facebookmetapixel
Adani Power Share: एक हफ्ते में 8% चढ़ा शेयर, MP सरकार से फिर मिला ऑर्डर; ₹21000 करोड़ का निवेश करेगी कंपनीपूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे किनारे उद्योगों को मिलेगी रफ्तार, यूपी सरकार की बड़ी पहलसोने-चांदी में गिरावट के साथ शुरू हुआ कारोबार, MCX पर देखें आज का भावएल्युमीनियम उद्योग को नीतिगत समर्थन की जरूरत : हिंडाल्कोवैल्यूएशन पर नहीं बनी सहमति, हायर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने से पीछे हटा मित्तलIDBI बैंक ने Zee एंटरटेनमेंट के खिलाफ फिर दायर की याचिकाCEA नागेश्वरन का दावा: घरेलू सुधारों ने भारत को दी सुरक्षा, जीएसटी सुधार से बढ़ेगी खपतFitch ने भारत का GDP ग्रोथ अनुमान बढ़ाया, घरेलू मांग और निवेश को बताया सहारासंजय कपूर की पत्नी प्रिया को सभी संपत्तियों का खुलासा करने का निर्देशमद्रास हाईकोर्ट ने EPFO के 18 जनवरी के सर्कुलर को रद्द किया, कर्मचारियों को हाई पेंशन का विकल्प मिलेगा

Editorial: डॉलर- रुपये समीकरण पर गहमागहमी

यह बात अहम होगी क्योंकि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जिन नीतियों का वादा किया है वे डॉलर को और मजबूत कर सकती हैं।

Last Updated- January 02, 2025 | 9:25 PM IST
Dollar Vs Rupee
प्रतीकात्मक तस्वीर

गत शुक्रवार को दिन में कारोबार के दौरान रुपया डॉलर के मुकाबले 85.81 के साथ अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। तब से इसने थोड़ी वापसी की है लेकिन अभी भी वह 85.7 से 85.8 के दायरे में ही है। पिछले कुछ सप्ताह में रुपये में यह गिरावट सकारात्मक संकेत है। ऐसी गिरावट काफी समय से लंबित थी। यह बात भी स्वागत योग्य है कि रिजर्व बैंक अब ऐसा होने दे रहा है। वित्तीय बाजारों को यह सोचने की इजाजत नहीं होनी चाहिए कि रिजर्व बैंक डॉलर के मुकाबले एक खास मूल्य रखने में अनाधिकारिक हस्तक्षेप कर रहा है। रिजर्व बैंक ने खुद स्पष्ट किया है कि वह ऐसा नहीं करता है बल्कि वह केवल विनिमय दर की अस्थिरता को सहज बनाता है।

बहरहाल, हाजिर और वायदा दोनों बाजारों में रुपये को लेकर किए जाने वाले हस्तक्षेप ने कई सवालों को जन्म दिया है। वित्तीय बाजार ऐसे सवालों के जवाब में मुद्रा पर सटोरिया हमला शुरू कर सकते हैं। आमतौर पर इसका नतीजा यह होता है कि केंद्रीय बैंक भंडार का कुछ हिस्सा अपने खातों में स्थानांतरित करता है और मुद्रा में गिरावट आती है। ऐसे में हाल के सप्ताहों में रुपये की कीमत में गिरावट इस बात का महत्त्वपूर्ण संकेत है कि यह सटोरियों को दूर रखेगा।

तथ्य यह है कि पिछले वर्ष रुपये में तीन फीसदी से भी कम गिरावट आई जो अन्य समकक्ष देशों से कम है। इस समाचार पत्र ने बाजार प्रतिभागियों का एक छोटा सर्वेक्षण किया था जिससे इस आम नजरिये का पता चलता है कि आने वाले महीनों में रुपये की कीमत में और गिरावट आएगी। इसके लिए आंशिक रूप से डॉलर में आने वाली और अधिक मजबूती वजह होगी। यह मजबूती अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक सहजता के कारण आएगी। रुपये को अभी बहुत कुछ हासिल करना है क्योंकि अन्य समकक्ष देशों और प्रतिस्पर्धियों की तुलना में उसकी गिरावट को टाला जा चुका है। रुपये के सक्रिय प्रबंधन पर प्रभाव महसूस हो रहा है। बैंकिंग तंत्र में नकदी की निरंतर कमी ने अल्पावधि में ऋण लागत बढ़ा दी और इस सप्ताह वह तीन महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। कुछ अनुमानों के मुताबिक नकदी की कमी 1.1 लाख करोड़ रुपये तक की है।

यह स्पष्ट नहीं है कि रिजर्व बैंक को रुपये के प्रबंधन पर अपना नजरिया क्यों बदलना पड़ा लेकिन घरेलू चुनौतियों की इसमें अहम भूमिका रही होगी। रुपये का अधिमूल्यन निर्यात और वृद्धि पर असर डालता है। ऐसे समय में जब यह स्पष्ट हो चुका है कि निर्यात का मूल्य बढ़ाना व्यापक अर्थव्यवस्था में वृद्धि को बहाल करने के लिए जरूरी है, अधिमूल्यित मुद्रा अनुत्पादक साबित हो सकती है। रिजर्व बैंक के अर्थशास्त्रियों की टीम ने हाल ही में यह दिखाया कि भारत में ऐतिहासिक रूप से वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (आरईईआर) में गिरावट की इजाजत ने व्यापार संतुलन को प्रभावित किया है। जैसा कि पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन एवं अन्य लोगों ने भी कहा है, 2019 से रुपये की आरईईआर अपेक्षाकृत ऊंचे स्तर पर स्थिर है।

अनुमान बताते हैं कि यह अभी भी नौ फीसदी अधिमूल्यित है। अगर भारत को दोबारा प्रतिस्पर्धी होना है तो उसे वास्तविक हालात के साथ सुसंगत होना पड़ेगा। बिना बैंकिंग तंत्र में तरलता के और जब निर्यातक अधिमूल्यित रुपये से जूझ रहे हैं उस हालत में जबकि सटोरिया गतिविधियों के हमले का खतरा लगातार बना हुआ है, वृद्धि को बहाल करने का काम कठिन हो जाएगा। रुपये के मूल्य को लेकर अधिक लचीला रुख अपनाना बाकी है। यह बात अहम होगी क्योंकि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जिन नीतियों का वादा किया है वे डॉलर को और मजबूत कर सकती हैं। कम से कम निकट भविष्य में तो ऐसा ही होता दिख रहा है।

First Published - January 2, 2025 | 9:21 PM IST

संबंधित पोस्ट