facebookmetapixel
सुप्रीम कोर्ट ने कहा: बिहार में मतदाता सूची SIR में आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में करें शामिलउत्तर प्रदेश में पहली बार ट्रांसमिशन चार्ज प्रति मेगावॉट/माह तय, ओपन एक्सेस उपभोक्ता को 26 पैसे/यूनिट देंगेबिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ इंटरव्यू में बोले CM विष्णु देव साय: नई औद्योगिक नीति बदल रही छत्तीसगढ़ की तस्वीर22 सितंबर से नई GST दर लागू होने के बाद कम प्रीमियम में जीवन और स्वास्थ्य बीमा खरीदना होगा आसानNepal Protests: सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ नेपाल में भारी बवाल, 14 की मौत; गृह मंत्री ने छोड़ा पदBond Yield: बैंकों ने RBI से सरकारी बॉन्ड नीलामी मार्च तक बढ़ाने की मांग कीGST दरों में कटौती लागू करने पर मंथन, इंटर-मिनिस्ट्रियल मीटिंग में ITC और इनवर्टेड ड्यूटी पर चर्चाGST दरों में बदलाव से ऐमजॉन को ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में बंपर बिक्री की उम्मीदNDA सांसदों से PM मोदी का आह्वान: सांसद स्वदेशी मेले आयोजित करें, ‘मेड इन इंडिया’ को जन आंदोलन बनाएंBRICS शिखर सम्मेलन में बोले जयशंकर: व्यापार बाधाएं हटें, आर्थिक प्रणाली हो निष्पक्ष; पारदर्शी नीति जरूरी

Editorial: अमेरिका पर अधिक असर

ट्रंप ने गत सप्ताह जो कई प्रकार के उच्च टैरिफ लागू किए थे वे बुधवार से प्रभावी होंगे।

Last Updated- April 08, 2025 | 10:51 PM IST
Donald Trump
प्रतीकात्मक तस्वीर

कई दिनों की उथल पुथल के बाद दुनिया भर के शेयर बाजारों में कुछ शांति दिख रही है। इसकी वजह यह भरोसा हो सकता है कि अमेरिका की नई टैरिफ नीति पर बातचीत का दौर शुरू हो रहा है। इस भरोसे के पीछे सोच यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के अनुमान से अधिक शुल्क इस तरह तय किए गए हैं कि सौदेबाजी का लंबा दौर उन्हीं से शुरू हो। मंदी की आशंका और ऊंचे शुल्क पर असंतोष को देखते हुए यही कहा जा रहा है कि ट्रंप नए सौदे तथा समझौते करना चाहते हैं। उनके कुछ साथी खास तौर पर अरबपति सलाहकार ईलॉन मस्क खुलेआम ऐसा कह चुके हैं।

मस्क ने कहा कि अमेरिका तथा यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार पर ही बात खत्म होगी। लेकिन हो सकता है कि वह भी ट्रंप की मंशा नहीं समझ पाए हों। दरअसल इस सप्ताह एक बार फिर यूरोपीय आयोग ने अमेरिका की औद्योगिक वस्तुओं को यूरोपीय बाजारों में शुल्क मुक्त पहुंच की पेशकश की और ट्रंप ने यह कहते हुए उसे ठुकरा दिया कि अमेरिका के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया गया है।

इस बात की काफी संभावना है जिसे शायद बाजार द्वारा कम करके आंका जा रहा है कि ट्रंप विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन और अमेरिका के साथ कथित दुर्व्यवहार को रोकने के लिए अमेरिकी अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं को होने वाले कष्ट की अनदेखी करने को तैयार हैं।

हकीकत यह है कि ट्रंप प्रशासन के उच्चाधिकारियों और स्वयं ट्रंप के इरादे और बयान एक दूसरे के साथ तालमेल नहीं खा रहे। कई मामलों में वे परस्पर विरोधाभासी भी हैं। उदाहरण के लिए अगर टैरिफ से बातचीत शुरू हो रही है तो स्वयं ट्रंप ही कई मौकों पर कह चुके हैं कि टैरिफ विनिर्माण को अमेरिका में वापस लाने के पहले साधन नहीं हो सकते। अगर वास्तविक उद्देश्य बेहतर शर्तों पर मुक्त व्यापार है तो राष्ट्रपति का वह वादा पूरा नहीं हो सकेगा जिसमें उन्होंने कहा था कि टैरिफ से आने वाले भारी भरकम राजस्व की बदौलत वह करों में कटौती कर सकेंगे।

अगर टैरिफ बने रहते हैं और वे अमेरिका के व्यापार घाटे को शून्य करने के राष्ट्रपति के अन्य उद्देश्यों को हासिल करने में कामयाब रहते हैं तो भी भारी भरकम राजस्व हासिल नहीं हो सकेगा। हालांकि इस नीति को जिस तरह प्रस्तुत किया गया और उचित ठहराया गया उसमें बहुत अधिक विसंगति है जिससे यह नतीजा निकाला जा सकता है कि वे वास्तव में राष्ट्रपति की वैचारिक प्राथमिकता हैं और अब उनके लिए कई तरह के तर्क प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

ट्रंप ने गत सप्ताह जो कई प्रकार के उच्च टैरिफ लागू किए थे वे बुधवार से प्रभावी होंगे। अब तक कोई भी देश अमेरिका को ऐसी पेशकश नहीं कर सका है जिससे उसे अतिरिक्त लाभ या रियायत मिली हो। यह भविष्य की वार्ताओं के लिए अच्छा नहीं है। वैश्विक बाजार कठिन समय से गुजर रहे हैं लेकिन अमेरिकी उपभोक्ता भी कम कठिनाई में नहीं हैं। अमेरिका अपने जीवन स्तर के कारण लंबे समय से दुनिया भर के देशों की जलन का विषय रहा है और अमेरिकी उपभोक्ताओं की पहुंच हमेशा दुनिया के बेहतरीन और तकनीकी रूप से उन्नत उपकरणों तक रही है। निश्चित रूप से देश में बिक्री कर कम होने के कारण कई वस्तुओं मसलन फोन आदि की कीमतें दुनिया में सबसे कम रही हैं।

अगर ट्रंप टैरिफ बरकरार रहे तो अमेरिकी नागरिकों से यह बढ़त छिन जाएगी। वे तकनीकी उन्नति में पिछड़ जाएंगे और उन्हें शेष विश्व से अधिक राशि चुकानी होगी। उन्हें अन्य तरह के विलंब का भी सामना करना होगा। लब्बोलुआब यह है कि अमेरिका के इन कदमों से जो माहौल बन रहा है उससे किसी को भी उतना ही नुकसान नहीं होगा जितना अमेरिकियों का होगा।

 

First Published - April 8, 2025 | 10:33 PM IST

संबंधित पोस्ट