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राजकोषीय स्थिति

Last Updated- January 08, 2023 | 11:10 PM IST
Budget 2023

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पिछले सप्ताह चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया। यह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण आंकड़ा है क्योंकि इसी के आधार पर केंद्रीय बजट का प्रारूप तैयार करने की शुरुआत होती है। आम बजट लोकसभा में अगले महीने के आरंभ में प्रस्तुत किया जाना है।

राष्ट्रीय आय के इस अनुमान के अनुसार सालाना आधार पर वास्तविक आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत रह सकती है। खुशी की यह असल वजह नहीं है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था 2021-22 में कोविड महामारी की मार से उबर ही रही थी। उदाहरण के लिए, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पिछले वित्त वर्ष में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर वास्तविक रूप में लगभग 10 प्रतिशत दर से बढ़ी थी लेकिन इस वर्ष इसमें केवल 1.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया जा रहा है। इससे यह संकेत जाएगा कि कोविड महामारी के दौरान विनिर्माण क्षेत्र को हुई क्षति की भरपाई पिछले वित्त वर्ष हो गई।

महामारी से पूर्व के आंकड़ों पर विचार करें तो अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों को संभवतः स्थायी क्षति पहुंच चुकी है और आगे उत्पादन कमजोर रह सकता है। महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि वर्ष 2011-12 के आंकड़ों के आधार पर वित्त वर्ष 2022-23 में वास्तविक घरेलू उत्पाद में केवल 8.6 प्रतिशत बढ़ोतरी होने का अनुमान है। यह आंकड़ा वर्ष 2019-20 के दूसरे संशोधित अनुमान की तुलना में कम रहेगा। हमारे सामने यह स्पष्ट होना चाहिए कि अगर भारत अब अपनी आधार वृद्धि दर की तरफ लौट चुका है तो उसके लिए उसे कम से कम डेढ़ वर्ष में हुए उत्पादन वृद्धि के बराबर नुकसान हो चुका है।

अब एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि आने वाले वर्षों में आर्थिक वृद्धि दर की नैया कैसे पार लगेगी। पिछले तीन वर्षों के दौरान सरकार ने अर्थव्यवस्था की कमजोरी दूर करने का प्रयास किया है और खपत बढ़ाने पर जोर दिया है। उदाहरण के लिए 2020-21 में सरकार का खपत उपभोग व्यय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 11.3 प्रतिशत था। यह 2019-20 की तुलना में 1 प्रतिशत अंक अधिक था। इसमें कमी की दर धीमी रही है और चालू वर्ष में इसके 10.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस मद में सरकार के व्यय की लागत देश के ऋण-जीडीपी अनुपात के दृष्टिकोण से अधिक रही है।

पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ने से भारत में भी महंगाई का दबाव काफी बढ़ चुका है। नॉमिनल वृद्धि दर पर बढ़ती महंगाई का असर दिख भी चुका है। चालू वित्त वर्ष का बजट यूक्रेन पर रूस के हमले और इसके परिणामस्वरूप जिंसों की कीमतों में तेजी का सिलसिला शुरू होने से पहले प्रस्तुत हुआ था। बजट में 2022-23 के लिए नॉमिनल वृदि्ध दर 11.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। मगर पहले अग्रिम अनुमान में नॉमिनल वृदि्ध दर15.4 प्रतिशत मान लिया गया है। भारतीय उपभोक्ताओं को महंगाई के असर से बचाने के लिए सरकार अतिरिक्त 2.4 लाख करोड़ रुपये खर्च (विशेष कर खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी के रूप में) करेगी।

हालांकि अभी और गुंजाइश बची हुई है और इसका कारण नॉमिनल जीडीपी की वृद्धि दर है। चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.44 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। चूंकि, नॉमिनल जीडीपी में अनुमान से अधिक वृद्धि हुई है, इसलिए राजकोषीय स्थिति मजबूत करने की गति तेज बनाने के सरकार के पास महत्त्वपूर्ण अवसर मौजूद हैं। राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की दिशा में अधिक प्रयास करने से मध्यम अवधि में लाभ दिखेंगे। इससे महंगाई थामने में भी सहायता मिलेगी और निजी क्षेत्र से निवेश को भी गति भी तेज होगी। अर्थव्यवस्था को इन सभी बातों से रफ्तार मिलेगी। वित्त मंत्रालय में नीति निर्धारकों को इस अवसर को हाथ से नहीं निकलने देना चाहिए।

First Published - January 8, 2023 | 11:10 PM IST

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