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Editorial: निवेशकों के लिए उत्साह के बीच सावधानी जरूरी

एसएमई आईपीओ में अतिउत्साह, विशेषज्ञों ने निवेशकों को सावधानी बरतने की दी सलाह

Last Updated- September 03, 2024 | 11:19 PM IST
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रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल्स की एसएमई प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) को लेकर मचने वाला हो हल्ला संकेत करता है कि प्राथमिक बाजार अतिउत्साह के दौर से गुजर रहा है। एसएमई आईपीओ भी सामान्य आईपीओ की तरह होते हैं जो छोटे और मझोले उपक्रमों द्वारा पेश किए जाते हैं, जिनकी मदद से पूंजी जुटाने और शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के प्रयास किए जाते हैं।

रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल्स एक मोटरसाइकिल डीलर है जिसके दो शोरूम और आठ कर्मचारी हैं। वह 12 करोड़ रुपये जुटाने का प्रयास कर रही थी। उसे 4,800 करोड़ रुपये मूल्य की बोली हासिल हुईं। अधिकांश निवेशक खुदरा और गैर संस्थागत थे। यह इकलौता एसएमई आईपीओ नहीं है जिसे हाल के दिनों में ओवर सबस्क्राइब किया गया हो। वित्त वर्ष 25 में अब तक औसतन हर आईपीओ के लिए 2.19 लाख लोगों ने आवेदन किया है।

इसके विपरीत वित्त वर्ष 20 में हर आईपीओ के लिए लगभग 408 लोग आवेदन करते थे। वित्त वर्ष 21 में यह आंकड़ा बढ़कर 511 हुआ था। रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल्स के अलावा होआक, फूड्स इंडिया, मेडिकामेन ऑर्गेनिक्स, कोरा फाइन डायमंड ज्वैलरी और मैक्सपोजर जैसी कंपनियों को हजार गुना से अधिक ओवर सबस्क्रिप्शन मिला।

वित्त वर्ष 25 में औसतन एक आईपीओ को पहले दिन 76 प्रतिशत की तेजी हासिल हुई। 2024 में कम से कम 60 आईपीओ 90 फीसदी से अधिक प्रीमियम पर सूचीबद्ध हुए। उससे पिछले वर्ष में औसत सूचीबद्धता 50 फीसदी से अधिक थी और प्रति आईपीओ 1.13 लाख आवेदन हुए थे। इससे पता चलता है कि खुदरा निवेशक जोखिम लेने के मिजाज में हैं।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी के एक अध्ययन में नौ करोड़ से अधिक आईपीओ निवेशकों के कारोबारी रुझान का परीक्षण किया गया और पाया गया कि अधिकांश निवेशकों ने एक हफ्ते के भीतर बिकवाली कर दी जबकि 70 फीसदी ने एक वर्ष के भीतर। यहां तक कि क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स ने भी एक सप्ताह के भीतर ही 65.4 फीसदी आवंटित शेयर बेच दिए और 87.8 फीसदी ने एक साल के भीतर उन्हें बेच दिया।

इसी अध्ययन में 144 आईपीओ को शामिल किया गया था जिन्होंने 2021 और 2023 के बीच 2.13 लाख करोड़ रुपये जुटाए। इससे संकेत मिलता है कि इनमें से 75 फीसदी यानी 108 आईपीओ ने सकारात्मक परिणाम दिए। 26 आईपीओ ने सूचीबद्धता के दिन ही 50 फीसदी से अधिक रिटर्न दिया। 1,000 करोड़ रुपये से कम के आईपीओ की होल्डिंग की अवधि भी कम थी। इन बातों से संकेत मिलता है कि लोग बुनियादी बातों पर ध्यान देने के बजाय जल्दी धन कमाना चाहते हैं।

बाजार में तेजी का दौर जारी है और इसने अल्पावधि के लाभ पाने के प्रयासों को तेजी दी है। प्रभावी तौर पर यह एक लॉटरी की तरह है और अत्यधिक ओवर सबस्क्रिप्शन और अतिशय मांग ने सूचीबद्धता मूल्य पर असर डाला है। जल्दी रिटर्न मिलने के कारण निवेशक अब सभी आईपीओ में निवेश करना चाहते हैं ताकि कुछ शेयर मिल सकें और वे सूचीबद्धता का लाभ ले सकें।

कारोबार की सहज प्रक्रिया और इस तथ्य ने इस व्यवहार को गति दी है कि आवंटन होने तक धनराशि निवेशक के खाते में ही रहती है। यही वजह है कि सेबी ने एसएमई आईपीओ को लेकर एक मशविरा जारी किया है। उसने यह चेतावनी भी दी है कि कई बार भ्रष्ट प्रवर्तक भ्रामक रूप से सकारात्मक तस्वीर पेश कर फायदा उठाते हैं। एनएसई से कहा गया है कि वह एसएमई आईपीओ की सूचीबद्धता के दिन ऑफर मूल्य पर 90 फीसदी की सीमा तय करे। कई बाजार विशेषज्ञों ने भी सावधानी बरतने की सलाह दी है।

इतिहास बताता है कि इस तरह की प्रवृत्ति को केवल सावधानी बरतने की सलाह से नहीं रोका जा सकता है। जब तक प्राथमिक बाजार में अचानक गिरावट नहीं आ जाती, ऐसी सलाहों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा। खुदरा निवेशकों को यही सलाह होगी कि वे बाजार में सावधानी से काम करें और एक्सचेंज यह सुनिश्चित करें कि केवल गुणवत्तापूर्ण इश्यू ही बाजार में पहुंचें। बहरहाल उम्मीद की बात यह है कि काबिल एसएमई आसानी से धन जुटा सकेंगे जो अच्छी बात है।

First Published - September 3, 2024 | 11:19 PM IST

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