रमण के मामलों में तेजी आई और लोगों की मौत हुई। अगर सरकार द्वारा किए गए उपाय विफल हो जाते हैं या टीके नहीं दिए जाते या योजना के अनुसार प्रदर्शन विफल रहता है तब भारत और बाकी दुनिया में महत्त्वपूर्ण आर्थिक व्यवधान पैदा हो सकते हैं।’ वित्त वर्ष 2021 में इसकी कुल आमदनी में 69 प्रतिशत की कमी आई जो मुख्यत: कोविड के कारण हुई। डिलिवरी और लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाता डेलिवरी नेें 7,460 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए अपना मसौदा प्रॉस्पेक्टस पेश करते हुए कोविड का 78 बार जिक्र किया था। महामारी को लेकर श्रमिकों की कमी और उद्योगों में से काम छोडऩे की ऊंची दर को लेकर चिंताएं थीं। सॉफ्टबैंक और कार्लाइल जैसे विदेशी निवेशकों वाली कंपनी ने कोविड महामारी के बाद श्रमिकों को नौकरी में बने रहने के लिए प्रोत्साहित करते हुए प्रदर्शन आधारित बोनस की पेशकश की थी। आईपीओ दस्तावेज के मुताबिक डेलिवरी का कारोबार ज्यादातर गैर-आवश्यक वस्तुओं के परिवहन पर निर्भर होता है इसलिए लॉकडाउन के दौरान कंपनी की लदान मात्रा में काफी कमी आई। एक्सप्रेस पार्सल सेवा में माल लदाई की मात्रा दिसंबर 2019 को समाप्त तिमाही के 7.34 करोड़ पार्सल से घटकर मार्च 2020 और जून 2020 की समाप्त तिमाही में क्रमश: 5.26 करोड़ और 4 करोड़ हो गई।
पेटीएम की मुख्य कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस का मूल्यांकन करीब 20 अरब डॉलर है और इसने अपने आईपीओ दस्तावेज में कोविड का जिक्र 127 बार किया है। कारोबार के लिए महामारी से जुड़े जोखिम के अलावा, कंपनी ने अपने वाणिज्य और क्लाउड कारोबार पर प्रतिकूल असर के बारे में विस्तार से बताया है।
हालांकि इसमें सुधार देखा गया है लेकिन कंपनी का कहना है कि महामारी इसके परिचालन, व्यापारियों और कारोबार साझेदारों पर प्रतिकूल असर बनाए रख सकती है। ऑनलाइन ब्यूटी स्टोर नायिका चलाने वाली एफएसएन ई-कॉमर्स वेंचर्स लिमिटेड के आईपीओ दस्तावेज में कोविड का 78 बार जिक्र किया गया है। इसने 7 अरब डॉलर से अधिक का मूल्यांकन करने की मांग की है। इसमें कहा गया है, ‘कोविड-19 महामारी की एक के बाद एक आने वाली लहरों से हमारे विनिर्माण, गोदामों और वितरण के बुनियादी ढांचे और कार्यालय में कर्मचारियों की कम उपस्थिति के साथ-साथ हमारा काम बाधित हुआ है।’ वित्त वर्ष 2021 में इसके खुदरा स्टोर में उपभोक्ताओं के आने की दर पिछले साल की तुलना में 55 से 60 फीसदी कम रही। डीआरएचपी में कई महीने से महामारी शब्द के बने रहने की वजह से यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है कि बाजार से जुड़े दस्तावेजों में कोविड एक जोखिम की शब्दावली की तरह कब तक बनी रहेगी और कौन सी ऐसी पहली कंपनी होगी जो यह कहेगी कि कोविड अब बीते दिनों की बात है।
