facebookmetapixel
यूके एफटीए से अमेरिका टैरिफ विवाद तक: 2025 में भारत की ट्रेड पॉलिसी की तस्वीरMCap: सात बड़ी कंपनियों का मार्केट कैप डूबा, SBI सबसे बड़ा नुकसान उठाने वालीIncome Tax Refund: टैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR में छूटी जानकारी या गलत दावा? अब सही करने का आखिरी अवसरZepto IPO: SEBI में गोपनीय ड्राफ्ट फाइल, ₹11,000 करोड़ जुटाने की तैयारीFake rabies vaccine row: IIL का बयान- रैबीज वैक्सीन से डरने की जरूरत नहीं, फर्जी बैच हटाया गयाDelhi Weather Update: स्मॉग की चादर में लिपटी दिल्ली, सांस लेना हुआ मुश्किल; कई इलाकों में AQI 400 के पारअरावली की रक्षा पर सुप्रीम कोर्ट का एक्शन, 29 दिसंबर को सुनवाईYearender 2025: टैरिफ और वैश्विक दबाव के बीच भारत ने दिखाई ताकतक्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए जरूरी अपडेट! नए साल से होंगे कई बड़े बदलाव लागू, जानें डीटेल्सAadhaar यूजर्स के लिए सुरक्षा अपडेट! मिनटों में लगाएं बायोमेट्रिक लॉक और बचाएं पहचान

Editorial: डॉलर- रुपये समीकरण पर गहमागहमी

यह बात अहम होगी क्योंकि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जिन नीतियों का वादा किया है वे डॉलर को और मजबूत कर सकती हैं।

Last Updated- January 02, 2025 | 9:25 PM IST
Dollar Vs Rupee
प्रतीकात्मक तस्वीर

गत शुक्रवार को दिन में कारोबार के दौरान रुपया डॉलर के मुकाबले 85.81 के साथ अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। तब से इसने थोड़ी वापसी की है लेकिन अभी भी वह 85.7 से 85.8 के दायरे में ही है। पिछले कुछ सप्ताह में रुपये में यह गिरावट सकारात्मक संकेत है। ऐसी गिरावट काफी समय से लंबित थी। यह बात भी स्वागत योग्य है कि रिजर्व बैंक अब ऐसा होने दे रहा है। वित्तीय बाजारों को यह सोचने की इजाजत नहीं होनी चाहिए कि रिजर्व बैंक डॉलर के मुकाबले एक खास मूल्य रखने में अनाधिकारिक हस्तक्षेप कर रहा है। रिजर्व बैंक ने खुद स्पष्ट किया है कि वह ऐसा नहीं करता है बल्कि वह केवल विनिमय दर की अस्थिरता को सहज बनाता है।

बहरहाल, हाजिर और वायदा दोनों बाजारों में रुपये को लेकर किए जाने वाले हस्तक्षेप ने कई सवालों को जन्म दिया है। वित्तीय बाजार ऐसे सवालों के जवाब में मुद्रा पर सटोरिया हमला शुरू कर सकते हैं। आमतौर पर इसका नतीजा यह होता है कि केंद्रीय बैंक भंडार का कुछ हिस्सा अपने खातों में स्थानांतरित करता है और मुद्रा में गिरावट आती है। ऐसे में हाल के सप्ताहों में रुपये की कीमत में गिरावट इस बात का महत्त्वपूर्ण संकेत है कि यह सटोरियों को दूर रखेगा।

तथ्य यह है कि पिछले वर्ष रुपये में तीन फीसदी से भी कम गिरावट आई जो अन्य समकक्ष देशों से कम है। इस समाचार पत्र ने बाजार प्रतिभागियों का एक छोटा सर्वेक्षण किया था जिससे इस आम नजरिये का पता चलता है कि आने वाले महीनों में रुपये की कीमत में और गिरावट आएगी। इसके लिए आंशिक रूप से डॉलर में आने वाली और अधिक मजबूती वजह होगी। यह मजबूती अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक सहजता के कारण आएगी। रुपये को अभी बहुत कुछ हासिल करना है क्योंकि अन्य समकक्ष देशों और प्रतिस्पर्धियों की तुलना में उसकी गिरावट को टाला जा चुका है। रुपये के सक्रिय प्रबंधन पर प्रभाव महसूस हो रहा है। बैंकिंग तंत्र में नकदी की निरंतर कमी ने अल्पावधि में ऋण लागत बढ़ा दी और इस सप्ताह वह तीन महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। कुछ अनुमानों के मुताबिक नकदी की कमी 1.1 लाख करोड़ रुपये तक की है।

यह स्पष्ट नहीं है कि रिजर्व बैंक को रुपये के प्रबंधन पर अपना नजरिया क्यों बदलना पड़ा लेकिन घरेलू चुनौतियों की इसमें अहम भूमिका रही होगी। रुपये का अधिमूल्यन निर्यात और वृद्धि पर असर डालता है। ऐसे समय में जब यह स्पष्ट हो चुका है कि निर्यात का मूल्य बढ़ाना व्यापक अर्थव्यवस्था में वृद्धि को बहाल करने के लिए जरूरी है, अधिमूल्यित मुद्रा अनुत्पादक साबित हो सकती है। रिजर्व बैंक के अर्थशास्त्रियों की टीम ने हाल ही में यह दिखाया कि भारत में ऐतिहासिक रूप से वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (आरईईआर) में गिरावट की इजाजत ने व्यापार संतुलन को प्रभावित किया है। जैसा कि पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन एवं अन्य लोगों ने भी कहा है, 2019 से रुपये की आरईईआर अपेक्षाकृत ऊंचे स्तर पर स्थिर है।

अनुमान बताते हैं कि यह अभी भी नौ फीसदी अधिमूल्यित है। अगर भारत को दोबारा प्रतिस्पर्धी होना है तो उसे वास्तविक हालात के साथ सुसंगत होना पड़ेगा। बिना बैंकिंग तंत्र में तरलता के और जब निर्यातक अधिमूल्यित रुपये से जूझ रहे हैं उस हालत में जबकि सटोरिया गतिविधियों के हमले का खतरा लगातार बना हुआ है, वृद्धि को बहाल करने का काम कठिन हो जाएगा। रुपये के मूल्य को लेकर अधिक लचीला रुख अपनाना बाकी है। यह बात अहम होगी क्योंकि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जिन नीतियों का वादा किया है वे डॉलर को और मजबूत कर सकती हैं। कम से कम निकट भविष्य में तो ऐसा ही होता दिख रहा है।

First Published - January 2, 2025 | 9:21 PM IST

संबंधित पोस्ट