भारतीय शेयर बाजार न केवल बाजार पूंजीकरण के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक हैं बल्कि इन्हें सबसे अधिक सक्षम बाजारों में भी गिना जाता है। बाजार को और सक्षम बनाने के लिए शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस वर्ष के आरंभ में टी प्लस जीरो (उसी दिन) निपटान का बीटा संस्करण लॉन्च किया था जो शेयर नकदी बाजार में 25 शेयरों के लिए वैकल्पिक आधार पर था। बीते कुछ महीनों के फीडबैक और अनुभव के आधार पर बाजार नियामक ने इस सुविधा को शीर्ष 500 शेयरों के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया। यह दिखाता है कि नियामक की दृष्टि में बाजार अधोसंरचना और शामिल संस्थान बड़े पैमाने पर बदलाव के लिए तैयार हैं। हालांकि रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि टी प्लस जीरो को अपनाने की गति धीमी रही है लेकिन इससे नियामक को बाजार सुधार संबंधी कदम उठाने में धीमापन नहीं बरतना चाहिए। अपनाने का क्रम धीमा होने की एक वजह नए निपटान चक्र में शेयरों की सीमित संख्या भी हो सकती है।
सेबी के सर्कुलर के मुताबिक टी प्लस जीरो चक्र 31 जनवरी, 2025 से बाजार पूंजीकरण के मुताबिक शीर्ष 500 कंपनियों के लिए उपलब्ध रहेगा। शेयरों को 100 के खंड में नए चक्र में शामिल किया जाएगा। इसकी शुरुआत समूह के निचले स्तर से की जाएगी। यह बात समझ में आती है क्योंकि तुलनात्मक रूप से कम आकार वाली कंपनियां पहले आगे आएंगी। इससे व्यवस्था की मजबूती आंकने में मदद मिलेगी।
आगे चलकर बड़ी कंपनियां नए निपटान चक्र में शामिल होंगी। अब सभी शेयर ब्रोकरों को भागीदारी की इजाजत होगी। उन्हें टी प्लस जीरो और टी प्लस वन निपटान के लिए अलग-अलग ब्रोकरेज वसूलने की भी इजाजत होगी, बशर्ते कि वह नियामकीय दायरे में हो। क्वालिफाइड शेयर ब्रोकर जो चुनिंदा शर्तों का पालन करते हों उनसे उम्मीद की जाएगी कि वे जरूरी व्यवस्था कायम करें ताकि नए निपटान चक्र में अबाध भागीदारी तय समय में हो सके।
इस बीच स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस और डिपॉजिटरीज जिन्हें एक साथ बाजार अधोसंरचना संस्थान या एमआईआई कहा जाता है, उनसे भी उम्मीद की जाएगी कि वे अबाध शुरुआत के लिए जरूरी व्यवस्था कायम करें। इसके अलावा सहज क्रियान्वयन के लिए एमआईआई से उम्मीद है कि वे परिचालन दिशानिर्देश और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के साथ सामने आएं। इससे सभी अंशधारकों खासतौर पर व्यक्तिगत निवेशकों को नए चक्र में शामिल होने में मदद मिलेगी।
टी प्लस जीरो के बड़े कारोबार को देखते हुए स्टॉक एक्सचेंजों से उम्मीद की जा रही है कि वे एक व्यवस्था कायम करेंगे। टी प्लस जीरो प्रणाली का आकार बढ़ाने के कदम का स्वागत किया जाना चाहिए। खासतौर पर छोटे निवेशकों के नजरिये से। जैसा कि पहले भी लिखा जा चुका है, नियामक के आकलन में पाया गया कि 90 फीसदी से अधिक इक्विटी डिलिवरी कारोबार जहां कारोबार का आकार एक लाख रुपये से कम रहा उसे नकदी और प्रतिभूतियों के अग्रिम जमा में अंजाम दिया गया। ऐसे में बहुसंख्य छोटे कारोबारी और निवेशक इस कदम से लाभान्वित होंगे क्योंकि नकदी की स्थिति में सुधार होगा।
नकदी में सुधार और कारोबारी सौदों का तेज निपटान जोखिम कम करने में मदद करेगा। तेज निपटान चक्र जहां निवेशकों की मदद करेगी, वहां यह एमआईआई पर दबाव भी डाल सकता है। खासतौर पर निपटान की दो समांतर व्यवस्थाओं के चलते। बहरहाल, चूंकि भारतीय बाजार अधोसंरचना ने समय के साथ अल्प निपटान चक्र को सक्षम बनाया है इसलिए यह उम्मीद की जा रही है कि व्यवस्था अबाध ढंग से टी प्लस जीरो चक्र में चली जाएगी। बेहतर बुनियादी ढांचे और अंशधारकों की अपनाने की क्षमता को देखते हुए बाजार नियामक अगर प्राथमिक बाजार में चक्र को छोटा करने पर ध्यान केंद्रित करे तो बेहतर होगा। एक प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश के जारी होने और सूचीबद्ध होने के बीच के समय को कम करने की काफी गुंजाइश है।