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Editorial: अनुकूल परिदृश्य

अनुमान है कि 2025 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से होने वाली वर्षा सामान्य से करीब पांच फीसदी बेहतर रहेगी।

Last Updated- April 20, 2025 | 10:05 PM IST
Weather: Monsoon
प्रतीकात्मक तस्वीर

वर्ष 2024 में मॉनसून का मौसम अनुकूल रहा था और दीर्घावधि के औसत की तुलना में 7.6 फीसदी अधिक वृद्धि देखने को मिली थी। भारतीय मौसम विभाग ने अपने मॉनसून संबंधी पूर्वानुमान में इस बार फिर अच्छी बारिश का अनुमान प्रस्तुत किया है। उसका अनुमान है कि 2025 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से होने वाली वर्षा सामान्य से करीब पांच फीसदी बेहतर रहेगी। भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र के ऊपर बने हालात तथा तटस्थ अल नीनो प्रभाव के बीच और ला नीना जैसी परिस्थितियां बनने के कारण अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर मॉनसून का मजबूत प्रवाह निर्मित होगा। बहरहाल, मॉनसून का वितरण एकरूप होने की उम्मीद नहीं है। बिहार, तमिलनाडु तथा पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा होने की आशंका है।

सिंचाई के रकबे में सुधार के बावजूद कृषि उत्पादन के लिए दक्षिण पश्चिम मॉनसून का बेहतर होना अहम है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी किए गए सकल घरेलू उत्पाद के दूसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में 2024-25 में 4.4 फीसदी की वृद्धि दर रह सकती है जबकि 2023-24 में वह 2.7 फीसदी थी। औसत से अधिक वर्षा होने के कारण इस वर्ष भी समग्र वृद्धि को बल मिलने की उम्मीद है। अच्छा मॉनसून रबी की फसलों के लिए भी बेहतर साबित होगा क्योंकि नमी बढ़ेगी और जलाशयों में अधिक पानी रहेगा।

गत वर्ष हुई अधिशेष बारिश के कारण 2024-25 के कृषि उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा और गत वर्ष की तुलना में खरीफ तथा रबी का खाद्यान्न उत्पादन क्रमश: 7.9 फीसदी और 6 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। इससे खाद्यान्न कीमतों को नियंत्रित रखने में भी मदद मिली। तथ्य तो यह भी है कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश की खुदरा मुद्रास्फीति की दर मार्च में 3.34 फीसदी रही जो फरवरी के 3.61 फीसदी से थोड़ी अधिक थी। यह अगस्त 2019 के बाद की सबसे निचली दर है।

इस बीच खाद्य मुद्रास्फीति की दर जिसने हेडलाइन मुद्रास्फीति दर को ऊंचे स्तर पर रखा था वह फरवरी के 3.75 फीसदी से कम होकर मार्च में 2.69 फीसदी रह गई। यह नवंबर 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर था। अच्छे मॉनसून से खाद्यान्न कीमतें नियंत्रित रहेंगी। इससे मौद्रिक नीति समिति के पास गुंजाइश बढ़ेगी। बहरहाल, वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़ी हुई अनिश्चितता को भी ध्यान में रखना होगा। रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि मुद्रास्फीति की दर चालू वित्त वर्ष में औसतन चार फीसदी रहेगी।

मध्यम अवधि के नीतिगत नजरिये से देखें तो सामान्य से बेहतर बारिश का अनुमान होने के बावजूद जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से नजर नहीं हटानी चाहिए। अतिरंजित मौसम की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। 2024 में देश भर में 365 दिनों में 322 ऐसी घटनाएं घटीं। रिजर्व बैंक ने भी 2022-23 की अपनी करेंसी और फाइनैंस संबंधी रिपोर्ट में मॉनसून की अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में बातचीत की।

अत्यधिक तपिश, मॉनसून की अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन, ये तीनों मिलकर देश की अर्थव्यवस्था पर असर डालेंगे और सकल घरेलू उत्पाद में इनके कारण दो फीसदी तक की कमी आ सकती है। इसके चलते 2050 तक देश की आधी आबादी का जीवन स्तर भी प्रभावित होगा। अगर इससे निपटने के लिए बहुकोणीय नीति नहीं अपनाई गई तो ऐसी घटनाओं का प्रभाव और बढ़ेगा। इस वर्ष मॉनसून के अनुकूल रहने का लाभ लेते हुए जलाशयों को भरा जाना चाहिए। इसके साथ ही दीर्घकालिक नीतियों में भी जल संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए तथा टिकाऊ कृषि व्यवहार को अपनाना चाहिए।

First Published - April 20, 2025 | 10:05 PM IST

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