इस दशक का एक और साल सामुद्रिक अवरोधों और व्यापार में बाधाओं की आशंका के साथ शुरू हुआ है। इस बार कारण बने हैं हूती बागी जिन्होंने लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों पर हमला किया है। लाल सागर वैश्विक व्यापार और सामान की आवाजाही के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण मार्ग है।
असल में, लाल सागर में दिख रहा मौजूदा गतिरोध गाजा में चल रहे युद्ध का ही परिणाम है। ऊपरी तौर पर देखें तो भारत का इन क्षेत्रों की भूराजनीतिक उथल-पुथल से कोई ताल्लुक नहीं दिखता है। लेकिन हकीकत यह है कि हूती विद्रोही भारत के बंदरगाहों पर आने वाले व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाने से चूके नहीं हैं और इसका सीधा और बड़ा असर भारत पर भी पड़ रहा है। यह हमले तब और गंभीर हो गए जब विद्रोहियों ने 23 दिसंबर को निशाना साधा और वाणिज्यिक जहाज एमवी केम प्लूटो को निशाना बनाया, जो मंगलूर बंदरगाह आ रहा था।
हकीकत में लाल सागर की घटनाओं से यह अंदाज लगता है कि वैश्वीकृत दुनिया में किसी भी क्षेत्र के संघर्ष का प्रभाव बड़े पैमाने पर और व्यापक रूप से फैलता हुआ दिखता है। कोई भी देश अब दुनिया की भूराजनीतिक वास्तविकताओं से अलग नहीं रह पाएंगे। भारत भी देख रहा है कि कैसे व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता के चलते सीधे संघर्ष में शामिल नहीं होने वाले देश भी किस तरह इससे परोक्ष रूप से प्रभावित हो रहे हैं।
यमन के बड़े हिस्से को नियंत्रित करने वाले हूती बागियों ने नवंबर के मध्य से ही गाजा के साथ एकजुटता दिखाने और इस क्षेत्र में इजरायल के सैन्य हमलों के विरोध में लाल सागर से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। ईरान का समर्थन प्राप्त हूती विद्रोहियों ने शुरुआत में सिर्फ इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बनाने के लिए मिसाइलों और ड्रोन का इस्तेमाल किया था।
अमेरिकी केंद्रीय कमान के अनुसार विद्रोहियों ने नवंबर के मध्य से अब तक उन 23 व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया है जो लाल सागर के संकरे हिस्से से गुजर रहे थे। शुरुआत में ये हमले इजरायल से जुड़े जहाजों तक सीमित थे लेकिन हूती विद्रोही अब वैश्विक व्यापार में बाधा बढ़ाने के लिए उन जहाजों को भी निशाना बना रहे हैं जिनका इजरायल से कोई सीधा संबंध नहीं है जैसे कि भारत आने वाले जहाज।
लाल सागर दुनिया भर में सबसे व्यस्त नौवहन मार्गों में से एक है। वैश्विक व्यापार का लगभग 12 प्रतिशत और 30 प्रतिशत शिपिंग कंटेनर इसी मार्ग से गुजरते हैं।
वैश्विक स्तर पर इसके नौवहन का केंद्र बनने की वजह यह है कि यह स्वेज नहर के काफी निकट है। लाल सागर, स्वेज नहर के दक्षिण में है जो यूरोप को एशिया और अफ्रीका से जोड़ने वाले सबसे महत्त्वपूर्ण जलमार्ग के लिए आवश्यक परिवहन मार्ग माना जाता है। यमन पर नियंत्रण होने से हूती बब-अल-मंदेब खाड़ी में वैश्विक जहाजों को निशाना बनाने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं। बब-अल-मंदेब लाल सागर के दक्षिणी हिस्से में यमन के करीब ही है।
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वैश्विक व्यापार में लाल सागर काफी महत्त्वपूर्ण है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करने के लिए हूती बागियों की रणनीति को देखते हुए अमेरिका ने इन हमलों का असर कम करने के लिए कई कदम उठाने शुरू किए हैं। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्डियन की शुरुआत जिसके तहत इटली, फ्रांस, ब्रिटेन, बहरीन और सेशेल्स जैसे देशों को एक साथ लाया गया ताकि लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों और नाविकों के लिए स्वतंत्र और सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया जा सके। अमेरिकी नौसेना ने कहा कि इस अभियान की घोषणा के बाद से 1,200 से अधिक जहाज लाल सागर से गुजरे हैं।
ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्डियन के सहयोगी देशों ने इस मार्ग से गुजरने वाले जहाजों को सुरक्षा देने के लिए मिलकर कई हूती जहाज-रोधी मिसाइलों और ड्रोन को मार गिराया है। हालांकि इन प्रयासों के बावजूद हूती लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर हमला करने के अपने इरादों पर अडिग दिख रहे हैं। पश्चिमी देशों की मिसाइल, ड्रोन और युद्धपोतों की अतिरिक्त उपस्थिति इनके हमलों पर लगाम लगा सकती है लेकिन उनकी इस मुहिम को पूरी तरह से रोक पाने की संभावना नहीं है।
हालांकि अमेरिका के नेतृत्व में जो पहल की जा रही है उसमें एक बड़ी कमी अरब देशों का शामिल न होना है। गाजा युद्ध से जटिल राजनीति जुड़ी हुई है और दूसरी तरफ इजरायल भी हमास के खिलाफ अपनी कठोर कार्रवाई में कमी करने को तैयार नहीं है। ऐसे में हूती बागियों के खिलाफ रुख न लेने की आशंका के चलते ही अरब क्षेत्र की बड़ी ताकत माने जाने वाला सऊदी अरब जैसा देश इस पहल से दूर है।
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के लिए लाल सागर में हूती गतिविधियों को नियंत्रित करने की निरंतर कोशिश के साथ ही अरब देशों का समर्थन हासिल करना भी महत्त्वपूर्ण होगा तभी जलमार्ग में सामान्य स्थिति बहाल करने में सफलता मिलेगी। इस रणनीति से ही इस जलमार्ग की नौवहन से जुड़ी गतिविधियों और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं कम होंगी।
एमवी केम प्लूटो पर होने वाला हमला भारत के लिए कोई नई घटना नहीं है। इससे पहले भी एक अन्य जहाज, एमवी साईं बाबा पर ड्रोन से हमला किया गया था जब यह जहाज 23 दिसंबर को लाल सागर के जलमार्ग से गुजर रहा था। इस घटना के चलते भारतीय नौसेना ने भारत के जहाजों, चालक दल और माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र में लगातार निगरानी बढ़ाते हुए अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है।
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ड्रोन और मिसाइल हमलों का खतरा कम करने के लिए भारतीय नौसेना ने प्रोजेक्ट 15ए और 15बी श्रेणी के चार युद्धपोत तैनात किए हैं। इसके अलावा, नौसेना ने यह भी सुनिश्चित किया है कि बोइंग पी81 लंबी दूरी के पनडुब्बी रोधी विमान, डोर्नियर विमान और हेलिकॉप्टर भी हमला करने वालों की टोह लेने के लिए उपलब्ध हों।
भारतीय नौसेना ने भले ही इस क्षेत्र में अपने हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता के लिए साझेदार देशों के साथ व्यापक समन्वय आवश्यक है। भारत को अमेरिका और अन्य देशों के साथ मिलकर लाल सागर क्षेत्र में हूती विद्रोहियों की गतिविधियों का लगातार आकलन करना होगा और जब भी संभव हो उनकी योजनाओं को पहले ही नाकाम या कम करना होगा। इसके लिए दोनों तरफ से सूचना का त्वरित आदान-प्रदान सुनिश्चित करना होगा।
इन कदमों के साथ-साथ गाजा के हालात पर भी नजर रखी जानी चाहिए। अच्छा यह होगा कि भारत अपनी नौसेना की क्षमता और कूटनीतिक महारत का बेहतर इस्तेमाल करते हुए इसका प्रबंधन इस तरह करे कि यह न केवल उसके हितों के लिए बेहतर हो बल्कि यह पूरी दुनिया के हित में हो। ये घटनाएं इस बात को भी दर्शाती हैं कि आने वाले समय में भारत को अलग-अलग क्षेत्रों की भूराजनीतिक वास्तविकताओं के दूरगामी प्रभावों का सामना करने के लिए तैयार रहना पड़ सकता है।
(लेखक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में क्रमशः अध्ययन एवं विदेश नीति के उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय सुरक्षा के एसोसिएट फेलो हैं)