अमेरिका के राष्ट्रपति की कुर्सी पर दोबारा बैठने के बाद जब डॉनल्ड ट्रंप ने कांग्रेस के संयुक्त सत्र को पहली बार संबोधित किया तो उनकी भाषा प्रचार भाषणों या उसी जगह छह हफ्ते पहले दिए गए उद्घाटन भाषण से अलग नहीं थी। जब वह बोलने के लिए मंच पर खड़े हुए तब उनकी छेड़ी कारोबारी जंग के कारण शेयर बाजार डूब रहे थे, गैलप के मुताबिक उन्हें राष्ट्रपति के तौर पर 45 फीसदी लोगों ने पसंद किया था।
कार्यकाल की इतनी अवधि के बाद विभिन्न राष्ट्रपतियों को मिली रेटिंग के मामले में ट्रंप नीचे से दूसरे स्थान पर थे। सबसे कम 40 फीसदी रेटिंग भी उनके नाम के आगे ही लिखी है, जो 2017 में उन्हें मिली थी। इसके बाद भी ट्रंप 90 मिनट से ज्यादा बोले, जो अमेरिका के आधुनिक इतिहास में सबसे लंबा भाषण था। इसमें भी जुमले ज्यादा थे और तथ्य कम। अपने गढ़े तथ्यों, मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (मागा) की बातों, ऊंचे वादों और नाटकीयता के बीच ट्रंप के संबोधन से दो संकेत साफ नजर आए।
सबसे घातक बात यह थी कि टैरिफ वॉर (शुल्क वृद्धि) से पीछे हटने का उनका कोई इरादा नहीं है। मंगलवार को उन्होंने मेक्सिको और कनाडा पर 25 फीसदी शुल्क लगाने की धमकी को अंजाम दे डाला और चीन से आयात पर 10 फीसदी शुल्क और लगाकर उसे 20 फीसदी कर दिया। उनके समर्थक कहलाने वाले द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने भी ट्रंप के इस फैसले को ‘सबसे बेवकूफाना शुल्क उपाय’ करार दिया। कांग्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बराबरी का शुल्क 2 अप्रैल से शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘वे हम पर जितना कर लगाएंगे, हम भी उन पर उतना ही कर लगाएंगे। अगर वे दूसरे तरीके अपनाकर हमें अपने बाजार से बाहर करेंगे तो हम भी उन्हीं तरीकों से उन्हें अपने
बाजार से बाहर कर देंगे।’
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत के लिए अमेरिका गए हैं और ट्रंप ने कहा कि भारत वाहन पर 100 फीसदी कर लगा रहा है। उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहा कि भारत ने इस बार के अपने बजट में यह कर घटाकर 30 फीसदी कर दिया है। कुछ भी अप्रत्याशित कर देना ट्रंप का शगल है और इसीलिए भारत को यूरोपीय संघ के साथ अपने व्यापार समझौते को जल्द से जल्द अंजाम तक पहुंचा देना चाहिए। पिछले सप्ताहांत पर इस सिलसिले में सकारात्मक बातचीत हुई थी, जो दक्षिण पूर्व एशिया के तेजी से बढ़ते बाजारों के साथ मिलने और शुल्क व्यवस्था को तेजी से दुरुस्त करने का मौका दे सकती है।
ट्रंप के भाषण में यूक्रेन-रूस शांति वार्ता आगे बढ़ने का संकेत भी मिला। यूक्रेन को अमेरिकी सहायता के बड़े-बड़े दावों के बावजूद इसके महत्त्वपूर्ण परिणाम हो सकते हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ ओवल कार्यालय में हुई तनातनी सार्वजनिक हो जाने के बाद ट्रंप ने जेलेंस्की के पास से आई चिट्ठी पढ़ी जिससे लगा कि खनिज सौदे के बदले शांति पर बातचीत परवान चढ़ सकती है। देश को अपने साथ लेने की कवायद के तौर पर उनका भाषण कामयाब नहीं रहा।
रिपब्लिकन सदस्यों ने तो सराहना की मगर डेमोक्रेटिक सांसदों की खाली सीटें बताती हैं कि अमेरिका राजनीति में किस कदर दो-फाड़ है। चीन और कनाडा तथा मेक्सिको के जवाबी वार के बीच व्यापारिक जंग थमती नहीं दिखती, जबकि येल की बजट लैब कहती है कि अमेरिका में कीमतें 1 से 1.2 फीसदी तक बढ़ जाएंगी। अमेरिका के लोग नवंबर की चुनावी जंग में अपने फैसले की कीमत आंकना जल्द ही शुरू कर सकते हैं मगर ‘स्टेट ऑफ यूनियन एड्रेस’ कहलाने वाले इस संबोधन से यही पता चलता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए संकेत विश्लेषकों के अनुमान से भी खराब हैं।